उत्तराखण्ड के हल्द्वानी में भी शाहीनबाग की तरह CAA के खिलाफ धरने पर बैठी महिलायें, कहा देश में अराजकता फैला रही मोदी सरकार

Update: 2020-01-23 13:39 GMT

उत्तराखंड में नागरिकता संशोधन अधिनियम और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के खिलाफ उमड़ा जनसैलाब, प्रदर्शनकारियों ने कहा देश को बांटने और अराजकता का माहौल पैदा करने की कोशिश कर रही मोदी सरकार...

हल्द्वानी से संजय रावत की रिपोर्ट

जनज्वार। एनआरसी और सीएए के विरोध की लहर शाहीन बाग से कई शहरों का रुख कर चुकी है जिसमे अब उत्तराखंड के कुमाऊँ द्वार हल्द्वानी का नाम भी शामिल हो चुका है।Full View हल्द्वानी में 21 दिसंबर को भी नगरवासियों ने करीब 60-70 हजार की तादात में जुटकर विशाल रैली के रूप में शांतिपूर्ण जुलूस निकाल अपना विरोध जताया था

सकी अगली कड़ी के रूप में कल रात से कड़ाके की ठंड और शीतलहर के बीच मुस्लिम महिलाओं का अनिश्चितकालीन धरना जारी है। CAA और NRC के विरोध में सैकड़ो की संख्या में महिलाओं ने ताज चौराहे पर देशभक्ति के नारों के साथ केन्द्र सरकार पर जमकर जुबानी हमला बोला।

संबंधित खबर : CAA-NPR के लिए सरकार नहीं मांग रही कोई कागज, ‘कागज नहीं दिखाएंगे’ के नारे के कारण आंदोलनकारियों में फैल रहा भारी भ्रम

प्रदर्शनकारी महिलाओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की दमनकारी नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह देश को बांटने और अराजकता का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि उनका धरना तब तक रहेगा जब तक केन्द्र सरकार द्वारा बिल वापस नहीं लिया जाता है। कड़ाके की ठंड में घर का चूल्हा छोड़ बच्चों के साथ महिलाएं धरने पर बैठी हैं।

Full View पर बैठी महिलाओं ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार द्वारा नागरिक संशोधन कानून में सभी जाति और धर्म के लोगों को शामिल किया जाय। महिला एकता मंच ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हल्द्वानी में चल रहे धरना प्रदर्शन को धरना स्थल पर पहुंचकर समर्थन दिया।

Full View स्थल पर हुई सभा को संबोधित करते हुए मंच की संयोजक ललिता रावत ने कहा कि भाजपा सरकार सीएए के माध्यम से समाज को बांटने की घृणित राजनीति कर रही है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। उन्होंने कहा कि सरकार हम महिलाओं को कमजोर न समझे।

संबंधित खबर : इलाहाबाद में CAA-NRC विरोधी प्रदर्शनकारी महिलाओं को मिला साधु-संतों का समर्थन

हिला नेत्री कौशल्या ने कहा कि नागरिकता कानून में हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसियों के साथ मुस्लिमों व अन्य सभी को नागरिकता दी जानी चाहिए।

प्रदर्शनकारी मरियम कहती हैं, 'हम चाहते हैं कि एनआरसी और सीएए का बहिष्कार हो, क्योंकि जो अमीर लोग हैं वो तो अपने दस्तावेज सुरक्षित रख सकते हैं लेकिन जो गरीब लोग हैं जिनके घर में बिजली तक नहीं है, वो अपने दस्तावेज सुरक्षित नहीं कर सकते। आप दस्तावेज के लिए कह रहे हैं, हम हिंदुस्तानी थे, हैं और रहेंगे।'

Full View अन्य प्रदर्शनकारी लड़की ने कहा कि एनआरसी लागू करने के लिए मोदी सरकार ने जो CAA बनाया है, हमने देखा है कि असम में एनआरसी किया गया। वहां 19 लाख लोगों को डिटेंशन कैम्पों में डाला गया, लेकिन भारत की जनता इतनी अमीर नहीं है कि सबका अपना मकान हो। भारत की अधिकांश जनता मजदूर तबके से है। हम तो अपने दस्तावेज दिखा सकते हैं लेकिन एक रिक्शा-ऑटोचालक कहां से अपने दस्तावेज दिखाएगा।

Tags:    

Similar News