कोरोना ने भारत के मिडिल क्लास की तोड़ी कमर तो उच्च वर्ग के लिए आपदा में अवसर, अरबपतियों की बढ़ रही फौज
दुनियाभर में कोविड 19 ने आर्थिक असमानता को ऐतिहासिक स्तर तक पहुँच दिया है, एक तथ्य यह भी है कि बेतहाशा अमीर आबादी में दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है....
महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी
जनज्वार। क्रेडिट सुइस्से द्वारा प्रकाशित ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट 2021 के अनुसार वर्ष 2020 में कोविड 19 महामारी के दौरान दुनिया में आर्थिक असमानता बढ़ गयी है। एक तरफ जहां मध्यम वर्ग पूरी दुनिया में गरीबी, भूखमरी और बेरोजगारी से जूझ रहा है, वहीं दुनिया में दस लाख डॉलर या इससे अधिक सम्पत्ति वाले लोगों की संख्या इतिहास में पहली बार पूरी वयस्क आबादी का 1 प्रतिशत से भी अधिक तक पहुँच गयी है। पिछले वर्ष दस लाख डॉलर यह इससे अधिक संपत्ति वाले लोगों की संख्या में 52 लाख नए लोग जुड़े और अब यह संख्या 5.61 करोड़ तक पहुँच गयी है।
इस संख्या को बढ़ने का मुख्य कारण औद्योगिक देशों द्वारा कोविड 19 के दौर में आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए सरकारों द्वारा नागरिकों को दी जाने वाली पर्याप्त सहायता राशि और करों के दरों में कटौती है। जाहिर है, भारत जैसे अनेक देशों में सरकारों ने न ही आम जनता को कोई वित्तीय सहायता दी और न तो करों में कोई राहत – इसका असर यह हुआ कि 10 लाख डॉलर से अधिक संपत्ति वाले लोगों की संख्या दुनियाभर में बढ़ी, पर भारत में यह कम हो गयी।
ऐसे लोगों की संख्या में सर्वाधिक बढ़ोत्तरी अमेरिका में देखी गयी, जहां सरकार की तरफ से कोविड 19 के दौरान भरपूर सहायता राशि सभी को दी गयी। वर्ष 2020 के दौरान अमेरिका में दस लाख डॉलर से अधिक संपत्ति वालों की सूचि में 17,30,000 नए लोग जुड़े। इसके बाद जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, जापान, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम में ऐसे लोगों की संख्या क्रमशः 633000, 392000, 390000, 309000 और 258000 बढ़ी।
वर्ष 2020 में जिन देशों में दस लाख डॉलर से अधिक संपत्ति वालों की संख्या कम हुई, उनमें सबसे पहले स्थान पर ब्राज़ील है। ब्राज़ील में पिछले वर्ष इस सूची से 108000 व्यक्ति कम हो गए। इसके बाद के स्थान पर भारत है, जहां इस सूचि से 66000 व्यक्ति निकल गए। इसके बाद क्रम से रूस, हांगकांग, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब का स्थान है, जहां क्रम से 44000, 40000, 39000 और 32000 व्यक्ति इस सूचि से बाहर पहुँच गए।
रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 के दौरान, जिसे कोविड 19 वर्ष के तौर पर लम्बे समय तक याद किया जाएगा, दुनिया में आर्थिक असमानता इतिहास के किसी भी दौर की तुलना में अधिक थी। दुनिया में 5.6 करोड़ वयस्क, यानि कुल वयस्कों में 1.1 प्रतिशत ऐसे हैं जिनके पास 10 लाख डॉलर या इससे अधिक की संपत्ति है – पर यह 1.1 प्रतिशत आबादी दुनिया की कुल संपत्ति में से 45.8 प्रतिशत संपत्ति की मालिक है। दुनिया में वयस्कों की 11.1 प्रतिशत आबादी, यानी 58.3 करोड़ लोगों की संपत्ति 1 लाख डॉलर से 10 लाख डॉलर के बीच है, पर इनकी कुल संपत्ति का हिस्सा वैश्विक संपत्ति में 39.1 प्रतिशत है।
