कोरोना मरीज की मौत के बाद अस्पताल ने थमाया 14.50 लाख का बिल, परिजनों ने लगाया जबरन वसूली और लाश रोकने का आरोप

कोरोना से मरने वाले बुजुर्ग के परिजनों ने अस्पताल मैनेजमेंट पर अधिक बिल लेने का आरोप लगाकर किया जमकर हंगामा, कहा कि फीस बढ़ाने के लिए लाश को अधिक देर तक रोके रखा गया...

Update: 2020-08-26 05:52 GMT

मनीष दुबे की रिपोर्ट

कानपुर। कानपुर के गोविंदनगर स्थित रिजेंसी कोविड हॉस्पिटल में एक कोरोना संक्रमित मरीज की मंगलवार 25 अगस्त को मौत हो गई। बुजुर्ग की मौत के बाद परिजनों ने शव सौंपने को लेकर जमकर हंगामा किया। परिवार ने असप्ताल पर जबरन अधिक वसूली का आरोप भी लगाया है।

जानकारी के मुताबिक स्वरूपनगर कॉनकॉर्ड अपार्टमेंट निवासी एसबीआई से रिटायर 68 वर्षीय बुजुर्ग को कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर 1 अगस्त को गोविंदनगर के रीजेंसी कोविड अस्पताल में एडमिट किया गया था। हालत बिगड़ने पर मरीज को तीसरे दिन वेंटिलेटर पर रख दिया गया, जिसके बाद मंगलवार 25 अगस्त को उनकी मौत हो गई। बुजुर्ग की मौत के बाद हॉस्पिटल ने इलाज का बिल 14.50 लाख रुपये थमा दिया। इसमें सेपरिजन 11 लाख पहले ही जमा कर चुके थे।

मृतक के पुत्र शोभित टण्डन कहते हैं, 24 दिन पहले उनके पिता अपने पैरों पर चलकर खुद रीजेंसी गोविंद नगर अस्पताल भर्ती होने गए थे। उनकी कोविड की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। पहले वह जनरल वार्ड में थे, उसके बाद अस्पताल वाले उन्हें आईसीयू में ले गए और फिर वेंटिलेटर पर उपचार करने लगे। 24 दिन का बिल साढ़े 14 लाख रुपए बना दिया गया, जबकि वहां के ड्यूटी डॉक्टर ने 5 दिन पहले ही बोल दिया था कि इनके शरीर में कोई भी गतिविधि नहीं हो रही है। डॉक्टर के कहने के बावजूद अस्पताल प्रबंधन 5 दिन से लगातार बिल बनाता जा रहा था।

शोभित टंडन कहते हैं, हम लोग 11 लाख रुपए अस्पताल को पेमेंट दे चुके हैं। जब से पेमेंट देना बंद किया तब से यहां का स्टाफ ठीक से बात भी नहीं कर रहा था। पिछले 5 दिन से मेरे पिताजी के शरीर में कोई भी गतिविधि नहीं थी, उसके बावजूद यह लोग बताते रहे कि हमें डायलिसिस करनी है, हमें ब्लड चढ़ाना है और उनका उपचार करने की तरह-तरह की बातें बताते रहे। कल 24 अगसत की सुबह 10 बजे यह बताया कि अब आपके पिता नहीं रहे।

उसके बाद भी अस्पताल ने मेरे पिता की बॉडी देने से इंकार कर दिया। हम पर बार-बार दबाव डाला जा रहा कि पहले अपने पूरे बिल का पूरा भुगतान करिए, तभी लाश सौंपी जायेगी।

परिजनों ने अस्पताल मैनेजमेंट पर अधिक बिल लेने का आरोप लगाकर जमकर हंगामा किया। उन्होंने कहा कि फीस बढ़ाने के लिए शव को अधिक देर तक रोके रखा गया। मंगलवार 24 अगस्त की शाम को मामले की शिकायत मंडलायुक्त सुधीर एम बोबड़े से की गई। मृतक के परिजनों का कहना है कि 14.50 लाख के बिल में 11 लाख रुपये वो पहले ही दे चुके हैं, अब कह रहे कि पहले बकाया रुपया जमा करो, फिर बॉडी देंगे।

देर रात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले को संज्ञान में लिया। योगी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये इस मामले में तत्काल जांच के आदेश दिए। आदेश के बाद सिटी मजिस्ट्रेट हिमांशु गुप्ता ने सीएमओ एसके सिंह के साथ जाकर बिल चेक किया। हालांकि दोनों अधिकारियों का कहना है कि बिल में ओवरचार्जिंग नहीं मिली है।

गौरतलब है कि कानपुर शहर में कोविड से मौत का यह पहला मामला है जिसमें सीएम ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जांच के आदेश दिए हैं।

वहीं इन सब आरोपों से इतर अस्पताल के कार्यकारी निदेशक अभिषेक कपूर ने जनज्वार से हुई बातचीत में बताया कि शासन की गाइडलाइंस के मुताबिक कोविड रोगी का शव परिजनों को नहीं दिया जा सकता है। कोविड गाइडलाइन के तहत नगर निगम मरीज का अंतिम संस्कार कराता है। शव वाहन के लिए सुबह ही नगर निगम को फोन कर दिया था, लेकिन वाहन शाम को आया, जिससे परिजनों को तकलीफ हुई।'

अधिक बिल के आरोप पर प्रबंधन ने कहा, मरीज की हालत गंभीर थी जिसके चलते उसे तीसरे दिन से ही वेंटिलेटर पर रखना पड़ा। एक दिन का चार्ज 18 हजार रुपये है। बिल शासन से तय फीस के मुताबिक ही लिया गया, अधिक वसूली का आरोप बिल्कुल निराधार और गलत है।  

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