Raghuram Rajan news: आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने इकॉनमी पर ऐसा क्या कह दिया कि होने लगे ट्रोल! यूजर्स ने सीख न देने की दी नसीहत

Raghuram Rajan news: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि देश के आर्थिक भविष्य में भारतीयों का भरोसा हाल के वर्षों में कम हुआ है। औसत भारतीय इकॉनमी को लेकर निराश है। इस बयान के बाद उन्हें ट्विटर पर जमकर ट्रोल किया जा रहा है।

Update: 2021-10-30 07:25 GMT

आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार को एक्सपोज करने के बाद रघुराम राजन ट्विटर पर हुए ट्रोल।

Raghuram Rajan news : रिजर्व बैंक आफ इंडिया ( RBI ) के मोदी सरकार ( Modi Government ) की आर्थिक नीतियों की आलोचना कर बुरी तरह से फंस गए हैं। देश की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था पर उनका बयान सामने आने के बाद उन्हें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बडी संख्या में लोग ट्रोल करने लगे हैं। दरअसल, पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ( Raghuram Rajan news ) ने कहा कि औसत भारतीय इकॉनमी ( Indian Economy ) को लेकर मोदी सरकार से असंतुष्ट हैं। मध्यम वर्ग के कई लोग गरीबी में चले गए हैं। ऐसा मोदी सरकार की सभी को साथ लेकर नहीं चलने की नीति की वजह से हुआ है।

रघुराम राजन ( Raghuram Rajan ) ने कहा कि देश के आर्थिक भविष्य को लेकर आम भारतीयों का भरोसा पिछले सात वर्षों में कम हुआ है। कोविड-19 महामारी ने लोगों की भावनाओं को गहराई त जाकर प्रभावित किया है। मध्यम वर्ग का एक बड़ा तबका गरीबी के दुष्चक्र में फंस गया है। उनके इस बयान के बाद ही उन्हें ट्विटर पर जमकर ट्रोल किया जा रहा है।

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पहले की तुलना में विकास दर में कमी का अनुमान

आरबीआई के पूर्व रघुराम राजन ने एनएएलएसएआर यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ के एक कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए संबोधित करते हुए कहा था घरेलू शेयर बाजार तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन अर्थव्यवस्था की वास्तविकता को नहीं दर्शाता है। आरबीआई ( RBI ) ने चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि अनुमान को 10.5 प्रतिशत से घटाकर 9.5 प्रतिशत कर दिया है। आईएमएफ ( IMF ) ने 2021 में 9.5 प्रतिशत और 2022 के लिए 8.5 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया है। राजन ने कहा कि आर्थिक कार्यक्रमों का जोर अच्छी नौकरियां पैदा करने पर होना चाहिए। इसके उलट भारतीय राज्यों की सरकारें लगातार भारतीयता के विचार को कमजोर करते हुए स्थानीय लोगों के लिए रोजगार आरक्षित कर रहे हैं।

सभी को साथ लेकर न चलने की नीति टिकाऊ नहीं होती

आर्थिक मोर्चे पर जैसे-जैसे हम पिछड़ रहे हैं उसी के अनुपात में हमारी लोकतांत्रिक साख, बहस करने की हमारी इच्छा, मतभेदों का सम्मान और सहन करने की शक्ति कम होने लगी है। भारत के अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौतों में शामिल होने की जरूरत पर भी जोर दिया। वर्तमान में शिकागो विश्वविद्यालय के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में प्रोफेसर राजन ने कहा कि ऐसी वृद्धि जो सभी को साथ नहीं लेकर नहीं चलती है, वह टिकाऊ नहीं है।

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फेक नैरेटिव्स बनाने में हो गए एक्सपर्ट

रघुराम राजन ( Raghuram Rajan ) के इस बयान पर इन्फोसिस के पूर्व डायरेक्टर टीवी मोहनदास पई ने कहा है कि पूर्व आरबीआई गवर्नर किस देश की बात कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि अब उन्हें राजनीतिक कारणों से फेक नैरेटिव बनाने में एक्सपर्ट हो गए हैं। नेशन फस्र्ट नाम के एक यूजर ने लिखा कि रघुराम राजन के जमाने में इकॉनमी बुरी स्थिति में थी। लोगों ने बैंकों को करोड़ों का चूना लगाया, लेकिन उन्होंने आंखें मूंद रखी थी।

राजन हमें न दें इस बात की सीख

कैक्टस कम्युनिकेशन के सीएफओ दिनेश मोदी ने भी लिखा है कि रघुराम राजन की बातों पर यकीन करना मुश्किल है। यह एक तरह का राजनीतिक बयान लग रहा है। मैंने कभी भी भारत और उसकी इकॉनमी पर इतना भरोसा नहीं देखा है। लेखक रणदीप सिसोदिया ने कहा कि जिस आदमी ने देश में महंगाई को दोहरे अंकों में पहुंचाया, जिसने बैड लोन क्राइसिस की अगुवाई की और इकॉनमी को डुबोया, वह इकॉनमी पर सीख दे रहा है। राजन खुद अपना काम करने में बुरी तरह नाकाम रहा, वह भारत की धड़कनें समझने का दावा कर रहा है। क्या मजाक है।

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