100 फीसदी साक्षरता के बावजूद कोरोना के 76 फीसदी मामले केरल में, तथ्यों से जानिए क्या है कारण ?
कोरोना का पहला केस भी जनवरी 2020 में केरल से ही आया था सामने, तब चीन के वुहान से लौटे एक मेडिकल छात्र में देश के पहले कोविड-19 केस का पता चला था, जिसके बादर केरल बन गया था हॉटस्पॉट जोन...
केरल में कोरोना का कहर दूसरे राज्यों से ज्यादा क्यों? कैसे गांवों में बढ़ता शहरीकरण ही कोरोना को फैला रहा है, जानिए मोना सिंह की रिपोर्ट से
जनज्वार। केरल का कोरोना से क्या रिश्ता है? आखिर केरल में ही कोरोना के ज्यादा मामले क्यों आते हैं? देश में कोरोना का पहला केस भी केरल में मिला था। अब एक बार फिर जब कोरोना की तीसरी लहर की बात चल रही है तो केरल ही पहला राज्य है जहां सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। कोरोना के हॉटस्पॉट बने केरल में साढ़े तीन माह बाद नए मरीज 32 हजार पार हो चुके हैं, तो देश के कुल कोविड केसों के 76% केस यहीं हैं। इतनी बड़ी तादाद में आ रहे मामलों को देखते हुए गृह मंत्रालय ने कहा कि हम लॉकडाउन पर विचार कर रहे हैं, ताकि कोविड एक बार फिर दूसरी लहर की तरह तबाही लेकर न आये।
मगर असल सवाल यह है कि केरल में ही कोरोना के सबसे ज्यादा मामले आने के पीछे आखिर वजह क्या है? ये सवाल आपके भी मन में आ रहे होंगे। इसलिए आपके हर सवाल का जवाब यहां मिलेगा।
पहला केस भी केरल में आया
केरल देश का सबसे शिक्षित राज्य है। यहां लगभग 100 प्रतिशत लोग पढ़े-लिखे हैं। यानी दूसरे राज्यों की तुलना में ज्यादा जागरूक है। फिर भी कोरोना के मामले ज्यादा हैं। कोरोना का पहला केस भी जनवरी 2020 में केरल में ही आया था। उस समय चीन के वुहान से लौटे एक मेडिकल छात्र में देश के पहले कोविड-19 केस का पता चला था। फिर वहां पर कोविड-19 के मामले बढ़ते गए। फिर केरल हॉटस्पॉट जोन बन गया।
ये कोरोना की पहली लहर थी, लेकिन केरल संक्रमण को नियंत्रित करने में कामयाब रहा। जब मार्च-अप्रैल 2021 में कोरोना की दूसरी लहर आई तो देश के अन्य हिस्सों में महामारी कम होने के बावजूद केरल में संक्रमण दर कम नहीं हुई। भारत की आबादी का 3 फीसदी हिस्सा केरल में निवास करता है, लेकिन देश के 50 प्रतिशत से ज्यादा कोरोना के मामले केरल से हैं।
केरल के बारे में क्या कहता है स्वास्थ्य मंत्रालय
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, केरल ने केंद्र सरकार की सलाह का पालन नहीं किया। दावा ये भी है कि घर पर ठीक होने वाले मरीज सुरक्षा नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा केरल पर्यटन केंद्र भी है। ये भी एक मुख्य कारण है कि कोरोना के मामले यहां ज्यादा हैं।
आपको बता दें कि पिछले 24 घंटे में केरल में 32830 केस आए हैं। जबकि भारत में रोजाना औसतन 41965 केस आ रहे हैं। केरल में 1 महीने से अधिक समय से हर दिन 10 हजार से अधिक नए केस दर्ज हो रहे हैं, जबकि अन्य राज्यों में ये संख्या अभी बेहद कम है। केरल में नाइट कर्फ्यू भी रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लागू हुआ है। केंद्र सरकार के अनुसार देश के 76 प्रतिशत कोरोना के मामले केवल केरल में ही हैं।
इन वजहों से केरल में बढ़ते हैं कोराना मामले
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम के सदस्य और डायरेक्टर ऑफ नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल डॉ सुजीत कुमार सिंह ने केंद्र सरकार को इस बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी है। इसमें डॉ सुजीत सिंह ने कोरोना (corona) के मुख्य कारणों को बताया है। इन्होंने ये भी बताया है कि किन वजहों से केरल में कोरोना वायरस का कंट्रोल करने में मुश्किल आ रही है। आइए जानते हैं
