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Janjwar Impact : पीएम मोदी की काशी के सरकारी स्कूलों में साफ-सुथरे होंगे टॉयलेट, लड़कियों को नहीं जाना होगा घर
उपेंद्र प्रताप की रिपोर्ट
Janjwar Impact: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के सरकारी स्कूलों में लड़कियों और लड़कों के टॉयलेट स्थिति बदहाल है। स्मार्ट सिटी में टॉयलेट बदहाली के चलते लड़कियों को कई बार पठन-पाठन बीच में ही छोड़कर घर लौटना पड़ता है। लिहाजा, सरकारी स्कूलों में बदहाल टॉयलेट के मुद्दे को जनज्वार मीडिया ने 24 जून को 'Ground Report: स्मृति ईरानी की बधाई के सात साल बाद भी पीएम मोदी की काशी में बने लड़कियों के शौचालय हैं बदहाल' शीर्षक से प्रकाशित किया था।
सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ भी शनिवार 25 जून को बनारस आए थे। 'जनज्वार' की न्यूज वायरल होने के बाद कमिश्नर ने आनन-फानन में बीएसए राकेश सिंह से स्कूलों में शौचालयों की रिपोर्ट मांगी। फुर्ती देखिए, जिस बीएसए का फोन नहीं उठा था, उसने आनन-फानन में मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल के निर्देश पर बीएसए ने रिपोर्ट नगर आयुक्त को सौंप दिया। बेसिक शिक्षा विभाग की रिपोर्ट में बताया गया है कि ऑपरेशन कायाकल्प के तहत सभी विद्यालयों में 19 बिंदुओं पर कार्य कराए जा रहे हैं। इसमें से प्रमुख रूप से बालक-बालिकाओं के लिए अलग-अलग शौचालय, शुद्ध पेयजल, दिव्यांग शौचालय, टाइल्स एंड वास, यूनिट में टाइल्स, ब्लैक बोर्ड, रंगाई-पुताई, रसोईघर, वायरिंग, फिटिंग, विद्युत कनेक्शन सहित अन्य कार्य शामिल हैं।
शनिवार 25 जून को शिक्षा विभाग और स्थानीय समितियों की लापरवाही से स्कूलों में बदहाल और गंदे टॉयलेट के मुद्दे को लेकर के जिला प्रशासन और नगर निगम में महासंग्राम छिड़ गया, तो दूसरी ओर, देखते ही देखते यह मामला सोशल मीडिया पर भी गरमा गया। लोगों ने खुलकर अपनी बात रखी। कई ने कई महिलाओं ने स्कूल समिति को जिम्मेदार ठहराया तो कई लोगों ने प्रिंसिपल से लेकर शिक्षा महकमे में लापरवाह अधिकारियों को निशाने पर लेने से नहीं चूके। यही नहीं छात्र छात्राओं को हो रही दिक्कतों के मद्देनजर नसीहत तक दे डाली। वहीं, वीआईपी के मूवमेंट दौरान स्कूलों को चमकाने का आरोप भी बढ़ा, जबकि ग्राउंड पर जिले के सैकड़ों स्कूलों में टॉयलेट की बदहाली किसी से छिपी नहीं है।
अब चाक-चौबंद होगी टॉयलेट की व्यवस्था
नगर आयुक्त को बीएसए द्वारा दाखिल की गई रिपोर्ट के मुताबिक वाराणसी जनपद के 1143 विद्यालयों में से 194 विद्यालयों में स्मार्ट क्लास की सुविधा उपलब्ध है। जनपद के सभी 134 उच्च प्राथमिक विद्यालयों व 150 प्राथमिक विद्यालयों में डेक्स-बेंच सुविधा मौजूद है। ग्राम पंचायत निधि से 200 विद्यालयों में टेस्ट बेंच के लिए आदेश दिए जा चुके हैं। शनिवार से डेक्स-बेंच आने का क्रम शुरू हो जाएगा। जल्दी जनपद के सभी विद्यालयों में टाट-पट्टी उठने वाली है।
कमिश्नर ने मांगा था आनन-फानन में प्रस्ताव
