गुजरात : आदिवासी हितों का सवाल उठाने वाले भाजपा सांसद मनसुख वसावा ने ले लिया इस्तीफा वापस

वसावा ने कहा है कि उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व से बात की तो उन्होंने कहा कि अगर आप सांसद बने रहते हैं तो आपका इलाज सरकारी खर्चे पर होता रहेगा लेकिन अगर सांसद के पद से इस्तीफा दे देते हैं तो यह सुविधा नहीं मिलेगी।

Update: 2020-12-31 03:59 GMT

Mansukh Vasava File Photo.

जनज्वार। गुजरात भाजपा के वरिष्ठ नेता व सीनियर सांसद मनसुख वसावा (Mansukh Vasava BJP) ने पार्टी से अपना इस्तीफा ले लिया। गुजरात में आदिवासी समुदाय का बड़ा राजनीतिक चेहरा माने जाने वाले मनसुख वसावा ने आदिवासियों के हितों पर भाजपा की प्रदेश व केंद्रीय सरकार के सामने कुछ सवाल उठाए थे और उसके बाद इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने जब इस्तीफा दिया था तो पत्र में 'मुझे मेरी गलतियों के लिए माफ कर दीजिए' जैसी पंक्ति का उल्लेख था और अब उन्होंने अपना इस्तीफा वापस लेकर भी सबको चकित कर दिया है।

मनसुख वसावा ने बुधवार (30 दिसंबर 2020)को गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी (Vijay Rupani) से मुलाकात के बाद इस्तीफा ले लिया। मुख्यमंत्री से 45 मिनट की मुलाकात के बाद उन्होंने अपना इस्तीफा वापस लेने का ऐलान करते हुए कहा कि उन्हें पार्टी और सरकार से कोई दिक्कत नहीं है। मालूम हो कि वसावा ने इससे पहले मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को पत्र लिख कर राज्य में आदिवासी महिलाओं की बढ रही तस्करी पर सवाल उठाया था और चिंता जाहिर कर उनकी सुरक्षा की बात कही थी।

मनसुख वसावा ने मुख्यमंत्री से मिलने के बाद मीडिया को बताया कि उनकी पीठ व गर्दन में दर्द है और आराम करने के उद्देश्य से ही उन्होंने इस्तीफा दिया था। उन्होंने कहा कि डाॅक्टर व वैद्य उनका इलाज कर रहे हैं। उन्होंने ही आराम करने की सलाह दी है।

वसावा ने कहा कि उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व से बात की तो उन्होंने कहा कि अगर आप सांसद बने रहते हैं तो आपका इलाज सरकारी खर्चे पर होता रहेगा लेकिन अगर सांसद के पद से इस्तीफा दे देते हैं तो यह सुविधा नहीं मिलेगी। इसलिए आप सांसद रहते हुए आराम करें और दूसरे पार्टी कार्यकर्ता संसदीय क्षेत्र में आपकी जिम्मेवारियां निभाएं। उन्होंने कहा कि पार्टी मेरे लिए इसके अनुरूप व्यवस्था कर रही है इसलिए मैंने इस्तीफा ले लिया।

मनसुख वसावा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा था और नर्मदा जिले में स्टैच्यू आफ यूनिटी के इर्द-गिर्द इको सेंसेटिव जोन बनाने पर सवाल उठाते हुए था कि इससे स्थानीय आदिवासी समुदाय को दिक्कत आएगी। उन्होंने कहा था कि अधिकारी उन्हें परेशान करेंगे। उन्होंने सरकार से केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा इस संबंध में जारी की गयी अधिसूचना को वापस लेने की मांग की थी।

इस अधिसूचना के तहत स्टैच्यू आफ यूनिटी के आसपास 121 गांवों को इको सेंसेटिव जोन घोषित किया गया है। स्थानीय आदिवासी इसका विरोध भी कर रहे हैं। मनसुख वसावा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखने के अगले ही दिन गुजरात भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल को अपना इस्तीफा भेज दिया था।

गुजरात के भरूच से सांसद मनसुख वसावा ने मंगलवार (29 दिसंबर 2020) को इस्तीफा दिया था और अगले ही दिन उनकी मुख्यमंत्री विजय रूपाणी से मुलाकात तय की गयी।

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