ग्राउंड रिपोर्ट : यूपी में एक ऐसा गांव जहां युवाओं को नहीं मिल रही दुल्हन, कम उम्र में ही दिख रहे बुजुर्ग
कानपुर के भौंती में सॉलिंड कूड़ा वेस्ट प्लांट बना समस्याओं की वजह, युवाओं की नहीं हो रही शादी, कम उम्र में ही दिख रहे बुजुर्ग, इलाके में गंदगी के चलते टूट चुके हैं कई रिश्ते....
कानपुर से मनीष दुबे की खास रिपोर्ट
जनज्वार। कानपुर में कई सालों की सर्दी का रिकॉर्ड तोड़ने के बाद फिलहाल सूर्यदेव मेहरबान तो हुए हैं, बशर्ते चल रही ठंडी हवाएं लोगों को राहत देती नजर नहीं आ रहीं हैं। वहीं दूसरी ओर कानपुर शहर के भौंती में कूड़ा प्लांट की वजह से बड़ी समस्या लोगों को घेर रही है। यहां बढ़ती उम्र के लड़कों की नहीं हो रहीं शादियां, सैकड़ों लड़के घूम रहे कुँवारे, हजारों शिकायतों के बाद भी प्रशासन ग्रामीणों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहा है और न ही इस इसके निवारण के लिए कोई सख्त कदम उठा रहा है।
इस कूड़ा प्लांट की निगहबानी या यूं कहें कि इसका कारण बने ये अधिकारी हर तरीके से बोलने से बच रहे हैं। एक अधिकारी आरके सिंह जनज्वार से हुई बातचीत में अपना पल्ला झाड़ते हुए नजर आये तो वहीं नगर निगम के तथाकथित शुक्ला जी नगर आयुक्त की दुहाई दे रहे हैं और कह रहे हैं कि उन्हीं से समय लेकर बातचीत करें। इसके अलावा दोनों ने आन कैमरा कुछ भी बोलने से साफ इनकार कर दिया।
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गाँव के निवासियों के मुताबिक ये कूड़ा प्लांट पहले छोटे स्तर पर शुरू हुआ था। बाद में फैलते फैलते इतना फैल गया कि कई किलोमीटर के क्षेत्रफल को अपने लपेटे में ले लिया। गाँव के हजारों लोगों ने इसकी शिकायत की। लिखित और मौखिक तौर पर लोग शासन प्रशाशन तक दौड़े भी, पर वो दुशासन से ज्यादा कुछ भी साबित नहीं हुए। किसी की भी कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई।
इस कूड़े व गंदगी की जद में कोई एक नहीं बल्कि कई गांव बदहाल हैं। बदुआपुर, पनकी पड़ाव, जमुई, सरायमिता के अलावा और भी कई गांव और मुहल्ले हैं, जहां के निवासी गंदगी व दुर्गंध से परेशान हैं। इन गांवों की समस्यायों की वजह है कानपुर नगर निगम का सॉलिड वेस्टेज कूड़ा प्लांट। ये कूड़ा प्लांट इन गांवों से सटा हुआ है, जिसकी वजह से गांव में गंदगी, दुर्गंध और बीमारियां फैली रहती हैं। इसके कारण कोई भी अपनी लड़की की शादी इस गांव में नहीं करना चाहता है।
यहीं गांव में मजदूरी करने वाले रवि कहते हैं कि बहुत बुरा हाल है यहां का। हर प्रकार की स्थितियां खराब हैं जिस पार्टी को वोट दिया उसी की सरकार है, पर फिर भी हम लोग परेशान हैं। क्या फायदा है वोट देने का। हमें तो कोई फायदा नहीं मिला। एक बार वोट लेने के बाद कोई दुबारा मिलने देखने तक नहीं आता। अपना काम बनाया और चलते बने यही राजनीति होती है। अब इनका कहना है कि वो भूल चुके हैं कि किस पार्टी को वोट किया थ और अब न ही आगे देंगे भी।'
