Rudrapur News: बौखलाए श्रम अधिकारी मजदूर नेताओं के दमन पर हुए उतारू, बच्चों के बहाने से करा दिया मुकदमा दर्ज
सलीम मलिक की रिपोर्ट
Rudrapur News: उत्तराखंड राज्य में मजदूरों का शोषण करने वाले फैक्ट्री मालिकान भले ही कितने नियम-कानून की धज्जियां उड़ा लें लेकिन मजदूरों की ओर से ओर से हुई मामूली चूक भी उन्हें भारी पड़ सकती है। ऐसे ही एक मामले में ऊधमसिंहनगर जिले के भुखमरी की कगार पर पहुंचे मजदूरों को रुद्रपुर में बच्चों के साथ अधिकारियों के खिलाफ प्रदर्शन करना इतना नागवार गुजरा कि मजदूर नेताओं के खिलाफ बच्चों का शोषण किए जाने का मुकदमा दर्ज करवा दिया गया। मूसलाधार बारिश के दौरान बाल पंचायत व बाल सत्याग्रह के नाम पर छोटे बच्चों से धरना प्रदर्शन कराने के आरोप में श्रमिक नेताओं के खिलाफ सहायक श्रमायुक्त ने पंतनगर थाने में यह मुकदमा दर्ज कराया है।
मुकदमें की तफसील में जाने से पहले पाठक इस तथ्य से रूबरू हो ले कि उधमसिंह नगर जिले के सिडकुल क्षेत्र में इंट्रार्क कारखाने के मजदूर अपनी फैक्ट्री में अवैध तालाबंदी के खिलाफ लंबे समय से आंदोलनरत हैं। लंबे समय से बेरोजगार हुए मजदूरों के बच्चों की पढ़ाई लिखाई भी स्कूल फीस के अभाव में छूट चुकी है। बेबस मजदूर कुमाउं कमिश्नर दीपक रावत तक के दरबार में अपने बच्चों के साथ अपनी गुहार लगा चुके हैं। मजदूरों और उनके बच्चों की बेबसी देखकर मंडल के कमिश्नर दीपक रावत ने अपने कार्यालय के बाहर धरना देते इन बच्चों को मानवीयता का परिचय देते हुए खुद अपने हाथों से बिस्कुट-टॉफी आदि देकर इनकी पढ़ाई-लिखाई के पूरे बंदोबस्त करने और मजदूरों की समस्या का हल निकालने के निर्देश दिए थे। इसके बाद इंटार्क कंपनी के कर्मचारियों के तीन माह के वेतन की रिकवरी के लिए कंपनी की आरसी काटी जा चुकी थी। एसडीएम रुद्रपुर की ओर से कंपनी के कर्मचारियों के वेतन भुगतान के लिए कंपनी को 5 जुलाई तक का अल्टीमेटम दिया गया है।
फैक्ट्री की तालाबंदी को अवैध को खुद प्रशासन द्वारा अवैध मानते हुए सरकार ने मजदूरों को उनका बकाया पैसा दिलाए जाने की कवायद की थी। लेकिन फैक्ट्री प्रबंधन द्वारा मामले को कोर्ट में उलझाए जाने की वजह से मजदूरों को निराशा ही मिली।
हताश-निराश मजदूरों द्वारा इस मामले में अपने हक़ के लिए हर उम्मीद के मंच पर धरना-प्रदर्शन किया जा रहा था। इसी क्रम में मजदूरों ने 29 जून को इंसाफ की उम्मीद में बच्चों के साथ इंटार्क मजूदर यूनियन ने कलक्ट्रेट के गेट पर भी देर रात तक धरना-प्रदर्शन किया था। इस दौरान डीएम को मांगपत्र सौंपने की मांग की गई थी। डीएम के न आने पर गेट पर ही मांगपत्र चस्पा किया था।
लेकिन अब श्रम अधिकारियों द्वारा बजाए मजदूरों की समस्या के समाधान के स्थान पर उल्टे उनके खिलाफ अपने ही बच्चों के शोषण का मुकदमा दर्ज करा दिया गया। मजदूरों के बजाए उनके बच्चों की फिक्र में दुबले हो रहे सहायक श्रमायुक्त द्वारा मजदूरों के खिलाफ पुलिस में दर्ज कराए गए इस मुकदमें में इल्जाम लगाया गया है कि गत 29 जून को कार्यालय उप श्रम आयुक्त, उधमसिहनगर परिसर में काफी संख्या में लोगों द्वारा धरना प्रदर्शन, बाल पंचायत, बाल सत्याग्रह किया गया। जिसमे मीडिया के माध्यम से दलजीत सिंह अध्यक्ष इंट्रार्क मजदूर संगठन पंतनगर, पान मोहम्मद इंट्रार्क मजदूर संगठन किच्छा, कैलाश भट्ट इंट्रार्क मजदूर संगठन पंतनगर व सुबत कुमार विश्वास बंगाल एकता मंच का नाम सामने आया है । इनके द्वारा कार्यालय परिसर में बच्चों को सामने रखकर बाल पंचायत व बाल सत्याग्रह कर बच्चों से लम्बे समय तक नारे लगाये और तेज धूप तथा शाम को तेज बारिश के बावजूद बच्चों के हाथ में नारे लिखित तख्तियों देकर उनको खड़ा रखा गया। इन व्यक्तियों द्वारा अपने बालकों का भारसाधक होते हुये इस प्रकार के कृत्य कराये जाना न्यायोचित नहीं है।
जिससे बच्चों के मानसिक शारीरिक कष्ट होने से उनके अधिकारों के हनन दिखायी देता है। सहायक श्रमायुक्त का कहना है कि उक्त व्यक्तियों एवं अन्य यूनियन के पदाधिकारी सभी को उनके द्वारा कार्यालय से की जानी वाली नियमानुसार कार्यवाही के बारे मे पूर्व में ही अवगत करा दिया गया है । उनके स्तर से कोई भी कार्यवाही लंबित नही है ।बावजूद इसके भी उप श्रम आयुक्त कार्यालय उधमसिंहनगर के परिसर में किये जाने वाली बाल पंचायत, बाल सत्याग्रह से कार्यालय के समस्त न्यायिक/ प्रशासिनक व दैनिक कार्य प्रभावित हुये । इस प्रकरण में इन्ट्रार्क यूनियन द्वारा अपनी मांगो को मनवाने हेतु बच्चों को विशेष इस्तेमाल कर धरना प्रदर्शन करना न्यायोचित नहीं है क्योकि इससे बाल अधिकारों का हनन होता है इसके सम्बंध में बाल संरक्षण समिति को भी अवगत करा दिया गया है।
बहरहाल, इस मामले में सहायक श्रमायुक्त की तहरीर के आधार पर पुलिस ने आरोपी श्रमिक नेताओं के विरूद्ध विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।