कश्मीर : नये साल पर 5 महीने बाद SMS सेवा बहाल, सरकारी अस्पतालों में ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवा भी ऑन
सरकार ने की कश्मीर के सभी सरकारी अस्पतालों में 31 दिसंबर मध्यरात्रि से इंटरनेट सेवा और सभी मोबाइल फोन पर पूरी तरह से एसएमएस सेवा बहाल...
जनज्वार। कश्मीर में मोदी सरकार ने 5 महीने पहले अगस्त में अनुच्छेद 370 खत्म कर दिया था यानी राज्य को मिला विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया गया था, जिसके बाद उसे इंटरनेट से अलग-थलग कर दिया गया था।
अब आज नये साल पर कश्मीरियों के लिए यह किसी तोहफे जैसा है कि इतने लंबे समय बाद वहां SMS सेवा बहाल की गयी है और कश्मीर के सरकारी अस्पतालों में ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवा शुरू कर दी गई है। 5 अगस्त से ही पूरे जम्मू-कश्मीर में इन सेवाओं पर रोक लगा दी गई थी।
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31 दिसंबर की देर रात यहां एसएमएस सेवाएं शुरू हो चुकी हैं। हालांकि कश्मीर में अभी मोबाइल पर इंटरनेट और प्रीपेड मोबाइल सेवा बहाल होना बाकी है। गौरतलब है कि मोबाइल इंटरनेट के अलावा अधिकतर सेवाएं 5 अगस्त को प्रतिबंध लगाने के एक हफ्ते के भीतर ही जम्मू में शुरू कर दी गई थीं, मगर कश्मीर में लैंडलाइन और पोस्टपेड सेवा तमाम प्रतिबंधों के साथ शुरू की गयी।
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जम्मू कश्मीर प्रशासन के स्पोकपर्सन रोहित कंसल कहते हैं, ‘सरकार द्वारा सभी सरकारी अस्पतालों में 31 दिसंबर मध्यरात्रि से इंटरनेट सेवा और सभी मोबाइल फोन पर पूरी तरह से एसएमएस सेवा बहाल करने का निर्णय लिया गया है।'
रोहित कंसल के मुताबिक, 'अभी यह फैसला नहीं लिया गया है कि कश्मीर में इंटरनेट सेवाएं कब शुरू की जाएंगी। यह मुद्दा सरकार के संज्ञान में है। स्थिति सुधरने के साथ जल्द ही इंटरनेट सेवा भी शुरू कर दी जाएगी। चरणबद्ध तरीके से सभी सरकारी अस्पतालों और स्कूलों में इंटरनेट सेवा शुरू कर दी जाएगी।'
वहीं जम्मू-कश्मीर के हालातों पर पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह ने मीडिया से हुई बातचीत में कहा कि '2019 में 160 आतंकवादी मारे गए और 102 को गिरफ्तार किया गया, जबकि आतंकवादी संगठनों में शामिल होने वाले स्थानीय युवाओं की संख्या में कमी आई है। 2018 में इस तरह के 218 स्थानीय युवक आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए थे, लेकिन 2019 में केवल 139 शामिल हुए।'
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यानी पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह की मानें तो आतंकवादी घटनाओं में 30 प्रतिशत की कमी आई है और पिछले वर्ष की तुलना में कानून-व्यवस्था से जुड़ी घटनाओं में 36 प्रतिशत की गिरावट आई है। बकौल डीजीपी ‘इस वर्ष इस तरह (कानून एवं व्यवस्था) की केवल 481 घटनाएं हुई है, जबकि पिछले वर्ष यह संख्या 625 थी।'
गौरतलब है कि पिछले साल कश्मीर में 5 अगस्त, 2019 को मोबाइल सेवाओं पर उस समय प्रतिबंध लगा दिया गया था, जब केंद्र की मोदी सरकार ने राज्य का विशेष दर्जा समाप्त कर उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था। जम्मू में प्रतिबंध के कुछ दिनों बाद ही संचार सेवाएं बहाल कर दी गईं और अगस्त के मध्य में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं भी शुरू कर दी गई थीं। 18 अगस्त को कश्मीर में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं थीं जो अब तक बंद चल रही हैं।