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बीबीसी रिसर्च में आया सामने सरकार के संरक्षण में फैल रहे फेक न्यूज के मोदी भी हैं फॉलोवर
देश में तथाकथित राष्टवाद और धर्म को आधार बनाकर धड़ल्ले से फैलाई जाती हैं फेक न्यूज़ फैलाई सरकारी संरक्षण के साथ-साथ मेनस्ट्रीम मीडिया द्वारा महत्वहीन खबरों का प्रचार दे रहा है फेक न्यूज़ को अधिक बढ़ावा....
प्लास्टिक से निपटना देश ही नहीं विश्वभर के पर्यावरण के लिए है सबसे बड़ी चुनौती
वरिष्ठ लेखक महेंद्र पाण्डेय का विश्लेषण
कोलिन्स डिक्शनरी हरेक वर्ष सबसे प्रचलित शब्द को वर्डऑफ़ द इयर, यानि वर्ष का शब्द, घोषित करती है, और यदि यह शब्द डिक्शनरी में पहले से नहीं होता तब उसे प्रिंट संस्करण में शामिल भी करती है।
इस वर्ष का वर्ड ऑफ़ द इयर, दरअसल एक शब्द नहीं बल्कि दो शब्द हैं, जिनका उपयोग आज के सन्दर्भ में साथ-साथ किया जाता है। यह शब्द है, सिंगल यूज़, और इसे प्लास्टिक के ऐसे उत्पादों के लिए उपयोग में लाया जाता है जिन्हें हम सामान्य तौर पर यूज़ एंड थ्रो भी कहते हैं।
इसके उदाहरण हैं, प्लास्टिक से बने स्ट्रॉ, ईअर बड, रद्दी प्लास्टिक से बने बैग, प्लास्टिक के ग्लास, प्लेट और चम्मच इत्यादि। ऐसे उत्पादों को केवल एक बार ही उपयोग में लाया जाता है, फिर फेंक दिया जाता है। पर, इन उत्पादों का इतना अधिक उपयोग किया जाने लगा है कि अब ये पर्यावरण के लिए बहुत बड़ा खतरा बन गए हैं।
इस वर्ष के आरम्भ से ही प्लास्टिक के कचरे पर खूब चर्चा की गयी, और इस शब्द को मिला खिताब इसी का नतीजा है। अनुमान है कि सिंगल यूज़ शब्द का उपयोग वर्ष 2013 से अब तक चार-गुना बढ़ चुका है और वर्तमान दौर में सिंगल यूज़, एक शब्द के तौर पर प्लास्टिक के लिए ही उपयोग किया जा रहा है।
सिंगल यूज़ का एक शब्द जैसा उपयोग सबसे पहले वर्ष 1959 में ब्रिटिश स्टैंडर्ड्स इंस्टिट्यूट की एक रिपोर्ट में धातुओं से बने कुछ कंटेनर्स के लिए और ऐसी ट्यूब के लिए किया गया था जो केवल एक बार ही उपयोग की जा सकती थी।
इसके कुछ वर्षों बाद टाइपराइटर के लिए सिंगल यूज़ रिबन बाजार में आये। सिंगल यूज़ सिरिंज, ब्लड कंटेनर जैसे उपकरण बाज़ार में आ गए जिनसे संक्रमण का खतरा कम हो सके। फिर सिंगल यूज़, एक शब्द जैसा प्लास्टिक के लिए उपयोग में आने लगा और अब तो इसका पर्यायवाची जैसा बन गया है।
दरअसल प्लास्टिक का कचरा अब माउंट एवेरेस्ट से लेकर मरिआना ट्रेंच (महासागरों की सबसे गहरी जगह) तक फैल गया है। इसके कचरे से निर्जन टापू तक लदे पड़े हैं और समुद्री जीव इसे निगल रहे हैं। वर्तमान में इससे निपटना पर्यावरण के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
वैसे अपने देश में, इस वर्ष यदि कोई शब्द सही मायने में वर्ड ऑफ़ द इयर के लायक है, तो वह है –मी टू। इस वर्ष इस शब्द ने देश के हरेक क्षेत्र में अपना असर दिखाया। महिलाओं ने इसके माध्यम से अपनी आवाज बुलंद की और अपने साथ होने वाली ज्यादती को सशक्त तरीके से उठाया और ऐसा लगने लगा कि महिलाओं के पुनर्जागरण का एक नया दौर आ गया है।
इस वर्ष सिंगल यूज़ को टक्कर देने वाले अनेक शब्द थे. “प्लोगिंग” नया शब्द है, जिसे स्वीडन और नोर्वे जैसे देशों में जॉगिंग के साथ-साथ कचरे को उठाना के सन्दर्भ में उपयोग किया जाता है। “गैमोन” शब्द का मतलब ऐसा श्वेत अधेड़ पुरुष जो विद्रोही प्रवृत्ति का हो। इस शब्द का उपयोग ब्रिटेन में जिन लोगों ने यूरोपियन यूनियन से अलग होने के लिए मत दिया था, उनके लिए किया जाता है।
“फ्लॉस” शब्द प्रसिद्ध विडियो गेम फोर्टनाईट में किये जाने वाले नृत्य का नाम है। “गैसलाइट” उन लोगों को कहा जाता है, जो झूठी खबर (फेक न्यूज़) से अपना विचार बदल लेते हैं। पिछले पांच वर्षों के दौरान गैसलाइट शब्द का उपयोग 20 गुना बढ़ गया है. इसके बाद “मी टू” का स्थान है।
वर्ष 2016 में वर्ड ऑफ़ द इयर का खिताब “ब्रेक्सिट” को दिया गया था। यह शब्द ब्रिटेन और एग्जिट को मिलाकर बनाया गया है, और ब्रिटेन के यूरोपियन यूनियन से अलग होने को बताता है। “फेक न्यूज़” पिछले वर्ष (2017) का चैंपियन शब्द था, पर इसकी प्रासंगिकता लगातार बड़ी होती जा रही है।
इस समय दुनियाभर में एकाएक छद्म राष्ट्रवादी और सघन दक्षिणपंथी ताकतें उभर रही हैं और इनका आधार फेक न्यूज़ ही है। ऐसी ही फेक न्यूज़ के सहारे देशों में सत्ता-परिवर्तन हो रहा है, और सरकारें ही फेक न्यूज़ फैला रही हैं।
बीबीसी वर्ल्ड सर्विस के लिए बीबीसी रिसर्च ने एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसके अनुसार हमारे देश में सरकारी फेक न्यूज़ का बोलबाला है और देश के प्रधानमंत्री भी ऐसी न्यूज़ को फॉलो करते हैं। यहाँ पर तथाकथित राष्टवाद और धर्म को आधार बनाकर धड़ल्ले से फेक न्यूज़ फैलाई जाती है। सरकारी संरक्षण के साथ-साथ मेनस्ट्रीम मीडिया द्वारा महत्वहीन खबरों का प्रचार फेक न्यूज़ को अधिक बढ़ावा दे रहा है।
कॉलिंस डिक्शनरी की भाषा विभाग की प्रमुख हेलेन न्यूज़स्टेड के अनुसार पिछले कुछ वर्षों से सामाजिक जागरूकता या फिर विद्रोह वाले शब्द अधिक प्रचलित हो रहे हैं। इस वर्ष भी “सिंगल यूज़” का वर्ड ऑफ़ द इयर बनना हेलेन के कथन को सत्य साबित करता है। पर, सिंगल यूज़ शब्द के उपयोग के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए ऐसे उपाय जरूरी हैं जो इस शब्द के उपयोग को पूरी तरह रोक दें।