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश सिंह ने बताया कि हाल ही में हुई बैठक में मंडलायुक्त ने सड़क किनारे के विद्यालयों में स्मार्ट सिटी के कार्य कराने के लिए प्रस्ताव मांगा था। नगर के 24 विद्यालयों का प्रस्ताव मंडलायुक्त के साथ ही मुख्य विकास अधिकारी, सीडीओ और नगर आयुक्त को भी सौंप दिया गया था। उन्होंने बताया कि सड़क के किनारे विद्यालय भवनों को संवारने की योजना है।
इसके अलावा विद्यालय में स्मार्ट क्लास, बोर्ड सुविधाओं से लैस किए जायेंगे। बहरहाल, खबर के प्रकाशन के बाद सरकारी स्कूलों में उपेक्षित टॉयलेट के दिन बहुरने वाले हैं। शिक्षा विभाग और नगर निगम प्रशासन एक्टिव हो गया और आनन-फानन में टॉयलेट से लेकर के कई बिंदुओं पर कार्य करते हुए सरकारी स्कूलों में शिक्षा मुहैया कराने का दावा किया है। देखना दिलचस्प होगा कि समय के साथ इनकी योजनाएं कितनी जमीन पर उतरती है? लोगों ने यह भी कहा है कि जब अधिकारी आते हैं तो अधिकारी हरकत में आ जाते हैं, वरना वैसे ही जस के तस पड़े रहते हैं।
सोशल मीडिया पर आईं प्रतिक्रियाएं
वाराणसी जनपद के शिक्षा व्यवस्था को नसीहत देते हुए ट्विटर यूजर पत्रकार विजय कुमार विश्वकर्मा लिखते हैं कि परिषदीय विद्यालयों को जानबूझकर बदहाल किया जा रहा है। इन स्कूलों में कम इनकम वाले लोगों के बच्चे पढ़ते हैं. लिहाजा लापरवाह शासन, शिक्षक और अधिकारी ध्यान नहीं देते हैं। मनोज कुमार गुप्ता ट्वीट करते हैं कि कई स्कूलों की व्यवस्था अच्छी है तो कई दुर्दशा के शिकार के हैं।बच्चियों को दिक्कत ना हो इसलिए जल्द से जल्द सुधार करने की जरूरत है।
जिम्मेदार हुए बेखबर
लहरतारा निवासी कृष्ण कुमार मौर्यवंशी ट्वीट करते हैं, सरकारी स्कूलों में वीआईपी मूवमेंट होने पर ही इनकी व्यवस्था को दुरुस्त किया जाता है। इनके जाने के बाद सभी जिम्मेदार बेखबर हो जाते हैं और छात्राएं परेशान होती रहती हैं। 'जनज्वार' मीडिया को धन्यवाद कि समाज के ज्वलंत मुद्दे को प्रमुखता से उठाया।
आखिर काम क्या है?
सामाजिक कार्यकर्ता प्रतिभा सिंह सरकारी स्कूलों के प्रबंधन समिति की कमियों को उजागर करती हुई ट्वीट करती हैं कि स्कूल प्रबंधन समिति का आखिर काम क्या है ? शिक्षक इंस्पेक्शन के दिन बच्चों को बटोर लेते हैं, ड्रॉपआउट बच्चों की कोई सुध लेने वाला नहीं है। पढ़ाई का स्तर भी गिर गया है। टॉयलेट तो इनकी सूची में सबसे नीचे आता है।
अनीता सिंह लिखती है कि टीचर और जिम्मेदारों को चाहिए कि कम से कम छात्राओं के टॉयलेट को साफ और दुरुस्त रखें, ताकि बच्चियों को किसी प्रकार की असुविधा ना हो। बेहतर व्यवस्था से छात्र-छात्राओं का मन शिक्षा में लगा रहता है। विशाल मौर्य काशी लिखते हैं कि शहर के अलावे ग्रामीण इलाकों में स्कूलों में बने टॉयलेट की बदहाली को प्रमुखता से उठाया जाए ताकि पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की राष्ट्रीय स्तर पर बदनामी न हो। स्कूलों में लापरवाह शिक्षकों और अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।