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राजनीति

मोदी सरकार में काम कम, शोर ज़्यादा, योगा दिवस पर बजट का आधे से ज़्यादा ख़र्च सिर्फ़ विज्ञापन पर

Ragib Asim
5 March 2020 1:05 PM GMT
मोदी सरकार में काम कम, शोर ज़्यादा, योगा दिवस पर बजट का आधे से ज़्यादा ख़र्च सिर्फ़ विज्ञापन पर
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नरेन्द्र मोदी सरकार ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को धूमधाम से मनाने की शुरुआत की. 2015 में अपनी पार्टी के सभी बड़े नेताओं को देश के अलग-अलग हिस्सों में हो रहे कार्यक्रमों में शिरकत करने के लिए सरकार ने भेज दिया था. इसके बाद से ये एक सिलसिला बन गया. लेकिन सबसे ज़्यादा ख़र्च सरकार ने विज्ञापन पर किया है....

जनज्वार। 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किए जाने के बाद से भारत सरकार ने इसके प्रचार-प्रसार में करोड़ों रुपए ख़र्च किए हैं. पांच साल में आयुष मंत्रालय ने इस पर कुल 1 अरब 36 करोड़ रुपए से ज़्यादा ख़र्च किए हैं, लेकिन इनमें आधा से ज़्यादा ख़र्च सिर्फ़ विज्ञापन पर किया गया है. मंगलवार को राज्यसभा में सांसद हुसैन दलवई के लिखित सवाल के जवाब में आयुष मंत्री श्रीपद नाइक ने ये जानकारी दी. सरकार के आंकड़े बताते हैं कि 2015 के मुक़ाबले 2019 में योग दिवस के मौक़े पर दोगुने से भी ज़्यादा ख़र्च किया गया. 2014 में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर केंद्र सरकार ने 16 करोड़ 39 लाख रुपए ख़र्च गिए थे, लेकिन उसके बाद से इसमें लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. 2019 आते-आते ये आंकड़ा बढ़कर 38 करोड़ 23 लाख रुपए हो गया है.

दिलचस्प ये है कि इन पांच साल के दौरान जो 136 करोड़ (1,36,77,66,976) रुपए ख़र्च हुए हैं, उनमें सबसे बड़ा मद विज्ञापन का है. सरकार ने विज्ञापन पर कुल 69 करोड़ (69,02,54,263) रुपए ख़र्च किए. विज्ञापन के लिए सबसे ख़र्चीला साल 2018 रहा. अकेले इस साल सरकार ने 25 करोड़ से ज़्यादा की रकम विज्ञापन पर ख़र्च कर डाली.

2015-2019 के बीच सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को 55 करोड़ 5 लाख रुपए का विज्ञापन दिया, जबकि प्रिंट मीडिया में 13 करोड़ 51 लाख रुपए के विज्ञापन छपवाए. इसके अलावा 2017 से सरकार ने डाक के ज़रिए प्रचार-प्रसार की शुरुआत की और बीते तीन साल में इस मद में 45 लाख 37 हज़ार रुपए ख़र्च किए.

विज्ञापन के बाद सबसे ज़्यादा इवेंट मैनेजमेंट पर ख़र्च किया गया है. पांच साल में सरकार ने इस मद में 21 करोड़ रुपए (21,20,35,671) से ज़्याद ख़र्च किए हैं. इसी दौरान योग दिवस के सरकारी कार्यक्रमों में हिस्सा लेने वाली प्रतिभागियों की टीशर्ट और योगा मैट पर सरकार ने 5 करोड़ 4 लाख रुपए ख़र्च किए. हुसैन दलवई ने अपने सवाल में सरकार से ये भी पूछा था कि इन कार्यक्रमों में बिस्किट और पानी पर कितनी रकम ख़र्च की गई, लेकिन सरकार ने अपने जवाब में कहा कि इसका ब्यौरा उसके पास नहीं है.

हालांकि सरकार ने जो जवाब दिए हैं उसमें ‘विविध’ का भी एक मद है, जिसके तहत 2017 में एक रुपया ख़र्च नहीं किया गया, लेकिन 2019 में इसी मद में 22 करोड़ से ज़्यादा रकम ख़र्च कर दी गई. दिलचस्प ये है कि 2019 में कुल ख़र्च हुई रकम है 38 करोड़ 23 लाख रुपए. यानी आधी से ज़्यादा रकम जिस मद में ख़र्च की गई है उसकी जानकारी सरकार ने नहीं दी है और उसे ‘विविध’ के मद में डाल दिया गया है.

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