Ground Report: दो दर्जन गांवों के लाखों कट्टर भाजपाई सरकार से खफा हैं, इस दुख देती सड़क को लेकर दी बड़े आंदोलन की चेतावनी
Ground Report: कुछ गांवों में जाने पर स्थानीय लोग भीड़ लगा लेते हैं। उन्हें लगता है कोई संसार का रखवाला उनके बीच आ गया। बहरहाल, हम भी उन्हें उम्मीद दे आये हैं कि सेंट्रल विस्टा का काम पूरा होने के तुरत बाद प्रधानमंत्री जी इस सड़क पर खड़े होकर फोटो खिचवाएंगे। उनके यकीन के लिए हमने मोरबी अस्पताल के रातोंरात कायाकल्प का किस्सा सुनाया...
Ground Report: आज थोड़ी देर पहले केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गड़करी ने बयान दिया कि, 'हम पुल (Bridge) पर ऐसी तकनीक लगाएंगे कि कंप्यूटर से पता चलेगा कि कौन सा पुल गिरने वाला है। और कौन सा कमजोर हो रहा है।' ना जाने भाजपा के ये दिग्गज लीडर जनता को इतना मूर्ख समझते हैं, उसपर इस तरह के बयान इनको कौन सुझाता है ये भी भगवान जानें। लेकिन इस वक्त की खबर के मुताबिक कानपुर के कट्टर भाजपाई वोटर भाजपा सरकार को लेकर आक्रोशित हैं।
उनके आक्रोश का कारण एक सड़क है। सड़क पिढले आठ-दस सालों से ज्यों कि त्यों पड़ी हुई है। आए दिन यहां एक्सीडेंट (Accident) होते हैं। गाड़ी की गाड़ी बड़े-बड़े गड्ढों में समा जाती है। लोगों को चलती गाड़ी से कूदना पड़ता है। शाम सात बजे के बाद कितनी भी इमरजेंसी हो लोग इस सड़क से निकलने में कतराते हैं, बचते हैं, डरते हैं। कि कहीं वे सड़क हादसे का शिकार ना हो जाएं। लेकिन चुनाव दर चुनाव जीत दर्ज करती सत्ता को इससे रत्ती भर भी सरोकार नहीं है।
जनज्वार कई दफा इस सड़क का मुद्दा उठा चुका है, लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधियों की कान पर जूं तक नहीं रेंग रहा। यहां के कोर भाजपाई वोटरों की बदौलत सत्ता बनी, प्रतिनिधि विधायक बनें तो कुछ विधायक मंत्री की कुर्सी तक पा गये, लेकि इस सड़क और इन भाजपाई वोटरों को कुछ मिला तो सड़क किनारे बने अस्थाई तालाबों में उग रहा सिंघाड़ा। लेकिन अब स्थानीय लोगों का कहना है बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
रामगंगा नहर के साथ-साथ चलने वाली यह सड़क गांव मैथा से सीधा NH-2 को जोड़ती है। मैथा के त्रिपुला से निकलने वाली इस सड़क के दोनो तरफ शाहपुर, नौबस्ता, ढ़िकिया, हृदयपुर, ककरमऊ, नौबस्ता, हेतपुर, चंपतपुर, अनूपपुर, मंगलीपुरवा, रंजीतपुर, भाऊपुर, पकड़ी, भिसार, धरमंगदपुर, टिकरा, दूल, भूल, खानपुर इत्यादि गांव हैं। जिनमें लाखों की तादाद में लोग निवास करते हैं। इनके आवागमन का एक मात्र जरिया यही सड़क है। और तो सड़क टूटने के बाद सैंकड़ों की संख्या में सवारी वाहन चलाने वाले बेरोजगार हो चुके हैं।
