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आंदोलन

किसान महापंचायत से पहले गुस्साये किसानों ने तोड़ा मंच और हेलीपेड पर भी किया कब्जा, CM खट्टर ने कांग्रेस और कम्युनिस्टों को ठहराया जिम्मेदार

Janjwar Desk
10 Jan 2021 3:40 PM GMT
किसान महापंचायत से पहले गुस्साये किसानों ने तोड़ा मंच और हेलीपेड पर भी किया कब्जा, CM खट्टर ने कांग्रेस और कम्युनिस्टों को ठहराया जिम्मेदार
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photo : social media

'किसान महापंचायत’ में मुख्यमंत्री खट्टर किसानों को केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लागू किये गये 3 कृषि कानूनों के फायदे बताने वाले थे, जिनके खिलाफ देशभर के किसान पहले से ही आंदोलनरत हैं, मुख्यमंत्री को इन्हीं कानूनों की तारीफ करने के लिए आयोजित महापंचायत की बात सुनकर ही किसान भड़क गये...

करनाल। हरियाणा के करनाल में आज किसान महापंचायत से पहले हुए उग्र प्रदर्शन के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कांग्रेस और कम्युनिस्टों को जिम्मेदार ठहराया है। आंदोलनकारी किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने आंसूगैस के गोले भी बरसाये।

गौरतलब है कि आज 10 जनवरी को किसान महापंचायत में करनाल जिले के कैमला गांव में प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा 'किसान महापंचायत' कार्यक्रम स्थल पर तोड़फोड़ करने के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की।

प्रेस को संबोधित करते हुए खट्टर ने कहा कि किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी, कांग्रेस और कम्युनिस्टों ने किसानों को भड़काया है। देश में लोकतंत्र है और सभी को अपनी बातें रखने का पूरा हक है। गौरतलब है कि 'किसान महापंचायत' में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर लोगों खासकर किसानों को केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लागू किये गये तीन कृषि कानूनों के फायदे बताने वाले थे, जिनके खिलाफ देशभर के किसान पहले से ही आंदोलनरत हैं। मुख्यमंत्री को इन्हीं कानूनों की तारीफ करने के लिए आयोजित महापंचायत की बात सुनकर ही किसान भड़क गये और उन्होंने पंचायतस्थल पर उग्र प्रदर्शन करते हुए तोड़फोड़ भी की। किसानों के विरोध के चलते खट्टर को यह पंचायत रद्द करनी पड़ी थी।

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बात में मीडिया से बात करते हुए कहा, आंदोलन करने वाले नेताओं से कल बातचीत हो गई थी और फिर सहमति बनी थी कि वे सांकेतिक विरोध करेंगे, लेकिन कोई विरोध नहीं करेंगे। रैली में पांच हजार लोग उपस्थित थे। हमारे देश में एक मजबूत लोकतंत्र है और सभी को बात करने का अधिकार है। हमने किसान नेताओं के बयानों, आंदोलनों को नहीं रोका। आंदोलन में कई तरह की सरकार ने व्यवस्था भी की है। यह अच्छा नहीं है कि लोकतंत्र में कोई किसी की बात को रोके। किसान का यह स्वाभव नहीं हो सकता है। इस तरह की घटना से उसकी बदनामी हुई है।'

खट्टर ने कहा कि अगर मुझे इसके लिए किसी को जिम्मेदार ठहराना है तो गुरनाम सिंह चढ़ृनी, भारतीय किसान यूनियन प्रमुखद्ध का एक वीडियो कल से घूम रहा है, उसे ठहराउंगा। उन्होंने लोगों को उकसाने का काम किया है। इस आंदोलन के पीछे कांग्रेस, कम्युनिस्टों का बड़ा हाथ है। कांग्रेस के बयान उकसाने वाले आ रहे हैं। जो नेता बातचीत में जाते हैं, वे सभी कम्युनिस्ट विचारधारा वाले हैं। अगर ये सभी सोच रहे हैं कि इसके बल पर पैर जमा लेंगे तो इन्हें भूल जाना चाहिए।

खट्टर ने कहा किसानों के लिए पीएम मोदी ने बहुत कुछ किया है। कोई नहीं कहेगा कि प्रधानमंत्री ने किसानों के लिए कुछ नहीं किया। शुरुआत में विरोध होता है। जैसे जीएसटी का शुरुआत में काफी विरोध हुआ था, लेकिन अब एक टैक्स होने की वजह से काफी राहत होती है। व्यापारी भी काफी खुश हुए हैं। 90 के दशक में भी आर्थिक उदारवाद का भी काफी विरोध किया गया था, जबकि अब यह काफी सफल माना जाता है।

पुलिस ने कैमला गांव की ओर किसानों के मार्च को रोकने लिए उन पर पानी की बौछारें कीं और आंसू गैस के गोले छोड़े। बावजूद इसके प्रदर्शनकारी किसान कार्यक्रम स्थल तक पहुंच गए और किसान महापंचायत कार्यक्रम को रद्द करवाकर ही दम लिया। गुस्साये किसानों ने मंच को क्षतिग्रस्त कर दिया, कुर्सियां, मेज और गमले भी तोड़ दिए।

इतना ही नहीं प्रदर्शनकारी किसानों ने अस्थायी हेलीपेड का नियंत्रण भी अपने हाथ में ले लिया, जहां मुख्यमंत्री का हेलीकॉप्टर उतरना था। बीजेपी नेता रमण मल्लिक ने बताया कि बीकेयू नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी के कहने पर किसानों के हुड़दंगी व्यवहार के कारण कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया है। पुलिस ने गांव में मुख्यमंत्री की यात्रा के मद्देनजर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए थे।

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