ग्रामीण और शहरी इलाके में अंतर बेहद कम
डॉ सुजीत के अनुसार, केरल में इंटर हाउस ट्रांसमिशन बहुत ज्यादा है। इसका मतलब ये है कि ग्रामीण और शहरी इलाके कुछ खास अलग नहीं हैं। केरल में शहर और गांव एक जैसे हैं। वैसे दूसरे राज्यों में देखा जाए तो ग्रामीण इलाके के काफी दूर तक फैले खेत शहरी इलाकों को अलग करते हैं। इस वजह से गांवों के खेत एक तरह से वायरस की आवाजाही में बाधा बनते हैं। लेकिन केरल में वायरस के लिए ये बाधा नहीं है।
दोबारा संक्रमण का होना
केरल में दोबारा संक्रमण का होना भी प्रमुख वजह है। इसे ब्रेक थ्रू संक्रमण (Breakthrough Infection) कहते हैं। इसका मतलब ये है कि जिनका टीकाकरण हो चुका है और जो लोग टीके की दोनों डोज भी पूरा कर चुके हैं, उन्हें भी संक्रमण होना। एक रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 40 हजार से अधिक लोगों को पुनः संक्रमण हो चुका है। इस वजह से भी कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं।
30 प्रतिशत गैर संचारी रोगों का होना
केरल में कोरोना के मामले बढ़ने के पीछे गैर संचारी रोग ( Non Communicable Disesase, NCD) भी एक प्रमुख वजह है। इस रिपोर्ट के अनुसार, केरल में 30 प्रतिशत लोग गैर संचारी रोगों से ग्रसित हैं। संचारी रोग वे होते हैं जो एक से दूसरे में हवा से फैलते हैं जबकि गैर संचारी रोग हवा में नहीं फैलते हैं। यानी गैर संचारी रोग में पीड़ित खुद से ही बीमार होते हैं। इस वजह से वे पहले से ही बीमार होते हैं और उनकी इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है। जिसकी वजह से वायरस का खतरा ज्यादा हो जाता है।
विदेशों से ज्यादा आवागमन
NCDC प्रमुख के अनुसार, केरल में विदेशों से आवागमन काफी ज्यादा है। ऐसे में विदेशों से आने वाले लोग एयरपोर्ट पर ज्यादा एक्सपोज होते हैं। ऐसे में वायरस फैलने का खतरा ज्यादा होता है। वहीं, केरल में बीमारी को रोकने के लिए जितनी सख्ती की जरूरत है उतनी नहीं है। इसलिए भी मामले बढ़ रहे हैं।
क्वेरंटाइन पीरियड 14 दिन के बजाय 7 दिन
केरल में 90 फीसदी डेल्टा वेरिएंट के इंफेक्शन बढ़ रहे हैं। लेकिन हैरानी वाली बात है कि यहां पर पहले और बाद में भी कंटेंटमेंट जोन और दूसरे जोन में कोई खास अंतर नहीं किया गया। इसके अलावा क्वेरंटाइन पीरियड को भी सिर्फ 7 दिन का रखा गया, जबकि दूसरे राज्यों में 14 दिन का क्वेरंटाइन किया गया था।
टेस्टिंग ज्यादा, रोकथाम कम
केरल में नए कोविड केस (Covid case) का पता करने के लिए टेस्टिंग दर अन्य राज्यों की तुलना में काफी ज्यादा है। लेकिन संक्रमण को रोकने के लिए उस हिसाब से विशेष उपाय नहीं किए गए हैं। केरल में होम आइसोलेशन ठीक तरीके से नहीं हो पा रहा है, क्योंकि वहां के घर एक लाइन में बने हुए हैं। ऐसे में संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा रहता है।
यानी ये कह सकते हैं कि केरल बेशक साक्षरता दर में दूसरे राज्यों से कहीं आगे है, लेकिन यहां पर कुछ प्राकृतिक तो कुछ सिस्टम की लापरवाही के कारण कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। बड़ी वजह है यहां पर गांवों और शहरों में अब कोई अंतर नहीं होना।
ऐसे में भले ही आज शहरीकरण को विकास का ग्राफ माना जाता हो, लेकिन इस रिपोर्ट से पता चलता है कि गांव आज भी हमारे लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं। इसलिए जरूरी है कि आज भी हमें समावेशी विकास की जरूरत है। जिसमें गांव और शहर दोनों के महत्व को बरकरार रखते हुए उनका विकास किया जाए, ताकि कोरोना जैसे जानलेवा वायरस से भी मुकाबला किया जा सके।