उत्तराखण्ड के चंपावत में अब भोजनमाता बनी आदमखोर तेंदुए का शिकार, महिला को 100 मीटर तक घसीटने के बाद सिर किया धड़ से अलग
प्रतीकात्मक फोटो
Champawat news : उत्तराखण्ड में जंगली जानवरों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है और बड़ी संख्या में स्थानीय लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। अब इसकी ताजा शिकार चंपावत की एक भोजनमाता हुई है। खबरों के मुताबिक चंपावत वन प्रभाग के बूम रेंज में जंगल में चारा लेने गई महिला को आज रविवार 2 जुलाई की सुबह तेंदुए ने जान से मार डाला।
जानकारी के मुताबिक तेंदुए का शिकार बनी सूखीढांग क्षेत्र के धूरा गजार गांव की 39 वर्षीय चंद्रावती गांव के सरकारी स्कूल में भोजनमाता थी। महिला को आज उस समय तेंदुए ने मौत के घाट उतारा, जब वह जानवरों के लिए चारा लेने गयी थी। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक तेंदुए ने घास काटती चंद्रावती पर हमला करने के बाद उसे 100 मीटर तक घसीटा और उसके बाद उसका सिर धड़ से अलग करके मार डाला। वन विभाग ने चंद्रावती की लाश को पोस्टमार्टम के लिए टनकपुर उप जिला अस्पताल भेज दिया है।
मीडिया में आई जानकारी के मुताबिक चंपावत जनपद के सूखीढांग क्षेत्र के धूरा गजार गांव निवासी प्रकाश चंद्र शर्मा की पत्नी चंद्रावती गांव की दो महिलाओं के साथ घर से करीब दो-तीन किलोमीटर दूर पूर्वी छीनी कंपार्टमेंट एक के जंगल में अपने पालतू जानवरों के लिए चारा काटने गयी थी। साथ में चारा लेने गयी महिलाओं का कहना है कि सुबह लगभग 10 बजे जब चंद्रावती और वो लोग चारा काट रहे थे तो तेंदुए ने पीछे से चंद्रावती पर हमला कर दिया। चंद्रावती को संभलने का वक्त भी नहीं मिला और आदमखोर तेंदुआ उसे घसीटते हुए 100 मीटर दूर ले गया और फिर उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। आदमखोर तेंदुए द्वारा चंद्रावती पर खूंखार तरीके से किये गये हमले के बाद साथ में गयीं दोनों महिलायें बुरी तरह डर गयीं और किसी तरह भागकर उन्होंने अपनी जान बचायी।
जब दोनों महिलायें गांव पहुंची तो घटना के बारे में ग्रामीणों को बताया। ग्रामीणों के साथ बूम रेंज के वन क्षेत्राधिकारी गुलजार हुसैन भी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे और चंद्रावती की लाश जंगल में बरामद हुयी। इस मामले में मीडिया से बात करते हुए वन क्षेत्राधिकारी गुलजार हुसैन कहते हैं पीड़िता की लाश को पोस्टमार्टम के लिए उप जिला अस्पताल टनकपुर भेजा जा रहा है।
जंगली जानवरों के आतंक की चंद्रावती अकेली शिकार नहीं है। आये दिन बच्चे, बूढ़े, जवान बाघों-गुलदारों और जंगली हाथियों के शिकार बन रहे हैं। सवाल है कि जब जंगली आदमखोर जानवरों का इंसानों पर हमला इतना ज्यादा बढ़ चुका है तो आखिर सरकार इस दिशा में क्या काम कर रही है। क्यों नहीं ऐसी घटनाओं में कमी आ रही या फिर उत्तराखंड के लोग आदमखोरों का शिकार बनने को अभिशप्त हो गये हैं।