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Digital House Arrest : डिजिटल अरेस्ट करके सेना के रिटायर्ड मेजर जनरल से दो करोड़ की ठगी, जानिये कैसे चुनते हैं साइबर ठग अपना शिकार

Janjwar Desk
28 Aug 2024 10:57 AM GMT
Digital House Arrest : डिजिटल अरेस्ट करके सेना के रिटायर्ड मेजर जनरल से दो करोड़ की ठगी, जानिये कैसे चुनते हैं साइबर ठग अपना शिकार
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खुद को नारकोटिक्स डिपार्टमेंट का अधिकारी बताकर रिटायर्ड मेजर जनरल एनके धीर को डिजिटल अरेस्ट किया था और इसके बाद उनसे दो करोड़ रुपये की ठगी कर ली....

प्रेमा नेगी की रिपोर्ट

Digital House Arrest : हमारे देश में 'डिजिटल इंडिया' मुहिम के बाद ऑनलाइन रुपए ट्रांसफर करने की रफ्तार जिस गति से बढ़ी है, उसी गति से साइबर अपराध भी बढ़ते जा रहे हैं। अब इस ठगी में एक नया तरीका जुड़ गया है डिजिटल अरेस्ट का, जिसमें अच्छे खासे पढ़े-लिखे लोगों को ठग अपना निशाना बना रहे हैं।

ठगी का शिकार ज्यादातर केसों में उच्च वर्ग या उच्च मध्य वर्ग के लोग शामिल हैं, जिनसे लाखों में नहीं बल्कि करोड़ों में ठगी होती है और ठगे जाने के बाद उन्हें इसका अहसास होता है। कई मामलों में ठगी के बहुत समय बाद उन्हें ठगे जाने का पता चला है। डिजिटल अरेस्ट करके ठगी किये जाने के मामलों से आजकल अखबार पटे रहते हैं।

हाल में भारतीय सेना के एक रिटायर्ड मेजर जनरल को साइबर ठगों ने डिजिटल अरेस्ट करके अपना निशाना बनाया है। डिजिटल अरेस्ट करके नोएडा के सेक्टर-31 में रहने वाले रिटायर्ड मेजर जनरल से जालसाजों ने दो करोड़ रुपये की ठगी की है। जानकारी के मुताबिक साइबर अपराधी ने खुद को नारकोटिक्स डिपार्टमेंट का अधिकारी बताकर रिटायर्ड मेजर जनरल एनके धीर को डिजिटल अरेस्ट किया था और इसके बाद उनसे दो करोड़ रुपये की ठगी कर ली। ठगी की जानकारी होने के बाद पीड़ित रिटायर्ड मेजर जनरल ने शिकायत साइबर क्राइम थाने की पुलिस से शिकायत की है। फिलहाल पुलिस उन खातों की जानकारी जुटाने में लगी हुई है, जिन खातों में ठगी की रकम ट्रांसफर हुई है।

नोएडा पुलिस को दी गई शिकायत में रिटायर्ड मेजर जनरल एनके धीर ने बताया कि 10 अगस्त को 2024 को मुझे एक फोन कॉल आया था। फोन पर बात करने वाले व्यक्ति ने बताया कि वह डीएचएल से बोल रहा है। मेरे नाम पर मुंबई से ताइवान के लिए एक पार्सल आया है। इसमें पांच पासपोर्ट, चार बैंक क्रेडिट कार्ड, कपड़े, 200 ग्राम एमडीएमए (ड्रग्स) और एक लैपटॉप है। कॉल करने वाले ने कहा कि यह अवैध सामान है। मेरे आधार कार्ड से छेड़छाड़ हुई है। इसको लेकर मुझे मुंबई क्राइम पुलिस में ऑनलाइन शिकायत दर्ज करानी चाहिए। फिर उसने मुझे किसी से कनेक्ट किया और उसने अपना नाम अजय कुमार बंसल बताया। मुझे उसने अपनी आईकार्ड की फोटो भेजी। ये सारी बातचीत व्हाट्सएप पर हो रही थी। इसमें मैं कॉलर को नहीं देख सकता था, लेकिन वह मुझे देख रहा था।

जालसाजों ने रिटायर्ड जनरल से पूछताछ के लहजे में बात करते हुए उनके पास सीबीआई का एक लेटर भी भेजा। इसमें साफ शब्दों में लिखा था कि जेल जाने से बचने के लिए किसी के साथ भी कोई जानकारी साझा नहीं करनी है। यानी इस दौरान ठगों ने रिटायर्ड सेना के अधिकारी को उन्हीं के घर पर डिजिटल अरेस्ट कर लिया है। फोन करने वाले लगातार उन्हें धमका रहे थे कि उन पर हमला भी हो सकता है, इसलिए वो उनके साथ अपनी मूवमेंट शेयर करें। इस दौरान जालसाजों ने पीड़ित की फाइनेंशियल जानकारियां हासिल कर लीं।

रिटायर्ड मेजर जनरल एनके धीर कहते हैं, उन्होंने मेरे म्यूच्यूअल फंड्स और एफडी को बताए एकाउंट में ट्रांसफर करने के लिए कहा, उनके पास मेरे फंड्स की पूरी जानकारी थी। मुझे बिना किसी को बताए 14 अगस्त को बैंक जाकर एक खाते में पैसा ट्रांसफर करने को कहा गया। जब मैंने ऐसा करने से इंकार किया तो मुझे विश्वास में लिया गया कि जालसाज बैंक अधिकारियों की मदद से आपके खाते के साथ छेड़छाड़ कर सकते है। मुझसे ड्रीम होम हाउसिंग एंड प्रॉपर्टीज के नाम के खाते में दो करोड़ रुपये ट्रांसफर करवाए गए। मुझसे कहा गया कि मेरी पहचान छुपाने के लिए इस अकाउंट को बनाया गया है। जांच में सिर्फ आधा घंटा लगेगा। इसके बाद मेरा पैसा वापस मेरे एकाउंट में डाल दिया जायेगा।

