लालू से मिलने टिकट चाहने वालों का लगा तांता, जेल आइजी की आपत्ति के बाद तीन मजिस्ट्रेट तैनात
जनज्वार। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर बढी सरगर्मी की वजह से रांची में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव से मुलाकात करने वालों का तांता लगा हुआ है। भाजपा व जदयू भी इस मामले को लेकर झारखंड की झामुमो-कांग्रेस सरकार व राजद पर हमलावर है। वहीं, मीडिया में खबरें आने के बाद जेल आइजी द्वारा इस पर आपत्ति जताये जाने के बाद जिला प्रशासन ने लालू प्रसाद यादव से मुलाकात करने वालों पर निगरानी के लिए तीन मजिस्ट्रेट तैनात कर दिया है।
लालू प्रसाद यादव चारा घोटाला मामले में जेल की सजा काट रहे हैं और वे इलाज के लिए रिम्स में भर्ती हैं। कोरोना संक्रमण के खतरे के मद्देनजर उन्हें कुछ सप्ताह पहले मुख्य अस्पताल भवन से हटाकर रिम्स डायरेक्टर के बंगले में शिफ्ट किया गया है, जहां पर बिहार से आने वाले राजद नेताओं व अन्य का जमावड़ा लगा रहता है। चुनाव में टिकट की चाह रखने वाले लोग बड़ी संख्या में रांची पहुंचते हैं और चाहते हैं कि उनकी एक मुलाकात राजद अध्यक्ष से हो जाए और वे उन्हें अपना बायोडाटा दे दें। स्थानीय अखबारों में ऐसी खबरें लगातार आती रही हैं।
ऐसे में जेल आइजी वीरेंद्र भूषण ने 31 अगस्त 2020 को रांची के डीसी छवि रंजन को पत्र लिख कर इस पर आपत्ति जतायी थी। जेल आइजी ने अपने पत्र में लिखा कि उच्च श्रेणी बंदी लालू प्रसाद यादव से अवैध रूप से मुलाकात किया जा रहा है, जो सर्वदा नियम विरुद्ध है। उन्होंने 2018 के एक आदेश का हवाला देते हुए लिखा कि बाहरी अस्पताल में इलाजरत बंदियों से मुलाकात करने को लेकर स्पष्ट दिशा निर्देश दिया गया है।
जेल आइजी ने पत्र में लिखा कि केली बंगले (डारयेक्टर बंगले) में ड्यटी पर तैनात पुलिस अधिकारी द्वारा अवैध रूप से लालू प्रसाद यादव से मुलाकातियों की मुलाकात करायी जा रही है जो नियम विरुद्ध कार्य है। इसलिए कोरोना संक्रमण से बचाव व मुलाकात पर अंकुश के लिए एसएसपी के द्वारा तैनात पुलिस पदाधिकारी व पुलिस बल की निगरानी के लिए मजिस्ट्रेट नियुक्त किए जाएं।
जेल आइजी के इस पत्र के बाद जिला प्रशासन ने लालू प्रसाद यादव से मुलाकात करने वालों व पुलिस की कार्यप्रणाली पर निगाह रखने के लिए तीन मजिस्ट्रेट तैनात किए हैं।
तीन मजिस्ट्रेट तीन अलग-अलग शिफ्ट में ड्यूटी पर रहेंगे। वे इस बात पर नजर रखेंगे कि बिना जेल अधीक्षक के अनुमति वाले व्यक्ति, नेता केली बंगले के पास न आ पाएं और सिर्फ वैध अनुमति प्राप्त लोग ही मुलाकात कर पाएं। जिनके पास जेल अधीक्षक का अनुमति पत्र नहीं होगी उनसे पूछताछ की जाएगी और जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर उनके विरुद्ध कार्रवाई भी की जाएगी।