पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की कोरोना से मौत का क्या है सच, सीवान के खौफनाक तेजाब कांड में पहुंचे थे तिहाड़
कई मामलों में जेल की सजा काट रहे मोहम्मद शहाबुद्दीन पिछले हफ्ते कोरोना पॉजिटिव पाये गये थे...
जनज्वार। बिहार के पूर्व बाहुबली सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन की कोरोना से आज 1 मई की सुबह मौत की खबर मेनस्ट्रीम मीडिया पर वायरल थी। एएनआई ने भी इसकी पुष्टि करता ट्वीट किया था, जिसे अब डिलीट कर दिया गया है। मेनस्ट्रीम मीडिया में खबर प्रकाशित होने के बाद जनज्वार ने भी इस खबर को प्रकाशित किया था, मगर अब जो खबरें सामने आ रही हैं उनके मुताबिक शहाबुद्दीन की मौत हुयी है या नहीं, इसकी पुष्टि नहीं हो पायी है। तिहाड़ जेल प्रशासन की तरफ से बयान आया है कि मीडिया में शहाबुद्दीन की मरने की खबर गलत है।
जानकारी के मुताबिक तिहाड़ जेल में बंद बिहार के सीवान से पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन कोरोना पॉजिटिव थे और हालत गंभीर होने के बाद उन्हें दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
कई मामलों में जेल की सजा काट रहे मोहम्मद शहाबुद्दीन लंबे समय से जेल में सजा काट रहे हैं। पिछले हफ्ते कोरोना पॉजिटिव पाये जाने बाद दिल्ली के पंडित दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
गौरतलब है कि पिछले साल सितंबर में शहाबुद्दीन के पिता शेख मोहमद हसीबुल्लाह का 90 साल की उम्र में निधन हो गया था और उस वक्त भी तिहाड़ में बंद पूर्व सांसद को पैरोल पर लाने की मंजूरी नहीं मिल पाई थी। हत्या समेत तमाम अन्य संगीन अपराधों में तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन के खिलाफ तीन दर्जन से अधिक आपराधिक मामले चल रहे हैं। 15 फरवरी 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने शहाबुद्दीन को सीवान जेल से तिहाड़ लाने का आदेश दिया था।
मीडिया में तिहाड़ जेल प्रशासन के हवाले से आये बयानों के मुताबिक शहाबुद्दीन को एकदम अलग बैरक में रखा गया था, जिसमें कोई दूसरा कैदी नहीं था। शहाबुद्दीन का किसी से भी मिलना-जुलना नहीं था और पिछले 20-25 दिनों से कैदियों के परिजनों को भी कैदियों से मिलने नहीं दिया जा रहा है। इन सबके बावजूद शहाबुद्दीन कैसे कोरोना संक्रमित हो गया, यह आश्चर्यजनक है।
आरजेडी से बाहुबली सांसद रहे मोहम्मद शहाबुद्दीन को सीवान के लोग खौफनाक तेजाब कांड के बाद से याद करते हैं। साल 2004 में चंदा बाबू के तीन बेटों गिरीश, सतीश और राजीव का बदमाशों ने अपहरण कर लिया था। बदमाशों ने गिरीश और सतीश को तेजाब में डुबाकर मौत के घाट उतारा था, जबकि इस मामले का चश्मदीद रहे राजीव किसी तरह बदमाशों की गिरफ्त से अपनी जान बचाकर भाग निकला।
बाद में राजीव भाइयों के तेजाब से हुई हत्याकांड का गवाह बना, मगर 2015 में शहर के डीएवी मोड़ पर उसकी भी गोली मारकर हत्या कर दी गई। हत्या के महज 18 दिन पहले ही राजीव की शादी हुई थी। इस घटना के बाद पूरे शहर में हड़कंप मच गया था। इस घटना के पीछे शहाबुद्दीन का हाथ था।
तेजाब हत्याकांड की सुनवाई के बाद मोहम्मद शहाबुद्दीन सहित अन्य तीन को आजीवन कारावास की सजा विशेष अदालत द्वारा दी गई थी। मामले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील हुआ तदनुसार उच्चतम न्यायालय तक मामला गया और उच्चतम न्यायालय ने निचली अदालत की सजा को कंफर्म करते हुए मोहम्मद शहाबुद्दीन को तिहाड़ जेल तक पहुंचा दिया।
19 साल में दर्ज हुआ था पहला मुकदमा
आरजेडी के पूर्व बाहुबली सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन की अपराध की कहानी तभी शुरू हो गई थी, जब वह महज 19 साल का था। वर्ष 1986 में उसके खिलाफ अपराध का पहला मामला दर्ज हुआ था। सीवान से शुरू होकर धीरे-धीरे अपराध जगत के साथ-साथ शहाबुद्दीन ने राजनीति में भी पैठ बनानी शुरू कर दी थी और पूरे बिहार के लिए अपराध के साथ साथ राजनीति का भी एक चर्चित नाम बन गया।
सीवान में चलती थी शहाबुद्दीन की समानांतर सरकार
चर्चित है कि 2000 के दशक तक शहाबुद्दीन सीवान जिले में एक समानांतर सरकार चलाता था। उसकी एक अपनी अदालत थी, जहां लोगों के फैसले वह जज बनकर सुनाता था। भूमि विवादों के साथ साथ वह लोगों के पारिवारिक विवादों में भी जज की भूमिका निभाता था। कहा जाता था कि डॉक्टरों की परामर्श फीस भी वह खुद तय करता था।
10 मई 1967 को बिहार में जन्मे मोहम्मद शहाबुद्दीन राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख नेताओं में से एक थे। राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया लालू प्रसाद यादव के वे बेहद करीबी माने जाते थे। 30 अगस्त 2017 को पटना उच्च न्यायालय ने सीवान के तेजाबी हत्याकांड मामले में मोहम्मद शहाबुद्दीन की मौत की सजा को बरकरार रखा था, जिसके बाद वह लगातार जेल की सलाखों के पीछे थे।
शहाबुद्दीन के बारे में चर्चित है कि सीवान की एक-एक ईंट उससे थरथराती थी। चाहकर भी वहां की जनता इस अपराधी के खिलाफ मतदान नहीं कर पाती थी। 80 के दशक में अपराध की दुनिया में कदम रखने वाला शहाबुद्दीन ने महज कुछ साल बाद ही निर्दलीय चुनाव लड़ा और फिर लालू प्रसाद यादव के साथ हो गया। अपनी रॉबिनहुड छवि के बाद शहाबुदृीन सालों तक विधायक बना रहा। विधायक से सांसद बनने के बाद बाहुबली शहाबुद्दीन की पूरे राज्य में डुगडुगी बजती थी। विधानसभा का चुनाव हो या लोकसभा का, राजद के लिए सीवान हमेशा ही जीत का ताज साबित होता। यह किसी राजनेता से खुश होकर नहीं बल्कि शहाबुद्दीन के डर से यह संभव हो पाया।