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Jharkhand Assembly Passes Anti-Lynching Bill: झारखंड में मॉब लिंचिंग विरोधी विधेयक पारित, दोषियों को आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान

Janjwar Desk
22 Dec 2021 6:59 AM GMT
Jharkhand Assembly Passes Anti-Lynching Bill: झारखंड में मॉब लिंचिंग विरोधी विधेयक पारित, दोषियों को आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान
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Jharkhand Assembly Passes Anti-Lynching Bill: बिल में मॉब लिंचिंग के दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है। अधिनियम के मुताबिक अगर पीड़ित को गंभीर चोट लगती है तो दोषी को आजीवन कारावास की सजा दी जा सकती है....

Jharkhand Assembly Passes Anti-Lynching Bill: झारखंड की विधानसभा ने प्रदेश में मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए मॉब वायलेंस एंड मॉब लिंचिंग निवारक विधेयक 2021 (Jharkhand Mob Violence And Lynching Prevention Bill 2021) को पारित कर दिया है। यदि इस विधेयक को अब राज्यपाल की सहमति मिल जाती है तो यह कानून बन जाएगा। इसके साथ ही झारखंड पश्चिम बंगाल और राज्य के बाद एंटी लिंचिंग कानून बनाने वाला तीसरा राज्य बन जाएगा।

अधिनियम के उद्देश्य के मुताबिक झारखंड (Jharkhand) राज्य में कमजोर व्यक्तियों के संवैधानिक अधिकारों को प्रभावी सुरक्षा प्रदान करने और भीड़ द्वारा हिंसा (Mob Violence) और लिंचिंग (Mob Lynching) की घटनाओं को रोकने के लिए और भीड़ द्वारा हिंसा और लिंचिंग के कृत्यों के लिए दंडित करने के लिए यह कानून जरूरी है।

बिल के मुताबिक लिंचिंग का मतलब होगा- धर्म, जाति, लिंग, जन्मस्थान, भाषा, यौन अभिविन्यास के आधार पर हिंसा के कृत्य या मौत का कारण या सहाता या हिंसा का कृत्य करने का प्रयास करना, चाहे प्राकृतिक या नियोजित हो, राजनीतिक संबद्धता या किसी अन्य आधार पर, वह लिंचिंग कहा जाएगा।

इस बिल के मुताबिक एक आईजी स्तर के अधिकारी नियुक्ति का प्रावधान है जिसे नोडल अधिकारी कहा जाएगा जिसका कर्तव्य लिंचिंग की घटनाओं को रोकना होगा।

बिल के मुताबिक यह जिला मजिस्ट्रेट का कर्तव्य है कि जब भी उनके पास यह मानने का कारण हो कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जहां उसके अधिकार क्षेत्र के किसी भी क्षेत्र में लिंचिंग की संभावना है तो वह लिखित आदेश द्वारा ऐसे किसी भी कृत्य को रोकत सकता है जो उनकी राय में लिंचिंग के कृत्य के लिए उकसान की संभावना है।

इसके अलवा बिल में पुलिस अधिकारियों के कर्तव्यों का भी उल्लेख किया गया है जिसके मुताबिक किसी पुलिस थाने के प्रभारी प्रत्येक पुलिस अधिकारी का कर्तव्य होगा कि वह किसी भी घटना को रोकने के लिए उचित कदम उठाए, जिसमें लिंचिंग, उकसाना और अपने अधिकार क्षेत्र के तहत क्षेत्र में संबावित प्रसार शामिल है।

बिल में मॉब लिंचिंग के दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है। अधिनियम के मुताबिक अगर पीड़ित को गंभीर चोट लगती है तो दोषी को आजीवन कारावास या किसी एक अवधि के कारावास, जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना तीन लाख रुपये से कम नहीं होगा। जिसे पांच लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।

इसके अलावा अगर मॉब लिंचिंग के पीड़ित की मृत्यु हो जाती है तो दोषी को आजीवन कारावास और कम से कम पच्चीस लाख रुपये के जुर्माने की सजा दी जाएगी और चल और अचल संपत्ति को कुर्क किया जाएगा।

अगर कोई पीड़ित को चोट पहुंचाता है तो उसे कारावास से दंडित किया जाएगा जो कि तीन साल तक हो सकता है और जुर्माना कम से कम एक लाख रुपये होगा जिसे तीन लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।

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