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बिहार चुनाव 2020

'बिहारी बनने के लिए रंगे सियार की तरह खाते हैं लिट्टी-चोखा, कोई टीवी सीरियल चल रहा क्या', कन्हैया ने PM मोदी पर साधा निशाना

Janjwar Desk
29 Oct 2020 9:34 AM GMT
बिहारी बनने के लिए रंगे सियार की तरह खाते हैं लिट्टी-चोखा, कोई टीवी सीरियल चल रहा क्या, कन्हैया ने PM मोदी पर साधा निशाना
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कन्हैया कुमार ने कहा कि ये महागठबंधन हमारी व्यक्तिगत महत्वकांक्षा के लिए नहीं है, ये गठबंधन हमारी अवसरवादिता के आधार पर नहीं बल्कि इस आधार पर बनाया है कि अब जनता को ठगने नहीं देंगे....

चंपारण। बिहार विधानसभा चुनाव के बीच जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष और सीपीआई नेता कन्हैया जमकर चुनावी जनसभाएं कर रहे हैं। गुरवार को उन्होंने चंपारण में एक जनसभा को संबोधित किया जिसमें बड़ी संख्या में महागठबंधन के समर्थक पहुंचे हुए थे। इस दौरान कन्हैया कुमार पीएम मोदी और बिहार की नीतीश सरकार पर जमकर हमले बोले।

कन्हैया कुमार ने कहा कि 'जिन लोगों ने हमको हमारे ही देश में प्रवासी बनाया है, उन लोगों का हिसाब-किताब चुकता करने का वक्त आ गया है। इस बात को याद रखिएगा, हमारे बच्चों को पढ़ने के लिए बाहर जाना पड़ेगा। बिहार में पटना यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी बना दिया होता तो हम पटना में रहकर पीएचडी कर रहे होते।'

पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कन्हैया कुमार ने कहा, 'कभी-कभी ये लोग रंगे सियार की तरह जबरदस्ती बिहारी बनने के लिए लिट्टी-चोखा खाते हुए नजर आते हैं। हम लोग खाली लिट्टी चोखा नहीं खाते हैं, हम लोग मुजफ्फरपुर में लिंची भी उगाते हैं, हाजीपुर में केला भी उगाते हैं, सासाराम में धान भी उगाते हैं, बेगुसराय में मक्का भी उगाते हैं,ये चंपारण की धरती है यहां गन्ना भी उगाते हैं। आपको क्या लगता है कि बिहार में टीवी सीरियल चल रहा है?'

उन्होंने आगे कहा कि बिहार के 12 करोड़ लोगों के मुस्तकबिल का सवाल है। उनके भविष्य का सवाल है। इसलिए ये गठबंधन हमारी व्यक्तिगत महत्वकांक्षा के लिए नहीं है। ये गठबंधन हमारी अवसरवादिता के आधार पर नहीं बल्कि इस आधार पर बनाया है कि अब जनता को ठगने नहीं देंगे। बिहार के युवाओं ने ठाना है, नया बिहार बनाना है।

कन्हैया ने कहा कि हम आपसे पूछना चाहते हैं, हमारी क्या गड़बड़ी है भाई? कोटा में पढ़ने वाला बिहारी, पढ़ाने वाला बिहारी तो मोतिहारी में कोई कोचिंग क्यों नहीं खुलेगा। जमीन बेचकर, बैंक से लोन लेकर जब बच्चे को पढ़ने के लिए कोटा भेजते हैं, तो बच्चा तीन साल तैयारी करता है, खिचड़ी खाता है, ऐसा लगता है जैसे उसे कोई परमानेंट बीमारी लग गया है।

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