असम और बंगाल में NRC के डर और हिंसा से 130 से ज्यादा लोगों की मौत, ममता बनर्जी का दावा
ममता बनर्जी ने किया दावा कि असम और पश्चिम बंगाल में अब तक CAA-NRC के डर और हिंसा के कारण 130 से ज्यादा लोगों की जा चुकी है जान...
जनज्वार। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया कि पश्चिम बंगाल में NRC के डर से 30 से ज़्यादा लोग मर गए हैं। टीएमसी प्रमुख ने यह दावा नदिया ज़िले के रणाघाट में CAA और NRC के विरोध में आयोजित एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए किया।
ममता ने दावा किया है कि सिर्फ पश्चिम बंगाल में अब तक CAA-NRC के डर से 31 लोगों की जान जा चुकी है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के इशारे पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोेलियां चलायी गयींं। असम और पश्चिम बंगाल दोनों जगह मिलाकर अब तक CAA-NRC के डर और हिंसा के कारण 130 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।
4 फरवरी को एक सभा को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने कहा,'मैंने कई बार ये बात कही है कि मैं बंगाल में NRC लागू नहीं होने दूंगी, लेकिन मेरे आश्वासनों के बावजूद NRC के डर से 30 से ज़्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।" इसके पहले 25 सितम्बर 2019 को मिदनापुर में ममता बनर्जी ये दावा कर चुकी हैं कि नागरिकता खोने के डर से बंगाल में 11 लोग आत्महत्या कर चुके हैं।
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रणाघाट की जनसभा में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने CAA और NRC के बहाने मोदी सरकार पर जम कर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर जम कर गोलियां चलायी गईं। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि बीजेपी उससे असहमति रखने वाले हर व्यक्ति को आतंकित करने की कोशिश कर रही है,असम में NRC के डर से 100 लोगों की मौत हो चुकी है।
उन्होंने महाभारत और देश के इतिहास के जरिये बीजेपी को घेरते हुए कहा कि NPR, NRC और CAA काला जादू की तरह है। हम बीजेपी की तरह दु:शासनों की पार्टी नहीं हैं, वे मोहम्मद बिन तुग़लक़ के वंशज हैं और आम लोगों को देश बचाने की खातिर साथ आना चाहिए।
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सभा को सम्बोधित करते हुए ममता बनर्जी ने ये सवाल भी पूछा कि मेरे पास मेरी माँ का जन्म प्रमाणपत्र नहीं है तो क्या केंद्र की बीजेपी सरकार मुझे भी देश से बहार फेंक देगी? लोगों को ये बताते हुए कि उनकी सरकार बंगाल में NPR से जुडी गतिविधियों पर रोक लगा चुकी है, ममता बनर्जी ने उन्हें आगाह करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने बंगाल में लोगों के बीच घृणा एवं विद्वेष फैलाने के मक़सद से कुछ "धार्मिक कट्टरपंथियों" को भेजा है।
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उन्होंने कहा-"अब वो लोग NPR की बात कर रहे हैं। ख़बरदार! अगर कोई आपके घर आता है और आपके माता-पिता का नाम पूछता है तो उन्हें विवरण मत देना। मतदाता सूची में जानकारी दुरुस्त करने को छोड़कर अन्य किसी भी भी चीज़ के लिए किसी भी तरह के दस्तावेज़ उन्हें मत सौंपना। उनके साथ साफ़गोई से भी मत पेश आना। केंद्र सरकार ने कुछ घृणित धार्मिक कट्टरपंथियों को भेजा है जिनका काम बस घृणा फैलाना है, इसलिए एक धार्मिक हिन्दू होने के नाते मैं इन्हें अपने समुदाय का सदस्य नहीं मानती हूँ।