बिठूर विधानसभा क्षेत्र के गांव भूल, छोटा खानपुर, चंपतपुर, बड़ा खानपुर, मंगलीपुरवा, बाराखेड़ा, दूल ग्राम वासियों के द्वारा सड़कों पर 15 से 20 फीट के गहरे गड्डो के चलते कई बार प्रदर्शन किया गया। यहां रहने वाले समाजसेवी साकेत सेंगर ने आलाधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों पर सवालिया निशान उठाते हुए कहा कि, विगत पिछले कई सालों से ग्रामवासी टूटी सड़कों से पीड़ित हैं। जनप्रतिनिधि एवं आला अधिकारी अपने में मस्त हैं। राजनीतिक दलों के पदाधिकारी सिर्फ चुनाव में नजर आते हैं। गहरे गड्ढों, धूल और कीचड़ से भरी सड़क से आजिज स्थानीय लोगों ने जनप्रतिनिधियों को गड्ढों के जल्द ना भरे जाने पर बड़े प्रदर्शन की चेतावनी भी दी है।
साकेत सेंगर के मुताबिक कई गाँवो के क्षेत्रवासी किसान महिलाएं बच्चे सड़क पर निकलने से डरते हैं। रोजाना आए दिन गहरे गड्ढे से युक्त सड़कों पर दर्जनों हादसे हो रहे हैं। दूल गांव के रहने वाले दिलीप शर्मा ने क्षेत्रीय विधायक अभिजीत सिंह सांगा पर सवालिया निशान उठाते हुए बिठूर विधानसभा के कई गांवों को विधायक की अनदेखी का शिकार बताया। तो थोड़ी दूर खड़े राजेंद्र विधायक, जो अब योगी सरकार में राज्यमंत्री बन गई हैं प्रतिभा शुक्ला, को कोसते नजर आये।
ढ़िकिया गांव के बुजुर्ग अंगनू दीक्षित बताते हैं कि, हमें जिंदगी बीत गई भाजपा को वोट देते-देते लेकिन अब जब सरकार फुल पावर में है तब हमें एक सड़क तक नसीब नहीं है। कहीं आना है, कहीं जाना है, बुढ़ापा का शरीर कहीं गिर जाएं तो और आफत है। अनूपपुर गांव निवासी धाकड़ उर्फ विजय कहते हैं कि अब कुछ ना होगा यहां। जब ये सरकार गिरेगी तब ही भला होगा, उससे पहले उम्मीद छोड़ दो। इसी गांव के योगेंद्र बताते हैं कि उनने तो अब कहीं आना-जाना ही बंद कर दिया है। कहीं धूमना है तो अपने खेत तक चले गये बाकी जिसको आना है वो ये आफत (सड़क दिखाते हुए) झेलकर इनके पास खुद आये।
इस झेत्र में एक से एक बड़े नेता हैं। विकास दुबे भी यहीं का था। शिवली भी इसी रोड पर आगे जाकर पड़ता है। और तो शोभन सरकार भी इसी सड़क पर आगे जाकर आता है। रास्ते में मिले बाल कुमार कहते हैं, यहां साइकिल से भी चलना दूभर है। वाहन इत्यादि लेकर यहां चलना मौत को दावत देना सरीखा लगता है। राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला एक दिन शादी में मिली थीं, वहां कहना ठीक नहीं लगा। लेकिन ऐसा नहीं है उन्हें पता है, लेकिन पता होने के बाद भी ध्यान नहीं दे रही तो हम अब यही समझेंगे की उनका काम निकल गया, अब उन्हें हमसे कोई लेना-देना नहीं है। फिर चुनाव आयेगा तो हमारा भी समय आयेगा।
कुछ गांवों में जाने पर स्थानीय लोग भीड़ लगा लेते हैं। उन्हें लगता है कोई संसार का रखवाला उनके बीच आ गया। बहरहाल, हम भी उन्हें उम्मीद दे आये हैं कि सेंट्रल विस्टा का काम पूरा होने के तुरत बाद प्रधानमंत्री जी इस सड़क पर खड़े होकर फोटो खिचवाएंगे। उनके यकीन के लिए हमने मोरबी अस्पताल के रातोंरात कायाकल्प का किस्सा सुनाया। हम पर भरोसा कर रानी देवी, आनंद, सुरेंद्र कुमार, मुकेश कुमार, रवि सैनी, राधेश्याम सविता, विनय सिंह, जयचंद सिंह, विपिन गुप्ता, रामखेलावन, कृष्णपाल, रामअवतार, बीडीसी सदस्य दीपू और अरविंद सिंह इत्यादि स्थानीय निवासी हमें सवाल दागती निगाहों से देखते रहे।