उत्तराखंड कैबिनेट पर भी गिरेगी भर्ती घोटाले की गाज, विवादित मंत्रियों की ड्रॉपिंग तय, लोकसभा चुनाव को देखते हुए हो सकता है भारी फेरबदल
'विधानसभाकर्मियों की बर्खास्तगी पर धामी सरकार कर रही मीठा-मीठा गप्प-गप्प, कड़वा-कड़वा थू-थू' भाकपा माले हुई हमलावर
Uttarakhand Bharti Ghotala : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जब-जब दिल्ली का रुख करते हैं तब-तब एक लाख टके का सवाल उनकी कैबिनेट में मौजूद खाली कुर्सियों के भरने से जुड़ा जरूर उठता है। धामी की दिल्ली यात्रा हो किसी भी संदर्भ में, लेकिन यह इकलौता सवाल है जो हर यात्रा पर प्रासंगिक रहा। वजह, धामी कैबिनेट में शुरू से लेकर मौजूदा समय तक कैबिनेट मंत्रियों की संख्या 8 रही है, जबकि इनकी संख्या 11 तक पहुंचाए जाने को लेकर किसी तरह की कोई बाध्यता नहीं है।
बता दें कि इस विधानसभा की तरह बीती विधानसभा में भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार में कैबिनेट मंत्रियों की कुछ कुर्सियों को अंतिम समय तक खाली रखते हुए पार्टी के तमाम क्षत्रपों को मंत्री पद की जुगाड़बाजी में ही उलझाए रखा था। मौजूदा विधानसभा में भी कुल तीन कैबिनेट मंत्रियों की कुर्सी को खाली रखते हुए पार्टी ने अपने हर विधायक के मन में हिलोरें पैदा की हुई हैं। इसी उम्मीद में मंत्रिमंडल विस्तार की ओर टकटकी लगाए बैठे नेता मंत्री फल अपनी झोली में गिरने की आस में हैं। कुशल बाजीगर की तरह धामी अपनी इसी मुट्ठी को बंद कर उसे लाख की बनाए हुए हैं, लेकिन आने वाले लोकसभा चुनाव की दहलीज पर बैठी धामी सरकार के लिए प्रदेश में उछल रहे भर्ती घोटाले के बाद शायद कुछ दिन और ऐसे ही सरकार चलाना अब संभव नहीं है।
कुछ कैबिनेट मंत्रियों पर जिस तरह से इस भर्ती घोटाले के छींटे पड़ रहे हैं, उन्हें साथ लेकर आगे का सफर तय करने में धामी को असहजता हो रही है। कुछ मंत्रियों को ड्रॉप करके वह अब नई कैबिनेट की इच्छा रखे हुए हैं, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि बिना आलाकमान की सहमति के वह ऐसा कैसे करें ? ऐसी सूरत में जब भाजपा आलाकमान ने उनसे उनकी कैबिनेट की प्रोग्रेस रिपोर्ट तलब कर ली है तो धामी के लिए कैबिनेट के पुनर्गठन की राह आसान हो गई है।
राजनैतिक हलकों में इस बात की जबरदस्त चर्चा है कि हाईकमान ने सीएम पुष्कर सिंह धामी से मंत्रियों और विधायकों को लेकर गोपनीय रिपोर्ट मांगी है। मुख्यमंत्री धामी इस समय दिल्ली दौरे के दौरान भाजपा मुख्यालय पहुंचकर कई बड़े नेताओं से मुलाकात भी कर चुके हैं। ऐसे में अब इस बात की संभावनाएं अपने चरम पर है कि उत्तराखंड कैबिनेट में जल्द ही बड़ा फेरबदल देखने को मिल सके।
राज्य में नई सरकार बनने के बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी की कैबिनेट में यह पहला बदलाव होगा जिसमें कुछ मंत्रियो क़ो हटाने का फैसला हो सकता है। माना जा रहा है भर्ती घोटाले और स्वास्थ्य के लिहाज से तीन से चार मंत्रियों को हटाकर आधा दर्जन के करीब नए चेहरों को कैबिनेट में एंट्री मिल सकती है। इसी बदलाव की बेला में कुछ मंत्रियों के पोर्टफोलियो में बदलाव के भी पर्याप्त संकेत मिल रहे हैं। किसे कौन-सा मंत्रालय दिया जाएगा, इस सबका निर्णय संगठन और मुख्यमंत्री की संयुक्त राय के बाद दिल्ली में भाजपा आलाकमान ही लेगा, जिसे देहरादून में धामी अमलीजामा पहनाएंगे।
हालिया विधानसभा चुनाव में पुष्कर सिंह धामी खटीमा सीट से चुनाव हारने के बाद भी पार्टी ने उन पर भरोसा जताते हुए उन्हें विधायक दल का नेता बनाकर 24 मार्च को मुख्यमंत्री बनाया था। शपथ के पांच दिन बाद 29 मार्च को उत्तराखंड कैबिनेट की लिस्ट जारी हुई थी जिसमें सतपाल महाराज, प्रेम चंद अग्रवाल, गणेश जोशी, धन सिंह रावत, सुबोध उनियाल, रेखा आर्या, चंदन राम दास और सौरभ बहुगुणा जैसे नाम शामिल किए गए थे।
सतपाल महाराज को लोक निर्माण विभाग, प्रेम चंद अग्रवाल को वित्त के साथ शहरी विकास व आवास, गणेश जोशी को कृषि मंत्रालय, धन सिंह रावत को शिक्षा और चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग, सुबोध उनियाल को वन, रेखा आर्या को बाल विकास मंत्रालय, चंदनराम दास को समाज कल्याण और सौरभ बहुगुणा को पशुपालन मंत्रालय की जिम्मेदारी देकर सरकार ने अपना काम शुरू किया था। इसी दिन से कैबिनेट की तीन खाली पड़ी कुर्सियों पर विधायकों की नजर लगी हुई थी। देखते हैं, संभावित फेरबदल में किसके हिस्सा क्या आता है।