NCRB Report : एनसीआरबी की रिपोर्ट : 2020 में 18% बढ़ गए किसानों की आत्महत्या के मामले
NCRB Report, 29 Oct. 2021। तमाम सरकारी कवायदों के बाद भी देश में किसानों की आत्महत्या (Farmers Suicide) करने का सिलसिला थमता नहीं दिख रहा। वर्ष 2020 में 2019 की अपेक्षा किसानों (किसान और कृषि मजदूर) की आत्महत्याओं में 18 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। 4,006 आत्महत्याओं के साथ महाराष्ट्र (Maharasthra) एक बार फिर सूची में सबसे आगे है। इसके बाद कर्नाटक (2,016), आंध्र प्रदेश (889), मध्य प्रदेश (735) और छत्तीसगढ़ (537) में कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों ने आत्महत्या की है। ये राज्य 2019 में भी इस मामले में दूसरे राज्यों से आगे थे।
गुरुवार 28 अक्टूबर को जारी किए गए भारत में आत्महत्या पर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB Report 2021) के आंकड़ों से पता चलता है कि किसानों और कृषि मजदूरों (Farmers And Agriculture Labours) की आत्महत्या रुकने की बजाय बढ़ रही है। कुल मिलाकर देश में 2020 के दौरान कृषि क्षेत्र में 10,677 लोगों की आत्महत्या की जो देश में कुल आत्महत्याओं (1,53,052) का 7% है। इसमें 5,579 किसान और 5,098 खेतिहर मजदूरों की आत्महत्याएं शामिल हैं।
लगातार चार साल गिरावट के बाद कृषि क्षेत्र में आत्महत्या के मामले बढ़े हैं। 2016 में कुल 11,379 किसान और कृषि मजदूरों ने आत्महत्या की थी। 2017 में इसमें गिरावट आई और संख्या 10,655 रह गई। 2018 में 10,349 तो 2019 में इस तरह के आत्महत्या के कुल 10,281 मामले सामने आए थे। 2020 में ऐसे मामलों की संख्या 10,677 रही।
वहीं अगर 2019 से 2020 की तुलना करें तो 2019 में 5,957 किसान और 4324 कृषि मजदूरों ने आत्महत्या की थी जबकि 2020 में आंकड़ा क्रमश: 5,579 और 5,098 रहा। यानी कृषि मजदूरों की आत्महत्या के मामले 2020 में बढ़े हैं। 2020 में आत्महत्या करने वाले 5,579 किसानों में से 5,335 पुरुष थे और 244 महिलाएं थीं, जबकि आत्महत्या करने वाले 5,098 कृषि मजदूरों में 4621 पुरुष और 477 महिलाएं थीं।
पंजाब में 257 तो हरियाणा में इस तरह के कुल 280 आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए। वहीं पश्चिम बंगाल, बिहार, नगालैंड, त्रिपुरा, उत्तराखंड, चंडीगढ़, दिल्ली, लद्दाख, लक्षद्वीप और पुडुचेरी में जीरो सुसाइड रिपोर्ट की गईं। गौरतलब है कि यहां पर किसानों और कृषि मजदूरों को विभाजित करके आंकड़े बताए गए हैं। यहां पर किसान वह हैं जिनके पास अपनी जमीन हैं और वह उसमें खेती करते हैं, वहीं कृषि मजदूर वे हैं जिनके पास अपनी जमीन नहीं है और उनकी आय का साधन दूस के खेतों में काम करना है।