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National Security Threat India : कुंभकर्णी नींद में सोई रही मोदी सरकार, चीनी कंपनियां करती रही भारतीयों का निजी डेटा चोरी

Janjwar Desk
5 Jun 2022 12:33 PM IST
National Security Threat India : मोदी सरकार सोई रही, चीनी कंपनियां करती रही भारतीयों का निजी डेटा चोरी
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National Security Threat India : मोदी सरकार सोई रही, चीनी कंपनियां करती रही भारतीयों का निजी डेटा चोरी

National Security Threat India : चीनी कंपनियों के लाभार्थियों में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता भी शामिल हैं। चीनी कंपनियां यह धोखा उस समय कर रही हैं, जब भारत में मोदी की सरकार है। आपको याद हैं न, मोदी जी क्या कहते हैं, जब तक हम हैं, किसी को कोई चिंता करने की जरूरत नहीं।

National Security Threat India : भारत में शाओमी, ओप्पो, वीवो समेत चीनी कंपनियों ( Chinese Companies) पर कर चोरी और फर्जी वित्तीय मामलों को लेकर पिछले कई महीनों से जांच जारी है। इस बीच एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक कुछ ऐसे मामले सामने आये हैं जिनमें चीन की कंपनियां भारतीयों के निजी डेटा ( Data Theft ) जमा कर रही थीं। अगर यह सही है तो सीधे तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा ( National Security Threat India ) के लिए खतरा है। आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि चीनी कंपनियों के लाभार्थियों में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ( Chinese Communist party ) के कुछ वरिष्ठ नेता भी शामिल हैं। इतना ही नहीं, चीनी कंपनियां यह धोखा उस समय कर रही हैं, जब भारत में मोदी ( Modi Government ) की सरकार है।

कुंभकर्णी नींद सोई रही राष्ट्रवादी सरकार

खास बात यह है कि केंद्र सरकार ( Modi Government ) यह दावा करते नहीं थकती कि अब भारतीय हितों की रक्षा सबसे ज्यादा सुरक्षित है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। जो खबरें सामने आ रही हैं उससे तो साफ है कि चीन की कंपनियों ( Chinese Companies) के पास कुछ भारतीयों के निजी डेटा ( Indians personal data ) का होना गंभीर चिंता की बात है। ऐसा इसलिए कि चीन के अपने घरेलू नियमों के मुताबिक कंपनियां 'डेटा डिस्क्लोज़र' के मानदंडों से बंधी हुई हैं। ऐसे में राष्ट्रीय सुरक्षा का प्रश्न और गंभीर हो जाता है। साथ ही इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि जरूरत पड़नी पर चीनी सरकार डेटा का इस्तेमाल भारतीय हितों के खिलाफ नहीं करेगी। इन सबमें अहम यह है कि क्या अभी तक राष्ट्रवादी सरकार कुंभकर्णी नींद में सोई हुई थी?

40 चीनी कंपनियों के लाइसेंस हो सकते हैं 'रद्द'

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक ऑनलाइन बेटिंग, डेटिंग को बढ़ावा देने वाले ऐप्स और उनके अधिकार वाली शेल-कंपनियों के चीनी नागरिकों से संबंधित होने की रिपोर्ट्स के सामने आने के बाद रजिस्ट्रार ऑफ़ कंपनीज़ ने डेटा चोरी के मामलों की जांच के लिए पूरे भारत में अलग से सेल स्थापित करने का निर्णय लिया है।

तकनीकी सुरक्षा मामलों के जानकारों का कहना है कि मोबाइल गेम्स और ऐप्स को बाजार में आसान शर्तों पर लोन चाहने वालों को अपनी ओर आकर्षित करने के मकसद से लॉन्च किया गया था, लेकिन अब यह चिंता का कारण बनते जा रहे हैं। अगर डेटा चोरी ( Data Theft ) का मामला सही साबित होने पर चीन से जुड़ी 40 गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लाइसेंस रद्द हो सकते हैं।

ऐसे खुला चीनी कंपनियों के खेल का राज

चीनी कंपनियों ( Chinese Companies ) के इस खेल का पर्दाफाशन रिटर्न फाइलिंग में अनियमितता सामने आने के बाद हुआ। चीनी कंपनियों ने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज में जो फाइलिंग की है उसमें घाटा दिखाया गया है। इसके उलट चीनी कंपनियों के उत्पाद की बिक्री सबसे ज्यादा फोन बेचने वाली कंपनियों की लिस्ट में टॉप पर रहीं। इन कंपनियों का दुस्साहस देखिए, जब इस बारे में सवाल पूछे गए तो शाओमी, ओप्पो और वीवो की भारतीय यूनिट्स कोई जवाब नहीं दिया। ओप्पो और वीवो का मालिकाना हक चीन की दिग्गज इलेक्ट्रॉनिक कंपनी बीबीके के पास है जो भारत में वनप्लस (OnePlus) और रियलमी (RealMe) ब्रांड्स को भी कंट्रोल करती है।

टर्नओवर 2 लाख, टैक्स जीरो

जनवरी, 2022 में कराधान विभाग के अधिकारियों ने कहा था कि 2019-20 में इन कंपनियों का भारत में कुल टर्नओवर 1 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक था, लेकिन उन्होंने भारत सरकार को एक रुपए का भी टैक्स नहीं दिया। वीवो और ओप्पो तो 2016-17 से अपनी नेटवर्थ निगेटिव में दिखा रही हैं। देश के स्मार्टफोन मार्केट में लीडर होने का दावा करने वाली शाओमी भारत में भारी नुकसान दिखा रही है। 2018-19 में उसने 2447 करोड़ रुपए और 2019-20 में 3277 करोड़ रुपए का घाटा दिखाया था।

घरेलू कंपनियों की बिगड़ी सेहत

National Security Threat India : भारत में चीनी कंपनियों के उभार से लावा (Lava), कार्बन (Karbonn), माइक्रोमैक्स (Micromax) और इंटेक्स (Intex) जैसी देशी कंपनियों की बिक्री में भारी गिरावट आई है। भारतीय स्मार्टफोन मार्केट में उनकी हिस्सेदारी 10 फीसदी से भी कम रह गई है। कुछ साल पहले तक इन कंपनियों की भारतीय बाजार में तूती बोलती थी। चीनी कंपनियों पर यह भी आरोप है कि वे डिस्ट्रिब्यूशन स्थानीय कंपनियों से हाथ नहीं मिलाती हैं और साथ ही कलपुर्जों की सोर्सिंग में भी पारदर्शिता नहीं है। उनके अधिकांश सप्लायर्स चीनी कंपनियां हैं।


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