Tata Takeover Sanand Plant : मोदी के तीसरे चहेते उद्योगपति बनते जा रहे रतन टाटा, फोर्ड और गुजरात सरकार की संयुक्त रजामंदी से साणंद प्लांट टाटा मोटर्स को सौंपा
Tata Takeover Sanand Plant : एमओयू पर हस्ताक्षर के दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के साथ फोर्ड और टाटा मोटर्स के अधिकारी।
Tata Takeover Sanand Plant : देश की प्रमुख वाहन निर्माता कंपनी टाटा मोटर्स के फोर्ड इंडिया के गुजरात के साणंद में स्थित यात्री कार विनिर्माण संयंत्र के अधिग्रहण के लिए गुजरात सरकार, फोर्ड मोटर और टाटा मोटर्स के बीच एमओयू सोमवार को साइन हो गया है। इससे पहले राज्य सरकार के मंत्रिमंडल ने टाटा मोटर्स को इस बात की हरी झंडी दे दी थी, और सोमवार 30 मई का दिन एमओयू साइन करने के लिए तय किया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस संबंध में कंपनी की ओर से दिए गए प्रस्ताव पर राज्य मंत्रिमंडल ने अपनी मुहर लगाते हुए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर दिया है।
फोर्ड ने पिछले साल की थी बड़ी घोषणा
रिपोर्ट के मुताबिक, टाटा मोटर्स के एक सूत्र ने बताया है कि गुजरात सरकार की ओर से कंपनी के प्रस्ताव को हरी झंडी मिल गयी है। इसके बाद अब गेंद दोनों कंपनियों के पाले में है कि वे कितनी तेजी से इस सौदे को कितना आगे बढ़ाती है। रिपोर्ट में कहा गया कि टाटा मोटर्स को भी संयंत्र के लिए ठीक उसी तरह से बराबर प्रोत्साहन मुहैया कराया जाता रहेगा, जो फोर्ड इंडिया को पूर्व में मिल रहा था। आपको बता दें कि अमेरिकी कंपनी फोर्ड ने पिछले साल भारत से अपना कारोबार समेटने की घोषणा कर दी थी।
30 मई एमओयू साइन किया गया
आपको बता दें कि इस अधिग्रहण के लिए एमओयू साइन करने के लिए 30 मई की तारीख निर्धारित गयी थी। जिसे अमलीजामा पहना दिया गया है। इस एमओयू के बाद टाटा मोटर्स फोर्ड के प्लांट में नया निवेश करने के बाद इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण की तैयारी कर रही है। यहां बता दें कि टाटा समूह फोर्ड इंडिया के संयंत्रों के अधिग्रहण के लिए गुजरात और तमिलनाडु की सरकारों के साथ लगातार संपर्क में था।
अधिग्रहण के बाद विपक्षी उठा रहे सवाल
इस बीच इस एमओयू के साथ राजनीतिक हलकों में एक और बहस शुरू हो गयी है कि क्या अंबानी और अडाणी ग्रुप के बाद अब टाटा समूह पर सरकार मेहरबान हो गयी है। आपको बता दें कि अभी कुछ समय पहले ही केन्द्र सरकार की सरकारी एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया का अधिग्रहण भी टाटा समूह ने किया था। उस वक्त एयर इंडिया को टाटा समूह को सौंपने के फैसले पर सरकार की विपक्षी पार्टियों ने खूब आलोचना की थी। अब एक और अधिग्रहण टाटा कंपनी के पक्ष में होने से विरोधियों क एक बार फिर बोलने का मौका मिल गया है। विपक्षी दलों के कुछ नेताओं का यह भी कहना है कि कहीं मोदी के तीसरे चहेते उद्योगपति तो नहीं बनते जा रहे हैं रतन टाटा। उनका कहना है कि शायद यही कारण है कि फोर्ड और गुजरात सरकार के संयुक्त रजामंदी से साणंद प्लांट को टाटा मोटर्स को सौंप दिया गया है।