Road Rage Case : Navjot Singh Sidhu को भेजा गया पटियाला जेल, माता कौशल्या अस्पताल में हुआ मेडिकल टेस्ट
Road Rage Case : Navjot Singh Sidhu को भेजा गया पटियाला जेल, माता कौशल्या अस्पताल में हुआ मेडिकल टेस्ट
Road Rage Case : कांग्रेस नेता व पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ने शुक्रवार को पटियाला कोर्ट (Patiala Court) में सरेंडर किया। वे अपन समर्थकों के साथ कोर्ट पहुंचे। सिद्धू अपने साथ कपड़ों का एक बैग लेकर गए हैं। इसके बाद उन्हें माता कौशल्या अस्पताल में मेडिकल के लिए ले जाया गया। अब उन्हें पटियाला जेल भेज दिया गया है। बताया जा रहा है कि इसी जेल में सिद्धू के धु विरोधी बिक्रम सिंह मजीठिया भी बंद हैं। अब यहां उनका एक -दूसरे से आमना-सामना होगा।
इससे पहले सिद्धू ने सुबह सुप्रीम कोर्ट से सरेंडर के लिए समय मांगा था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दिया। सरेंडर करने जाने से पहले सिद्धू के पटियाला स्थित आवास पर समर्थकों का जमावड़ा लगा रहा। इस दौरान उन्हें मिलने पूर्व सांसद डॉ. धर्मवीर गांधी भी पहुंचे। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने भी सिद्धू को फोन किया और कहा कि कांग्रेस आपके साथ है, आप मजबूत रहिए।
जस्टिस एएम खानविलकर ने सिद्धू को आवेदन दाखिल करने के लिए कहा था। हालांकि चीफ जस्टिस ने विशेष पीठ के गठन की मांग करने के लिए वकील द्वारा उल्लेख करने के आग्रह को ठुकरा दिया। इसके तहत अब नवजोत सिद्धू को आज ही समर्पण करना होगा।
सिद्धू के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने मुवक्किल के सरेंडर के लिए एक सप्ताह का समय मांगा ता। सुप्रीम कोर्ट ने सिंघवी को एक उचित आवेदन पेश करने और सीजेआई बेंच के समक्ष इसका उल्लेख करने के लिए कहा था।
नवजोत सिंह सिद्धू 27 दिसंबर 1988 को अपने दोस्त रुपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरवाले गेट की मार्केट में पहुंचे ते। मार्केट में पार्किंग को लेकर उनकी 65 साल के बुजुर्ग गुरनाम सिंह से कहासुनी हो गई। बात हाथापाई तक जा पहुंची। इस दौरान सिद्धू ने गुरनाम सिंह को मुक्का मार दिया। पीड़ित को अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई थी।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साल 2018 में सिद्धू को मात्र एक हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी। इसके बाद पीड़ित पक्ष ने इस पर पुनर्विचार याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश को 15 मई 2018 को दरकिनार कर दिया था जिसमें रोडरेज के मामले (Road Rage Case) में सिद्धू को गैरइरादतन हत्या का दोषी ठहराते हुए तीन साल की कैद की सजा सुनाई थी।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को एक 65 वर्षीय नागरिक को जानबूझकर चोट पहुंचाने का दोषी माना था लेकिन उन्हें जेल की सजा नहीं दी थी और एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। आईपीसी की धारा 323 के तहत अपराध के लिए एक साल की जेल या एक हजार रुपेय जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।