ग्लोबल वार्मिंग, डायबिटीज, बांझपन से बचना चाहते हैं तो पीना बंद कीजिए प्लास्टिक बोतल का पानी

हार्वड अध्ययन रिपोर्ट, वेदामृत संस्थान या हेल्थ एक्सपर्ट व अन्य का मत है - आप प्लास्टिक बोतल में बंद पानी पीना बंद कीजिए, नहीं तो कई गंभीर बीमारियों के लिए आप खुद जिम्मेदार माने जाएंगे।

Update: 2022-10-04 06:30 GMT

ग्लोबल वार्मिंग, डायबिटीज, बांझपन से बचना चाहते हैं तो पीना बंद कीजिए प्लास्टिक बोतल का पानी

नई दिल्ली। हम में से कई लोग बिना सोचे-समझे पैकेज्ड पीने ( Plastic packed drinking water )  का पानी खरीद लेते हैं। या यूं कहिए कि इसके संभावित नुकसान को जानते हुए भी हम गंभीरता से लेना नहीं चाहते। जो इस बात को गंभीरता से ले रहे हैं वो चेत गए हैं। जो इसे गंभीरता से नहीं ले रहे, उनमें से कई गंभीर बीमारियों के शिकार हो चुके हैं, जो बीमार नहीं हुए हैं वो लाइन में लगे हैं।

ऐसा इसलिए कि प्लास्टिक बोतल ( Plastic bottle water ) में बंद पानी न केवल आपके स्वास्थ्य ( Health ) के लिए बल्कि पर्यावरण और वन्य जीवन के लिए भी समझदारी फैसला नहीं है। अधिकांश प्लास्टिक की बोतलें जिन्हें आप कूड़ेदान या इधर-उधर नजर छुपाकर फेंक देते हैं, वो जैसे-तैसे समुद्र तलहट्टियों तक पहु्ंच रहे हैं। चौंकानी वाली बात यह है कि दुनिया के शहरी अपशिष्ट जल निकासी प्रणालियों को ठप होने की वजह बनकर यही प्लास्टिक की बोतलें सामने आई हैं।

सालाना 35 लाख टन कचरा पैदा कर रहा है भारत - भूपेंद्र यादव

साल 2022 के शुरुआत में एक कार्यक्रम में पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बताया था कि भारत सालाना 35 लाख टन प्लास्टिक कचरा ( Plastic waste ) पैदा कर रहा है। पिछले पांच वर्षों में प्रति व्यक्ति प्लास्टिक कचरा उत्पादन लगभग दोगुना हो गया है। प्लास्टिक उपयोग की अधिकता की वजह से यह अब सबसे ज्यादा खतरनाक पर्यावरणीय मुद्दों में से एक बन गया है। वर्तमान में हम प्लास्टिक की वजह से ही कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं। प्लास्टिक प्रदूषण ( Air pollution ) हमारे पारिस्थितिक तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इससे वायु प्रदूषण को भी बढ़ावा मिल रहा है।

वायु प्रदूषण को बढ़ावा देने में भी सहायक - हार्वर्ड स्कूल

हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के एक अध्ययन के मुताबिक यह देखा गया कि जिन लोगों ने पॉली कार्बोनेट की बोतलों से पानी का सेवन किया उनमें पॉली कार्बोनेट प्लास्टिक का उत्पादन करने वाले रासायनिक बिस्फेनॉल ए (बीपीए) की मूत्र सांद्रता काफी अधिक थी। अगर आप प्लास्टिक वर्तन में गर्म और तरल पदार्थ का इस्तेमाल करते हैं तो इसका नुकसान और भी ज्यादा है। लड़कियों के शरीर में बीपीए जन्म से पहले से मौजूद है तो यह युवा अवस्था तक पहुंचते—पहुंचते व्यवहारिक और भावनात्मक कठिनाइयों को भी बढ़ावा देती हैं। बीपीए के उच्च मूत्र स्तर वाले लोगों में हृदय रोग या मधुमेह होने की संभावना अधिक होती है। दरअसल, बोतलबंद पानी का पूरा जीवन चक्र जीवाश्म ईंधन का उपयोग करता है जो ग्लोबल वार्मिंग ( Global warming ) में योगदान और वायु प्रदूषण का कारण भी बनता है।

प्लास्टिक : महिलाओं में बांझपन के लिए भी जिम्मेदार - वैशाली शुक्ला

वेदामृत की संस्थापक डॉ. वैशाली शुक्ला का कहना है कि जब प्लास्टिक की पानी की बोतल गर्मी के संपर्क में आती है तो यह पानी में माइक्रो प्लास्टिक छोड़ती है, जो उस पानी को पीने के बाद आपके शरीर में अपना रास्ता बना लेती है। ये सूक्ष्म प्लास्टिक मानव शरीर के लिए विभिन्न समस्याओं का कारण बनते हैं जिनमें हार्मोन असंतुलन, बांझपन और यहां तक कि लीवर के स्वास्थ्य में बाधा भी शामिल है। अपने एक इंस्टा पोस्ट में उन्होंने बताया है कि प्लास्टिक की बोतलें हजारों वर्षों तक पर्यावरण में रहती हैं। इसलिए लोगों को चाहिए कि वो प्लास्टिक की बोतलों का त्याग कर स्वास्थ्यवर्धक विकल्पों का चयन करें।

शुक्राणुओं में कमी और लड़कियों में जल्द यौवण लाने के पीछे भी है इसका हाथ - डॉ. वैशाली शुक्ला

कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में रेडियोलॉजी और इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट के एचओडी डॉ विमल सोमेश्वर का कहना है कि प्लास्टिक कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन और क्लोराइड से बना एक बहुलक है। इनमें से बीपीए प्लास्टिक की पानी की बोतलें बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले सबसे हानिकारक रसायनों में से एक है। इसका स्तर तब बढ़ जाता है जब पानी को लंबे समय तक या उच्च तापमान पर संग्रहीत किया जाता है।

प्लास्टिक की बोतलों में संग्रहित पानी के लंबे समय तक सेवन से हार्मोनल गड़बड़ी जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या कम हो सकती है। लड़कियों में जल्द यौवन के लक्षण सामने आ सकते हैं। यहां तक कि बोतलबंद पानी का सेवन करने वाले लोगों में लीवर और ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना भी अधिक होती है। समय आ गया है कि हम अपने समुदाय को प्लास्टिक की बोतलों में रखे तरल पदार्थों के सेवन के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूक करें। हमें तांबे के कंटेनर और कांच की बोतलों में तरल पदार्थ, विशेष रूप से पानी के भंडारण के अपने पुराने पुराने समय में वापस जाना चाहिए।

रॉयटर्स के मुताबिक दुनिया भर में हर मिनट दस लाख प्लास्टिक की बोतलें खरीदी जाती हैं। 2009 के बाद से दुनिया भर में बिकने वाली प्लास्टिक की बोतलें न्यूयॉर्क के मैनहट्टन द्वीप से ऊपर उठेंगी। यूरोमॉनिटर इंटरनेशनल के डेटा से पता चलता है कि इनमें से 480 बिलियन से अधिक बोतलें पिछले साल अकेले बेची गईं। कहने का मतलब यह है कि इन बातों को जानते हुए भी आप प्लास्टिक बोतल में पानी पीएंगे या अन्य बेहतर विकल्पों को अपनाएंगे।

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