कूड़ा प्लांट की गंदगी से गांव में दुर्गंध व बीमारियां फैल चुकी है। गाँव के कई लोग अपना घर मकान छोड़कर जा चुके हैं, तो यहां के लड़कों की शादी नहीं हो रही है। ग्रामीण कहते हैं कि रिश्ते वाले तो गांव के लड़के देखने के लिए खूब आते हैं, लेकिन जब वो कूड़ा प्लांट व उससे फैली गंदगी दुर्गंध को देखते हैं तो वापस लौट जाते हैं। इतना ही नहीं इन गांवों के ज्यादातर लोग गंभीर बीमारियों की चपेट में हैं, तो रिश्ते वाले रिश्ता करने के लिए तैयार नहीं होते हैं। आलम यह है कि कई लोगों की शादी तय होने के बावजूद टूट चुकी है।
गांव के सैकड़ों लड़के घूम रहे कुँवारे
गांव के सैकड़ों लड़के कुँवारे ही घूम रहे हैं। गांव की ही एक महिला कहती है, उनको कूड़ा प्लांट की वजह से दमे की बीमारी है और उनका बेटा शादी के लायक है, लेकिन इस बीमारी और गंदगी के कारण उसकी शादी नहीं हो पा रही है। और तो और उन्हें उम्मीद भी नही है कि कभी ये कूड़ा यहां से हट भी पायेगा।
यहीं की निवासी राजमती का कहना है कि इस कूड़े और इसकी दुर्गंध की वजह से कई लोग यहां से पलायन कर चुके हैं। लड़की वाले शादी के लिए रिश्ता लेकर गांव में तो आते हैं, पर वो वापस लौट जाते हैं। कई लोग गंभीर बीमारियों की चपेट में हैं। ज्यादा कुरेदने पर वो उल्टा कोसने लगती हैं, कहती हैं "का करिहौ जानी के"। वोट उन्होंने मोदी को दिया था जब वो ही नही सुन रहा तो आखिर किसपे और क्यों भरोसा करे।
गाँव में किराने की दुकान चला रहा रवि राजपूत का कहना है कि उसकी उम्र शादी की हो चुकी है। चार पांच रिश्ते आये भी, पर वो कैंसल हो गए। गांव में हर वर्ष कई लोगों की कूड़े की वजह से फैली बीमारियों से मौत हो जाती है। अनजाने में भले ही किसी की शादी हो जाये, तो हो जाये पर कोई अगर जान जाता है तो वो अपनी लड़की यहां नहीं देना भेजना चाहता है।
यहीं इसी गांव के निवासी रामचंद्र बताते हैं कि इस कूड़े के ढेर से सभी परेशान हैं। गांव में अब तक इसके चलते 15 से 16 लोगों की मौतें हो चुकीं हैं। गांव में लगभग 100 से अधिक परिवार रहते हैं, जो बेहद परेशान हैं। गंदगी का आलम ये है कि लोगों को खाना तक खाने में दिक्कतें होती हैं। लोग कई बार छेत्रिय सभासद विधायक कब पास गए, पर कोई सुनवाई नहीं हुई। वोट देने के नाम पर वो कहते हैं कि भाजपा को वोट किया था।
गाँव के बुजुर्ग निवासी रामचंद्र ने बताया कि गाँव के लोगों को इन हालातों में रहते हुए कई गंभीर बीमारियों के शिकार हो चुके हैं। इसमे सबसे अधिक लोग सांस और दमे की बीमारी से ग्रसित हैं। तो करीब अब तक गांव में 15 से भी अधिक मौतें हो चुकी हैं। वहीं गांव के निवासी रवि कहते हैं कि मौतों के ये आंकड़े वो हैं जो बुजुर्ग हैं इसके अलावा भी लोग जो अभी कम उम्र अधेड़ भी मौत के मुंह मे जा चुके हैं। मच्छर मक्खियां इतनी अधिक हैं कि खाना तक खाने में दिक्कतें होती हैं।
सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कल 22 जनवरी को शहर में थे। यहां उन्होंने चंद्रशेखर कृषि विश्वविद्यालय जाकर जैविक खेती के बारे में समझा, उसके बाद साकेत नगर स्थित रामलीला ग्राउंड में रैली कर आगामी चुनाव की गड़ित भी साधेंगे, लेकिन वहीं पिछले चुनाव में उन्हें और उनकी पार्टी को वोट कर चुके बदुआपुर और इसके आस पास के गाँव वालों की हालत दयनीय है। इसे देखने सुनने को कोई भी जनप्रतिनिधि तैयार नहीं है। आलम यह है कि लोग अपने घरों से कूँच कर रहे हैं। तो कुछ कांशीराम कालोनियों में रहने लगे हैं। लेकर सरकार बेफिक्र होकर अगली सरकार बनाने की रणनीति में जुट चुकी है।