Zombie Virus : यूरोपीय वैज्ञानिकों ने रूस में किया 48500 साल पुराना जॉम्बी वायरस पुनर्जिवित, मंडराया एक और महामारी का खतरा
Zombie Virus : रूस, जर्मनी और फ्रांस के शोधकर्ताओं का कहना है कि Zombie Virus जमी हुई बर्फ में कई हजार साल तक रहने के बावजूद संक्रामक बने रहे। ये अब भी इंसान के लिए काफी खतरनाक वायरस हैं।
Zombie Virus News : क्लाइमेट चेंज के दौर में कोविड महामारी के बाद दुनिया पर एक और महामारी का खतरा मंडराने लगा है। दरअसल, यूरोपीय वैज्ञानिकों ( European scientists ) रूस ( Russia ) के साइबेरियाई क्षेत्र में दो दर्जन से ज्यादा वायरस ( Virus ) मिले हैं, जिनमें से एक झील के नीचे जमा हुआ था और वह करीब 48,500 साल से ज्यादा पुराना है। फ्रांस ( France ) और जर्मनी ( Germany ) के वैज्ञानिकों को रूस के साइबेरिया इलाके के पर्माफ्रॉस्ट से कुछ सैंपल मिले हैं, जिनका उन्होंने परीक्षण किया है। परीक्षण के दौरान उन्होंने 13 नए पैथोजेन को पुनर्जीवित किया और उनकी खासियत बताई। इन्हीं में से एक नया पैथोजेन का नाम उन्होंने जॉम्बी वायरस ( Zombie Virus ) दिया है। रिसर्चर्स के मुताबिक यह जमी हुई बर्फ में कई हजार साल तक रहने के बावजूद वे संक्रामक बने रहे। ये अब भी इंसान के लिए काफी खतरनाक वायरस है।
बता दें कि लंबे समय से दुनियाभर के वैज्ञानिक इस बात की चेतावनी दे रहे थे कि एटमॉस्फेरिक वार्मिंग की वजह से पर्माफ्रॉस्ट से पिघलने से मीथेन जैसी पहले से फंसी हुई ग्रीनहाउस गैसें बाहर आ जाएंगी और इससे पर्यावरण और खराब हो जाएगा लेकिन सुप्त पैथोजेन्स पर इसके असर के बारे में जानकारी अभी कम है।
रूस, जर्मनी और फ्रांस की रिसर्च टीमों ने कहा कि उनके रिसर्च किए वायरस ( Zombie Virus ) को पुनर्जीवित करने का जैविक जोखिम पूरी तरह जीरो था क्योंकि उन्होंने टारगेट ही ऐसे स्ट्रेन को किया था जो अमीबा माइक्रोब्स को संक्रमित कर सकते थे। एक वायरस जो जानवरों या इंसानों को संक्रमित कर सकता है, वह बहुत ज्यादा परेशानी वाली चीज होती है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि खतरे को वास्तविक दिखाने के लिए उनके काम को अलग किया जा सकता है।
वैज्ञानिकों का दावा - पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने से बढ़ेगा खतरा
यूरोपीय वैज्ञानिकों ने शोध के बाद प्रीप्रिंट रिपॉजिटरी बायोरेक्सिव पर पोस्ट किए गए एक आर्टिकल में लिखा है - हो सकता है कि प्राचीन पर्माफ्रॉस्ट पिघलने के बाद इन वायरस को रिलीज करे। फिलहाल इस आर्टिकल की समीक्षा नहीं की गई है। इसमें कहा गया है कि बाहरी स्थितियों में आने के बाद एक वायरस कितने समय तक इन्फेक्शन फैला सकता है, इनको कैसे रोका जा सकता है और एक अंतराल में कोई शख्स कितनी बार संक्रमित हो सकता है।
इस बात का अनुमान लगाने का काम अभी बाकी है। यह एक कठिन काम है। शोधकर्ताओं का कहना है कि ग्लोबल वॉर्मिंग के मामले में इसका खतरा उस समय बढ़ जाएगा जब पर्माफ्रॉस्ट पिघलती चली जाएगी और ज्यादा से ज्यादा लोग इंडस्ट्रियल वेंचर्स के कारण आर्कटिक को आबाद करेंगे।