दुनिया के 32.8 प्रतिशत वयस्कों, यानि 1.72 अरब वयस्कों की संपत्ति 10000 से 1 लाख डॉलर के बीच है, पर इस वर्ग के हिस्से दुनिया की कुल संपत्ति में से 13.7 प्रतिशत संपत्ति ही है। इसके बाद का वर्ग ऐसा है जिसकी संपत्ति 10000 डॉलर से भी कम है, इनकी संख्या 2.88 अरब है यानी कुल वयस्कों का 55 प्रतिशत। इस वर्ग के हिस्से दुनिया के कुल 1.3 प्रतिशत संपत्ति आती है।
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि दुनिया के सबसे गरीब लोगों के पास, जिनकी संख्या कुल आबादी का 55 प्रतिशत है, कुल संपत्ति महज 1.3 प्रतिशत है। शेष 45 प्रतिशत आबादी, जिसमें मध्यम वर्ग, अमीर और अरबपति शामिल हैं के पास दुनिया की कुल संपत्ति में से 98.7 प्रतिशत पर मालिकाना हक़ है। यह चरम पूंजीवादी अवस्था है, जहां पूरी दुनिया पूंजीपतियों के अधीन है और ऐसी स्थिति इतिहास के किसी दौर में नहीं देखी गयी थी। दुनिया में वर्ष 2020 में कुल 41420 अमीर व्यक्ति उस सूची में शामिल गए, जिनकी संपत्ति 5 करोड़ डॉलर से अधिक है। यह वृद्धि वर्ष 2019 की तुलना में 27 प्रतिशत है, और ऐसी वृद्धि पिछले 17 वर्षों के दौरान नहीं देखी गयी थी। इस सूचि में दुनिया के कुल 215030 व्यक्ति शामिल हैं।
पिछले वर्ष दुनिया की कुल संपत्ति में 7.4 प्रतिशत की कुल बढ़ोत्तरी देखी गयी और वर्ष 2020 में कुल वैश्विक संपत्ति 418.3 ख़रब डॉलर तक पहुँच गयी। यह वृद्धि मुख्य तौर पर अमेरिका, यूरोप और चीन में भारी बृद्धि के कारण आंकी गयी है। दूसरी तरफ भारत और दक्षिण अमेरिका के देशों में निजी संपत्ति में गिरावट दर्ज की गयी है। अनुमान है कि वर्ष 2025 तक वैश्विक संपत्ति में 39 प्रतिशत की बृद्धि होगी, और इसका कुल आकार 583 खरब तक पहुँच जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार अगले 5 वर्षों के दौरान दुनिया में 5 करोड़ डॉलर या इससे अधिक संपत्ति वाले लोगों की संख्या में 60 प्रतिशत वृद्धि होगी और यह संख्या 344000 तक पहुँच जायेगी। इसी तरह दस लाख डॉलर से अधिक संपत्ति वाले वर्ग में 50 प्रतिशत वृद्धि होने का अनुमान है, और इसकी कुल संख्या 8.4 करोड़ तक पहुँच जायेगी।
इस रिपोर्ट से कुछ तथ्य तो बिलकुल स्पष्ट हैं – भारत का मध्यम वर्ग आर्थिक तौर पर टूट चुका है, और अपना गुजारा अपनी वर्षों की बचत से करने को मजबूर है। इस स्थिति में भी देश का उच्च वर्ग और अरबपतियों की फ़ौज खूब फलफूल रही है। जाहिर है, ऐसा सरकार की नीतियों के कारण हो रहा है और सरकार पूंजीवाद को उसके चरम तक पहुचाने के लिए प्रतिबद्ध नजर आ रही है। दुनियाभर में कोविड 19 ने आर्थिक असमानता को ऐतिहासिक स्तर तक पहुँच दिया है। एक तथ्य यह भी है कि बेतहाशा अमीर आबादी में दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है।