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Maharashtra IT Raid : क्या केन्द्र सरकार की एजेंसियां महाराष्ट्र और बंगाल को ही निशाना बना रही हैं?

Janjwar Desk
9 March 2022 11:47 AM GMT
Maharashtra IT Raid : क्या केन्द्र सरकार की एजेंसियां महाराष्ट्र और बंगाल को ही निशाना बना रही हैं?
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(शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे के साथ राहुल कानल)

Maharashtra IT Raid : बीएमसी चुनावों के पहले मुंबई और पुणे में शिवसेना नेता के करीबियों के ठिकानों पर छापेमारी के बाद बढ़ा महाराष्ट्र का सियासी पारा

Maharashtra IT Raid : आयकर विभाग (Income Tax Department) की टीमों ने मंलगवार को दो अलग-अलग मामलों में शिवसेना (Shivsena) से जुड़े तीन नेताओं के मुंबई (Mumbai) और पुणे (Pune) स्थित स्थित ठिकानों पर छापेमारी की है। आयकर विभाग की तरफ से बताया गया है कि ये ठिकाने युवा सेना के नेता राहुल कानल जो कि शिवनेता नेता और महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) में मंत्री ​आदित्य ठाकरे (Aditya Thackery) के करीबी हैं, शिवनेता नेता रामदास कदम (Shivsena leader Ramdas Kadam) के भाई सदानंद कदम और आरटीओ बजरंग खारमाठे जो कि शिवनेता के मंत्री अनिल परब के करीबी है उनसे संबंधित हैं। छापेमारी के दौरान मुंबई (Mumbai) स्थित 12 और पुणे के सात ठिकानों को आयकर विभाग के अधिकारियों ने खंगाला है।

इन छापों के बाद महाराष्ट्र (Maharashtra) का सियासी पारा भी गर्म होता जा रहा है। महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने आयकर विभाग (Income Tax) के इन छापों के बाद बताया कि ऐसे हमले पूर्व में भी महाराष्ट्र पर हुए हैं। ये हमले केन्द्र सरकार के इशारे पर हो रहे हैं। भाजपा को ये जब महाराष्ट्र विकास अघाड़ी से आने वाले चुनावों में खतरा महसूस होने लगा है तो केन्द्र के इशारे पर यह सबकुछ शुरू कर दिया गया है। केन्द्र की भाजपा सरकार यूपी, हैदराबाद (Hyderabad) और बंगाल (Bengal) में चुनावों के पूर्व ऐसा पहले भी कर चुकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र की एजेंसियां भाजपा के हाथ की कठपुथलियां कर बन गयीं हैं, पर महाराष्ट्र इनके आगे झुकेगा नहीं।

वहीं शिवसेना नेता और सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) ने छापेमारी के बाद कहा कि मुंबई (Mumbai) में बहुत हलचल है. छापे के ऊपर छापे हो रहे हैं. साथ ही उन्होंने दावा किया कि जब तक मुंबई में बीएमसी चुनाव ख़त्म नहीं हो जाते, तब तक हर वार्ड में ये आईटी छापे जारी रहेंगे.

शिवसेना नेता राउत ने कहा है कि "मैंने प्रधानमंत्री जी को 28 फरवरी को 13 पन्ने का लेटर लिखा. ऐसे मैं दस पार्ट दूंगा. ये उन दस भागों की पहली किस्त है. इसमें मैंने उन्हें बताया है कि बीते कुछ वर्षों से ईडी के कुछ अधिकारी और एजेंट्स उनका एक नेटवर्क बिल्डर्स, डेवलपर्स और कॉरपोरेट्स को डराने का काम वो कर रहे हैं. ईडी के एजेंट्स का एक नेटवर्क ज़बरदस्ती वसूली में लगा है और करोड़ों वसूल रहा है."

इस दौरान राउत ने सवाल उठाया कि, "सभी के दिमाग में एक ही प्रश्न हैं, ये छापे केवल पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र तक ही क्यों सीमित हैं? क्यों केवल टीएमसी और शिवसेना? यह एमवीए सरकार को अस्थिर करने का प्रयास है. क्या इस देश के अन्य राज्यों में कोई नहीं मिलता जहां केंद्रीय एजेंसी जांच करे.

ये तो सबको मालूम है कि ये महाराष्ट्र में जो सरकार है उसे दबाव में लाकर गिराने की साजिश है. हमने अब तक 50 नाम भेजे हैं और मैंने बार-बार अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में ज़िक्र भी किया है, लेकिन उनको क्यों नहीं ये लगता है कि एक सांसद, एक ज़िम्मेदार नेता कुछ बोल रहा है तो उस पर जांच होनी चाहिए?"

इसके बाद संजय राउत ने कहा कि "अब हमने हमारी एजेंसी के पास मामला दर्ज किया है. हमने आधिकारिक शिकायत दर्ज की है. हमने हज़ारों पन्ने की शिकायत केंद्रीय एजेंसियों को दी थी लेकिन उसकी सुनवाई नहीं हुई."हमने मुंबई के पुलिस कमिश्नर के पास जबरन वसूली के मामले में चार ईडी अफसर के ख़िलाफ़ शिकायत दी है. जिसकी जांच मुंबई पुलिस आज से शुरू कर रही है. ईडी के कुछ अफ़सर जेल में जा सकते हैं."

महाराष्ट्र में हुए इन छापों के बाद एक बार फिर केन्द्र की एजेंसियां विपक्षी दलों के निशाने पर आ गयी हैं। जैसा कि शिवसेना नेताओं ने आरोप लगाया है केन्द्रीय एजेंसियों ने इससे पूर्व हैदराबाद नगर निगम के चुनावों के पूर्व और बंगाल और उत्तर प्रदेश प्रदेश के विधानसभा चुनावों के पूर्व भी इन राज्यों में ऐसी स​क्रियता दिखायी थी। तो क्या वाकई केन्द्र सरकार की एजेंसियां गैर भाजपा सरकार वाले राज्यों और विपक्षी दलों को निशाना बना रही है यह एक बड़ा सवाल बन गया है। दोषियों और घोटालेबाजों को सजा जरूर मिलनी चाहिए पर अगर वाकई में गलत तरीके से देश की महत्वपूर्ण एजेंसियों का किसी सरकार की ओर से अनुचित इस्तेमाल किया जाएगा तो देश के लोकतांत्रिक ढांचे के लिए यह कतई सही नहीं है।

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