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Kaun Hai Santishree Dhulipudi: JNU की नई कुलपति शांतिश्री धुलिपुड़ी निकली गोडसे भक्त, पुराने ट्वीट्स हुए वायरल

Janjwar Desk
8 Feb 2022 5:09 AM GMT
JNU News, Shantishree Dhulipudi
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JNU की नई कुलपति शांतिश्री धुलिपुड़ी गोडसे भक्त निकलीं।

सीएए एनआरसी प्रोटेस्ट के दौरान प्रदर्शन करने वाली महिलाओं के खिलाफ भी शांतिश्री धुलिपुड़ी के अमर्यादित ट्वीट्स सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बने थे।

नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की कुलपति शांतिश्री धुलिपुड़ी की नियुक्ति के साथ उनके पुराने ट्विटस को सोशल मीडिया पर वैचारिक जंग जारी है। शांतिश्री धुलिपुड़ी के पुराने ट्वीट्स को लेकर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं। इसकी खास वजह ये है कि उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे का महिमामंडन किया है और मुसलमानों के खिलाफ जमकर जहर उगला है।

गोडसे की विचारों से जता चुकी हैं सहमति

फिलहाल, शांतिश्री धुलिपुड़ी मई 2019 में गोडसे पर ​किए अपने एक ट्वीट को लेकर चर्चा में हैं। जिसमें वे कहती हैं कि मैं गोडसे और गांधी दोनों के विचारों से सहमत हूं, दोनों ने गीता पढ़ी थी, लेकिन दोनों ने गीता से भिन्न सीख ली। गोडसे का मानना था एक्शन जरूरी है। इसलिए, उसे भारत को एक रखने के लिए गांधी की हत्या के रूप में समाधान मिला।

सीएए और एनआरसी प्रोटेस्ट का भी किया था विरोध

जेएनयू की नवनियुक्त वीसी शांतिश्री धुलिपुड़ी यहीं नहीं रुकीं। उनके कई ट्वीट्स ऐसे हैं जिसमें वे भारत के मुसलमानों के खिलाफ जहर उगल रही हैं। सीएए एनआरसी प्रोटेस्ट के दौरान प्रदर्शन करने वाली महिलाओं के खिलाफ भी उनके अमर्यादित ट्वीट्स सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बने थे। यही वजह है कि बुद्विजीवियों और शिक्षाविदों का एक बड़ा तबका उनकी नियुक्ति का विरोध कर रहा है।

मिलिट्री इंटेलिजेंस से भी जुड़ी हैं शांति श्री

शातिश्री धुलिपुड़ी का जेएनयू में पांच वर्षों का कार्यकाल रहेगा। उन्हें नवनियुक्त यूजीसी के चेयरमैन जगदीश कुमार की जगह जेएनयू के वीसी पद पर नियुक्त किया गया है। कुलपति नियुक्त होने से पहले शांतिश्री धुलिपुड़ी पुणे स्थित सावित्रीबाई फुले यूनिवर्सिटी में 1992 से पॉलिटिकल साइंस पढ़ा रही हैं। इसके अलावा वो मास मीडिया, मीडिया रिसर्च, राजनीति और कम्यूनिकेशन के क्लासेज भी लेती हैं। वे मिलिट्री इंटेलिजेंस ट्रेनिंग स्कूल पुणे के लिए रिसोर्स पर्सन भी रही हैं। उनकी तीन किताबें और डेढ़ सौ से ज्यादा रिसर्च पेपर प्रकाशित हो चुके हैं।

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