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11 राज्यों में गांधीवादियों ने किया 'गरीबी भारत छोड़ो' उपवास, शामिल हुए आदिवासी युवा और महिलाएं
भोपाल। आजादी के आंदोलन में महात्मा गांधी के नेतृत्व में 'भारत छोड़ो' आंदोलन चलाया गया था, उस आंदोलन की सालगिरह पर रविवार को गांधीवादियों ने गरीबी से मुक्ति के लिए 24 घंटे का उपवास किया। यह उपवास मध्यप्रदेश से लेकर देश के 11 अलग-अलग राज्यों में हो रहा है।
दुनिया के अन्य देशों के साथ भारत भी कोरोनावायरस जूझ रहा है और सबसे ज्यादा इसका असर गरीब, कमजोर तबके और वंचितों पर पड़ा है। इन वर्गो की गरीबी से मुक्ति को लेकर एकता परिषद के संस्थापक पी.वी. राजगोपाल के नेतृत्व में 'गरीबी भारत छोड़ो' का नारा देते हुए 24 घंटे का देशव्यापी उपवास किया जा रहा है।
राज्य में गांधीवादी लोग कटनी, जबलपुर, सतना, शहडोल, रायसेन आदि स्थानों पर उपवास कर रहे हैं। लोग अपने घरों में रहकर भारत छोड़ो आंदोलन की सालगिरह और आदिवासी दिवस पर उपवास पर हैं। इस उपवास में आदिवासी वर्ग से लेकर अन्य वर्गो की महिलाएं और युवा बड़ी संख्या में शामिल हुए हैं।
राजगोपाल ने केरल से एक संदेश जारी कर कहा है कि यह समय गरीबों, वंचितों और शोषितों के संदर्भ में विचार करने का है, क्योंकि कोरोना के कारण लाखों की संख्या में परिवार शहर छोड़कर गांव की ओर गए हैं और कई तरह की विपदाओं से लोग पीड़ित हैं, इसलिए वर्तमान में महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन की तरह गरीबी भारत छोड़ो नारा बुलंद करने की जरूरत है, क्योंकि उस समय भारत छोड़ो आंदोलन विदेशियों के खिलाफ था, जिसमें उनसे भारत छोड़ने के लिए कहा गया था, अब तो गरीबी, भुखमरी और शोषण को भारत छोड़ना चाहिए।
उन्होंने कहा, 'वैसे तो इस दुनिया में किसी भी स्थान पर गरीबी, भुखमरी और शोषण को जगह नहीं मिलनी चाहिए, इसीलिए गरीबों, वंचितों और शोषितों की ओर सरकार का ध्यान दिलाने के लिए हमने एक दिन का उपवास किया है।'
भोपाल में उपवास कर रहे लोगों में शामिल एकता परिषद के राष्ट्रीय समन्वयक अनीस भाई ने बताया कि देश के 11 राज्यों मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार राजस्थान, झारखंड, केरल, मणिपुर आदि स्थानों पर बड़ी संख्या में युवा और महिला उपवास पर हैं। सभी का मकसद एक ही है कि देश को गरीबी भुखमरी और शोषण से मुक्ति मिले।