सूरत में 100 महिला क्लर्कों को टेस्ट के नाम पर निर्वस्त्र करने का मामला आया सामने, पूछे आपत्तिजनक सवाल

Update: 2020-02-21 05:54 GMT

सूरत म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन के निजी अस्पताल में महिला ट्रेनी क्लर्कों को निर्वस्त्र कर मेडिकल टेस्ट के नाम पर 10—10 के ग्रुप्स में खड़ा किया गया था लाइन में, फिंगर टेस्ट के अलावा अविवाहित महिलाओं से पूछे गये थे आपत्तिजनक सवाल...

जनज्वार। अभी भुज के एक कॉलेज में छात्राओं के अंडरवियर उतारकर माहवारी चैक करने का मामला उबाल पर ही है कि गुजरात से ही एक ऐसी खबर आ रही है जिस पर तमाम सवाल उठने शुरू हो गये हैं। गुजरात के सूरत स्थित एक अस्पताल में महिला ट्रेनी क्लर्कों के स्त्री रोगों की जांच के लिए निर्वस्त्र किए जाने का मामला सामने आया है। इसे लेकर नगर निगम आयुक्त से शिकायत भी की गई है। इन महिला क्लर्कों को न सिर्फ स्त्री रोगों की जांच के नाम पर निर्वस्त्र किया गया, बल्कि कई आपत्तिजनक सवाल भी पूछे गये।

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नबीटी में प्रकाशित खबर के मुताबिक एसएमसी कर्मचारी संघ ने म्युनिसिपल अधिकारी के पास शिकायत दर्ज करायी है कि गुजरात सरकार द्वारा संचालित सूरत म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (एसएमसी) के एक अस्पताल में तकरीबन 100 ट्रेनी महिला क्लर्को। को अनिवार्य फिटनेस टेस्ट के नाम पर 10-10 के समूहों में निर्वस्त्र खड़ा रहने को कहा गया था। इस दौरान उनकी प्राइवेसी को लेकर भी असंवेदनशीलता दिखाई गई। आरोप यह भी है कि इस दौरान फिंगर टेस्ट के अलावा महिलाओं से अभद्रता भी की गयी।

Full View अधिकारी के मुताबिक जिस कमरे में महिलाओं को निर्वस्त्र अवस्था में 10—10 के ग्रुप्स में खड़ा रहने का निर्देश दिया गया था, वहां का दरवाजा भी ठीक से बंद नहीं किया गया था। कमरे में सिर्फ एक परदा लगा था। इस दौरान विवादित फिंगर टेस्ट के अलावा महिलाओं के साथ दूसरी तरह की भी अभद्रता करने की बातें सामने आ रही हैं। कहा जा रहा है कि महिलाओं से निहायत निजी सवाल पूछे गए। कई अविवाहित महिलाओं से पूछा गया कि क्या वे कभी गर्भवती हुई हैं? क्लर्क की ट्रेनिंग के दौरान इस टेस्ट से गुजरीं कई महिलाओं ने स्त्री रोगों की जांच कर रही महिला डॉक्टरों पर आरोप लगाया कि उन्होंने उनके साथ बदसलूकी भरा बर्ताव किया।

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स मसले पर अस्पताल के स्त्री रोग विभाग प्रमुख आश्विन वछानी कहते हैं, हॉस्पिटल की गाइडलाइन के अनुसार महिलाओं की शारीरिक जांच अनिवार्य है। आश्विन वछानी के मुताबिक उन्हें नहीं पता कि ऐसी जांच पुरुषों की होती है या नहीं, लेकिन महिलाओं के मामले में हमें इन नियमों का पालन करना पड़ता है और जांच करनी होती है कि कहीं किसी महिला को किसी तरह का रोग तो नहीं है।

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गौरतलब है कि अभी पिछले हफ्ते ही गुजरात के ही भुज में स्थित सहजानंद गर्ल्स इंस्टीट्यूट के हॉस्टल के गार्डन में एक इस्तेमाल किया हुआ सैनिटरी पैड मिलने के बाद कॉलेज की 68 लड़कियों को प्रिंसिपल के सामने माहवारी टेस्ट से गुजरना पड़ा था। इस दौरान उन्हें माहवारी न होने का 'सबूत' देने के लिए महिला टीचरों के सामने कपड़े उतारने पड़े थे। उनके अंडरवियर उतारकर माहवारी चैक की गयी थी। यह मामला काफी विवादित हुआ था और इसके सामने आने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने जांच के लिए कमिटी बिठायी है और कॉलेज के कई लोगों को निलंबित किया गया है।

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