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राजनीति

21वीं सदी में 18वीं सदी की सोच से नहीं हो सकता किसानों का भला - प्रधानमंत्री मोदी

Janjwar Desk
10 Feb 2021 1:30 PM GMT
21वीं सदी में 18वीं सदी की सोच से नहीं हो सकता किसानों का भला - प्रधानमंत्री मोदी
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प्रधानमंत्री ने कहा कि नये कृषि कानून से देश के छोटे किसानों को फायदा होगा और उन्हें अपनी उपज बेचने को एक नया विकल्प मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि नया कृषि कानून वैकल्पिक है, अनिवार्य नहीं है।

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि 21वीं सदी में 18वीं सदी की सोच से किसानों का भला नहीं हो सकता है। कोरोना काल की विषम परिस्थितियों में भी देश में खाद्यान्नों का रिकॉर्ड उत्पादन होने में किसानों की मेहनत का जिक्र करते हुए मोदी ने लोकसभा में कहा कि कृषि सुधारों के जरिए सरकार किसानों के हितों के लिए काम करने का प्रयास कर रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि नये कृषि कानून से देश के छोटे किसानों को फायदा होगा और उन्हें अपनी उपज बेचने को एक नया विकल्प मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि नया कृषि कानून वैकल्पिक है, अनिवार्य नहीं है।

मोदी ने कहा कि देश में एक बहुत बड़ा वर्ग है, इस वर्ग की पहचान है, 'talking the right thing' सही बात कहने में कोई बुराई भी नहीं हैं। लेकिन इस वर्ग के लोग 'doing the right thing' वालों से नफरत करते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि किसानों के पवित्र आंदोलन को बर्बाद करने का काम आंदोलनकारियों ने नहीं, आंदोलनजीवियों ने किया है। इसलिए देश को आंदोलनकारियों और आंदोलनजीवियों के बारे में फर्क करना बहुत जरूरी है।

पीएम मोदी ने कहा कि किसान आंदोलन को मैं पवित्र मानता हूं। भारत के लोकतंत्र में आंदोलन का महत्व है, लेकिन जब आंदोलनजीवी पवित्र आंदोलन को अपने लाभ के लिए अपवित्र करने निकल पड़ते हैं तो क्या होता है? उन्होंने यह भी कहा कि, दंगा करने वालों, सम्प्रदायवादी, आतंकवादियों जो जेल में हैं, उनकी फोटो लेकर उनकी मुक्ति की मांग करना, ये किसानों के आंदोलन को अपवित्र करना है।

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