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कोविड -19

योगी सरकार महज अपनी कुर्सी का कर रही मैनेजमेंट, अस्पतालों में ऑक्सीजन के बिना टूट रही जिंदगियों की डोर

Janjwar Desk
26 April 2021 10:16 AM GMT
योगी सरकार महज अपनी कुर्सी का कर रही मैनेजमेंट, अस्पतालों में ऑक्सीजन के बिना टूट रही जिंदगियों की डोर
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(फोटो: मनीष दुबे/जनज्वार) 

अस्पताल के इस जनरल वार्ड में एक बेड पर दो मरीज लेटकर इलाज ले रहे थे। पूछने पर पता चला कि डॉक्टर साहब ने डलवाया है। तीमारदारों ने बताया कि डॉक्टर साहब ने कहा है कि यहीं लेटो नहीं तो जमीन में लेट जाओ। लोग मजबूर हैं एक ही बेड में दो लोगों को लिटाकर इलाज करवाने को...

मनीष दुबे की रिपोर्ट

जनज्वार, कानपुर। गर्मी और धूप इतनी है कि इंसान का शरीर झुलसाए दे रही है। ऐसे में कानपुर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल हैलट में तीमारदार अपने मरीजों की जान बचाने के लिए एक जगह से दूसरी जगह भाग रहे हैं। राज्य की योगी सरकार कह रही की अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन, दवाई इत्यादि की कोई कमी नहीं है। लेकिन कुर्सी मैनेजमेंट की हकीकत अस्पतालों के वार्डों में जाकर देखने पर पता चल रही है।

हैलट को कानपुर का सबसे बड़ा अस्पताल बताया जाता है, बगल में मेडिकल कॉलेज भी है। यहां उन्नाव, कन्नौज, फरूखाबाद, औरैया, कानपुर देहात, घाटमपुर यहां तक की इटावा के भी मरीज अच्छे व सस्ते इलाज के लिए रेफर किए जाते हैं। यहां की हालत अमूमन आम दिनो में भी खराब ही रहती है, अब तो महामारी का दौर चल रहा है। अस्पताल के किसी भी वार्ड में घुसते ही मरीज का कोई ना कोई बैठा तीमारदार सिसक-सिसककर रो रहा है।

कन्नौज के एक अस्पताल से रेफर की गई शबनम की बूढ़ी माँ दो दिन से बेड पर पड़ी तड़प रही है। उसके कराहने की आवाज किसी का भी दिल पिघला सकने का माद्दा रखती है लेकिन यहाँ के डॉक्टर ना जाने किस बात का इंतजार कर रहे हैं। शबनम जनज्वार से कहती है कि भइया दो दिन हो गए माँ ऐसे ही तड़प रही है कोई पूछने देखने तक नहीं आया है। डॉक्टर को बुलाने जाते हैं तो डॉक्टर कहता है कि चलो अभी आ रहे हैं, फिर इंतजार करते हैं डॉक्टर साहब आते ही नहीं हैं।

इसी अस्पताल के जनरल वार्ड में हमारे पहुँचने पर एक महिला रो रही थी। उसकी माँ की हालत भी पिछले कई दिन से खराब चल रही है। महिला रोते हुए अपना दुख बता रही थी। उसका कहना है कि कोई सुविधा नहीं है यहां। ना डॉक्टर सुन रहे ना दवाइयां समय से मिल रही हैं। जानवरों से भी बदतर हालत में हम लोग यहां पड़े हुए हैं। बगल में खड़ा महिला का पति भी अपने आंसू पोंछ रहा था। उसकी माँ उस्पताल के बेड में जिंदगी और मौत के बीच झूल रही थी।

अस्पताल के इस जनरल वार्ड में एक बेड पर दो मरीज लेटकर इलाज ले रहे थे। पूछने पर पता चला कि डॉक्टर साहब ने डलवाया है। तीमारदारों ने बताया कि डॉक्टर साहब ने कहा है कि यहीं लेटो नहीं तो जमीन में लेट जाओ। लोग मजबूर हैं एक ही बेड में दो लोगों को लिटाकर इलाज करवाने को। ऐसे में क्या पता कोरोना महामारी भी हाथ जोड़कर चीन चली जाए। वैसे भी अस्पतालों को सरकारी आदेश भी तो पूरा करना है कि बेड है। अब बेड में एक लेटे या तीन कौन सा योगी बाबा देखने जा रहे।

घाटमपुर से अपनी माँ का इलाज कराने आई कुसुम जनज्वार को बताती है कि किसी से हाथ-पांव जोड़कर सिलेण्डर लिया है जिसके बाद 6 सौ रूपये की ऑक्सीजन खुद भराकर लाए हैं। साथ में उसका भाई भी था। कुसुम का भाई कहता है यहां जिसकी सेटिंग जिसका लिंक है उसे जल्दी इलाज मिल जा रहा है जिसका लिंक नहीं है वह भटकते हुए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल के बाद श्मशान घाट पहुँच जा रहा है। कुसुम से योगी बाबा की बात बताने पर वह कहती हैं वह झूठ बोल रहे हैं। यहां जो है आपके सामने है, आप खुद देखिए क्या व्यवस्था है यहां?

अस्पताल के इस वार्ड में हमारी मौजूदगी में पहुँचे डॉक्टर आशीष हमसे बात करते हुए कहते हैं कि सुविधानुसार सबका इलाज किया जा रहा है। हमसे जितना हो पा रहा है सभी की मदद कर रहे हैं। ऑक्सीजन वगैरा कि दिक्कत है उसके लिए कह रखा है, उम्मीद है कि जल्दी ही मह तक पहुँच जाए। एक बेड में दो मरीज लिटाए जाने के सवाल पर डॉक्टर आशीष कहते हैं की उस समय बेड उपलब्ध नहीं थे, जैसे ही कोई बेड खाली होता है इन्हें शिफ्ट करवा दिया जाएगा।

हर तरफ बदहाली, अपने अपनो को खोने के बाद सिसकते लोग उत्तर प्रदेश के लाचार असहाय सरकारी तंत्र की नाकामी की दास्तान चीख-चीखकर बता रहे हैं। ऐसे में सूबे के मुखिया का गैरजिम्मेदाराना बयान कि यहां सब उपलब्ध है, गले से नीचे नहीं उतरता। उपर से यह की सरकार की नाकामी दिखाने बताने पर अफवाह की धारा लगाकर संपत्ति जब्त कर लेंगे, पूरे तौर पर तानाशाही को उजागर करती है।

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