हरियाणा: जिंद जिले के 6 मुस्लिम परिवारों ने की हिंदू धर्म में वापसी

Update: 2020-04-23 12:55 GMT

इन परिवारों का कहना है कि ये बिना किसी दबाव के हिंदू धर्म अपना रहे हैं. इनका कहना है कि इनके पूर्वज हिंदू थे इसलिए यह ऐसा कर रहे हैं...

मनोज ठाकुर की रिपोर्ट

जनज्वार, चंडीगढ़: हरियाणा के जींद जिले के गांव दनौदा कलां में 6 मुस्लिम परिवारों ने हिंदू धर्म में वापसी की है। परिवार के एक सदस्य रमेश कुमार ने बताया कि इसके लिए उन पर किसी ने कोई दबाब नहीं डाला है। वह अपनी इच्छा से यह कदम उठा रहे हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि वह पहले भी हिंदू थे। लेकिन मुगलकाल में उनके पुरखों ने मुस्लिम धर्म अपना लिया था। तब से लेकर अभी तक वह मुस्लिम की तरह ही जीवन यापन कर रहे थे।

गांव के मनीर मिरासी की विरासत के सदस्य रमेश कुमार ने बताया कि मुस्लिम बादशाह औरंगजेब के समय में उनके दादा-परदादा हिंदू थे। उनके अत्याचारों से तंग आकर उन्होंने अपने परिवार की सुरक्षा के लिए मुस्लिम धर्म को अपनाया था। अब सोशल मीडिया तथा अन्य माध्यमों से उनके परिवार के शिक्षित नौजवानों को जब यह पता चला कि उनके पूर्वज तो हिंदू थे। इसलिए सभी चाहते थे कि हमें दोबारा से हिंदू ही होना चाहिए। इस को लेकर उनके परिवारों काफी समय से चर्चा चल रही थी।

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बीते शनिवार को जब उनके परिवार के एक बुजुर्ग नेकाराम का निधन हुआ। तब उन्होंने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि वह शव को दफनाने की बजाय इसका अंतिम संस्कार करेंगे। पूरा परिवार इस पर राजी हो गया। इसके बाद उन्होंने अंतिम संस्कार किया। इसके बाद परिवार के लोगों ने यह भी घोषणा कर दी कि वह अब हिंदू धर्म अपना रहे हैं।

गांव के सरपंच पुरुषोत्तम शर्मा ने बताया कि मनीर मिरासी के परिवार ने बिना किसी दबाव और अपनी इच्छा से हिंदू धर्म में वापसी की है। हिंदू धर्म के अनुसार कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म को धारण कर सकता है। इसमें किसी को कोई आपत्ति भी नहीं, बल्कि समस्त गांव इनके इस फैसले का सम्मान करता है।

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उन्होंने बताया कि यह परिवार मरासी परिवार है, जो नाचने गान का काम करते है। इनके नाम भी हिंदू नामों की तरह ही थे। लेकिन यह थे मुस्लमान। अब इन्होंने हिंदू धर्म अपनाने की घोषणा की है। उन्हें इसके लिए किसी ने कोई दबाव नहीं डाला। गांव में इन्हें पहले भी सम्मान मिलता था। इसलिए ऐसा कुछ नहीं है कि वह दबाव में आकर इस तरह का कदम उठा रहे हैं।

परिवार के लोगों ने भी बताया कि वह किसी तरह के दबाव में नहीं हैं। उन्हें बस लगता है कि क्योंकि उनके पुर्वज हिंदू थे, इसलिए उन्हे भी हिंदू धर्म में वापसी करनी चाहिए। इसी सोच के तहत यह कदम उठाय गया है।

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