Sitamarhi News : बिहार के सीतामढ़ी जिले (Sitamarhi) के परिहार प्रखंडे के दुबे टोला गांव (Dubey Tola Village) की महादलित बस्ती में इंदिरा कुमारी (Indira Kumari) पहली ऐसी बेटी है जिसने मैट्रिक की परीक्षा पास की है।
इंदिरा जिस गांव में रहती है वहां आज तक किसी ने भी मैट्रिक की परीक्षा पास नहीं की थी। लेकिन इस इंदिरा न केवल मैट्रिक की परीक्षा (Metric Exam) में शामिल हुईं बल्कि उसमें वह सेकेंड डिविजन में पास भी हो गईं।
इंदिरा जब मैट्रिक की परीक्षा में शामिल हुईं तो उनके परिवार ने इसे अपनी शान माना लेकिन इंदिरा के हौंसले अभी और बुलंद थे। दुबे टोला में दो सौ परिवार और एक हजार से ज्यादा की आबादी है। इसमें नब्बे प्रतिशत से ज्यादा लोग महादलित हैं लेकिन गांव में एक भी मैट्रिक पास बेटी नहीं है।
31 मार्च को परीक्षा के परिणाम सामने आने के बाद से इंदिरा के घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। परीक्षा के दौरान बचपन बचाओ आंदोलन (Bachpan Bachao Andolan) के संस्थापक कैलाश सत्यार्थी ने स्वयं इंदिरा से बातचीत कर उनका हौंसला बढ़ाया था। इससे शिक्षा के प्रति लगाव और बढ़ा और इंदिरा के हौंसलों से प्रेरित होकर बिहार के अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण विभाग के मंत्री डॉ. संतोष कुमार सुमन ने इंदिरा को प्रोत्साहित करने का निर्देश जिला कल्याण अधिकारी को दिया था।
इंदिरा की किस्मत में आज जो ये बदलाव आया है, उसकी शुरूआत कुछ साल पहले हुई थी। मुंबई में बचपन बचाओ आंदोलन के तहत बाल मजदूरी कर रहे पांच बच्चों को मुक्त कराया गया था। उन्हें उनके गांव लाया गया और मुख्य धारा में वापस लाने के लिए उन्हें शिक्षा से जोड़ने की कोशिश की गई। इस वक्त इंदिरा महादलित परिवार के बच्चों की ब्रांड एंबेसडबर बन चुकी हैं। इतना ही नहीं इंदिरा दूसरे गांव के बच्चों को भी पढ़ने के लिए प्रेरित कर रही हैं। खाली समय में वह अब छोटे बच्चों को भी पढ़ाती हैं।
बचपन बचाओ आंदोलन के सहायक परियोजना अधिकारी मुकुंद कुमार चौधरी का कहना है कि इंदिरा के परीक्षा पास होने से गांव में इतिहास लिखा गया है। यह हमारे संघर्ष की जीत है। आने वाले दिन में हम और भी मजबूती से समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए काम करेंगे।