रिटायर्ड जनरल को डिजिटल अरेस्ट करके नारकोटिक्स विभाग के फर्जी अधिकारी ने अपने पूरे विश्वास में ले लिया और इसकी खबर उनके घरवालों को तक नहीं हुई। हालांकि अब ठगी के ऐसे मामलों से सतर्क करने के लिए साइबर पुलिस भी मुस्तैद हो चुकी है और तमाम प्रोग्राम्स-विज्ञापनों के माध्यम से जनता को जागरुक किया जा रहा है।

डिजिटल अरेस्ट के नाम पर हो रही साइबर क्राइम की घटनाओं से बचने के लिए साइबर पुलिस के अधिकारी बताते हैं कि इससे बचने का एकमात्र उपाय जागरूकता है। नोएडा साइबर क्राइम के एसीपी विवेक रंजन राय कहते हैं, कोई भी जांच एजेंसी डिजिटल अरेस्ट नहीं करती है, इसलिए यदि किसी के पास डिजिटल अरेस्ट के नाम से फोन आए तो डरने की जरूरत नहीं है, तुरंत इसकी सूचना स्थानीय पुलिस को दें।

सबसे पहले जानिये क्या है डिजिटल अरेस्ट

डिजिटल अरेस्ट ऐसी स्थिति को कहा जाता है जब साइबर ठगों द्वारा अलग-अलग सरकारी विभागों के नाम से कॉल किया जाता है। साइबर ठगों द्वारा कहा जाता है कि आपके सिम, आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट या अन्‍य दस्‍तावेजों के जरिए अवैध काम हो रहा है। इसी का डर दिखाकर व्‍यक्ति को घर से बाहर नहीं निकलने दिया जाता और पूरा खाता खाली करवा लिया जाता है। यानी साइबर अरेस्ट ठगी का एक ऐसा नया तरीका है जिसके जरिए अपराधी लोगों को बंधक बना लेते हैं। खुद को पुलिस, सीबीआई, कस्टम या अन्य किसी एजेंसी का बड़ा अधिकारी बताकर धमकी देते हैं कि उनके खिलाफ गंभीर प्रकरण दर्ज हैं।

डिजिटल अरेस्ट के मामलों में साइबर ठग एक एक ऐसा सेटअप बना लेते हैं, जिसमें लगता है कि वे पुलिस स्टेशन से बात कर रहे हैं। साइबर अपराधी पीड़ित को कॉल करके कहते हैं कि आपके फोन नंबर, आधार, बैंक अकाउंट से गलत काम हुए हैं। वे गिरफ्तारी का डर दिखाकर पीड़ित को घर पर ही कैद कर लते हैं। उन्हें पैसे देने के लिए मजबूर कर देते हैं।

जैसे-जैसे दुनिया डिजिटल हो रही है ऑनलाइन धोखा के तरीके में भी तेजी से बदलाव आए हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि वित्त वर्ष 2023 में करीब 30,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के बैंक फ्रॉड रजिस्टर किए गए।

कैसे बचें साइबर क्राइस से?

किसी भी तरह के साइबर फ्रॉड वह फिर चाहे डिजिटल अरेस्ट ही क्यों न हो, से बचने के लिए हमेशा सावधान और सतर्क रहना चाहिए। कभी भी अगर आप इस तरह के कॉल रिसीव करते हैं तो सबसे पहले आपको सावधान रहने की जरूरत है। इसके साथ ही ऑनलाइन स्कैम और फ्रॉड के तरीकों की जानकारी रखें। आपको यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि सरकार, बैंक या फिर कोई भी जांच एजेंसी कॉल पर आपको डरा या धमका नहीं सकती है। आप कॉल काटकर उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करवा लें।

किसी को भी कॉल पर पर्सनल या फाइनेंशियल डिटेल जैसी जानकारी भूलकर भी साझा न करें। अगर इस तरह की जानकारी आपको भेजनी भी पड़ी तो पहले उस कॉलर की पहचान जरूरी तौर पर वेरिफाई कर लें। यह बात गांठ बांधकर रख लें कि बैंक या कोई ऑफिशियल संस्था आपसे फोन पर पिन या आपसे जुड़ी निजी जानकारी नहीं पूछती है।

अगर आपको किसी भी तरह से स्कैमर्स की कॉल या मैसेज आते हैं तो इन्हें तुरंत रिपोर्ट करना चाहिए। इसके साथ ही अगर आपके बैंक अकाउंट में कुछ भी संदिग्ध लगता है तो इसकी शिकायत करें। स्कैम कॉल या मैसेज को रिपोर्ट करने के लिए सरकारी पोर्टल चक्षु का इस्तेमाल किया जा सकता है।

ऑनलाइन स्कैम या डिजिटल धोखाधड़ी से बचने के लिए अपने सभी अकाउंट (बैंक से लेकर सोशल मीडिया और ईमेल) को सुरक्षित रखना बहुत जरूरी है। अपने सभी पासवर्ड और पिन समय-समय पर अपडेट करते रहें और उन्हें मजूबत बनाने की कोशिश करें। इसके साथ ही अकाउंट की सेफ्टी के लिए 2-फैक्टर ऑथन्टिकेशन जरूर आन कर लेना चाहिए।

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