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अंधविश्वास

मेरठ में ग्रहण काल में दो महिलाओं ने टलवाया प्रसव, अंधविश्वास के लिए भी लेना पड़ा आधुनिक विज्ञान का सहारा

Janjwar Desk
24 Jun 2020 8:43 AM GMT
मेरठ में ग्रहण काल में दो महिलाओं ने टलवाया प्रसव, अंधविश्वास के लिए भी लेना पड़ा आधुनिक विज्ञान का सहारा
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मेरठ में दो गर्भवती महिलाओं के परिजनों ने ग्रहण काल को अशुभ मानते हुए बच्चे का जन्म टलवाया, पर इसके लिए अंधविश्वास नहीं विज्ञान ही काम आया।

जनज्वार। अंधविश्वास की जड़ें हमारे समाज में कितनी गहरी हैं, इसका एक नमूना रविवार को ग्रहण काल में मेरठ में दिखा। यहां एक अस्पताल में पहले से प्रसव के लिए भर्ती दो महिलाओं का प्रसव का समय ग्रहण काल में ही पड़ रहा था, लेकिन उन्होंने डाॅक्टर से आग्रह किया कि उनका प्रसव ग्रहण काल तक के लिए टाल दिया जाए।

डाॅक्टर ने उन्हें समझाने की कोशिश की कि ग्रहण में बच्चे के जन्म से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन वे नहीं मानीं। ऐसे में डाॅक्टर को उनके अंधविश्वास को पूरा करने के लिए आधुनिक विज्ञान का सहारा लेना पड़ा और प्रसव ग्रहण काल तक के लिए टाल दिया गया।

मेरठ के शास्त्री नगर के एक नर्सिंग होम में सीमा और पुष्पा नाम की दो गर्भवती महिलाएं प्रसव के लिए भर्ती थीं। पुष्पा दो दिन पहले से जबकि सीमा शनिवार की रात प्रसव के लिए भर्ती हुई थीं। पर, इनके परिवार को लोग यह नहीं चाहते थे कि बच्चा रविवार को ग्रहण काल में पैदा ले। ऐसे में इन्होंने अस्पताल की डाॅक्टर से आग्रह किया।

नर्सिंग होम की डाॅक्टर सुधा ने उन्हें समझाने की कोशिश की कि बच्चा स्वस्थ होना चाहिए और कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन वे नहीं माने। ऐसे में डाॅक्टर को विज्ञान का सहारा लेकर ग्रहण काल तक प्रसव को टाल दिया।

मालूम हो कि रविवार को सुबह सवा नौ बजे से दोपहर के तीन बजकर चार मिनट तक सूर्यग्रहण लगा हुआ था। सूर्य ग्रहण हो या चंद्र ग्रहण एक वैज्ञानिक व खगोलीय घटना है लेकिन इन्हें लेकर तरह-तरह की धार्मिक मान्यताएं हैं और सामन्य तौर पर इसको अशुभ काल माना जाता है।

बच्चों का जन्म एक शुभ मौका माना जाता है तो लोग अपनी मान्यताओं व अंधविश्वास की वजह से यह नहीं चाहते कि इनका जन्म वैसे काल में जो जिसे धार्मिक मान्यताओं के तहत अच्छा नहीं कहा गया है।

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