तालिबान को मान्यता नहीं देगा यूरोपियन यूनियन, राजनीतिक वार्ता से भी इंकार
जनज्वार। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से दुनिया भर के देशों की अपने-अपने तरीके से प्रतिक्रिया आ रही है तो कई देश अभी वेट ऐंड वाच की स्थिति में हैं। इस बीच एक बड़ी खबर यह है कि यूरोपियन यूनियन ने तालिबान को मान्यता देने से इनकार कर दिया है।
यूरोपियन कमिशन प्रेसिडेंट उरसूला वोन डेर लियेन ने कहा कि ना तो तालिबान को मान्यता दी जाएगी और ना ही आतंकवादियों से कोई राजनीतिक वार्ता होगी। यूरोपियन यूनियन एग्जिक्यूटिव के प्रमुख ने मैड्रिड में अफगान कर्मचारियों के लिए बनाए गए रिसेप्शन सेंटर के दौरे के बाद उक्त बातें कही हैं।
यूरोपियन कमिशन प्रेसिडेंट उरसूला वोन डेर लियेन ने कहा, "हम तालिबान के द्वारा कही गई अच्छी बातों को सुन सकते हैं लेकिन हम उसके हर कारनामे और हर एक एक्शन की गहन छानबीन करेंगे। कमीशन यूरोपीय देशों को फंड देने के लिए तैयार था। जिसके जरिए प्रवासियों को फिर से बसने में सुविधा मिलती है। वो पुनर्वास के मुद्दे को अगले हफ्ते जी7 की बैठक में फिर उठाएंगी।"
बता दें कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से ही वहां अफरातफरी की स्थिति है। काबुल हवाईअड्डे पर देश छोड़कर जाने की इच्छा रखनेवाले लोगों का हुजूम रह रहा है। दूसरी ओर महिलाओं के अधिकारों और उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई जा रही है।
हालांकि तालिबान के कब्जे के बीच स्थानीय विद्रोही गुट भी सक्रिय हो गए हैं। खबर है कि बाघलान राज्य में विद्रोही गुटों ने तालिबान के कब्जे से तीन जिले छीन लिए हैं। कहा जा रहा है कि बाघलान प्रांत में स्थानीय विरोधी गुटों ने बानू और पोल-ए-हेसर जिलों पर फिर से कब्जा कर लिया है।
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार तालिबान और विरोधियों के बीच यहां भारी गोलीबारी हुई है। इस गोलीबारी में तालिबान को भारी नुकसान होने की खबर है। तालिबान के विरोधियों ने ऐसी कुछ तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर भी शेयर की हैं।
इससे पहले यह भी खबर आई थी कि सालेह की सेना ने परवान प्रक्षेत्र के चारीकार इलाके पर कब्जा कर लिया। यह प्रक्षेत्र नॉर्थ काबुल में आता है। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बीच उसके शासन के खिलाफ खेमेबंदी तेज हो गई है। यह भी खबर आई है कि अफगानिस्तान की तालिबान विरोधी ताकतें पंजशीर घाटी में एकजुट हुई हैं।
इनमें पूर्व उपराष्ट्रपति अमरूल्ला सालेह और अफगान सरकार के वफादार सिपहसालार जनरल अब्दुल रशीद दोस्तम व अता मोहम्मद नूर के अलावा नॉदर्न अलायंस से जुड़े अहमद मसूद की फौजें शामिल हैं।