Bihar News: बिहार में पहली बार नदी जोड़ परियोजना की कवायद शुरू, जल संसाधन मंत्री ने कहा जल्द होगा उद्घाटन

Bihar News: बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने नदी जोड़ परियोजना के कार्यों की समीक्षा करने के लिए बिहार के नालंदा जिले के हरनौत प्रखंड के तेलमर में चिरैया नदी के बराज के ऊपर हो रहे कार्यों की समीक्षा की।

Update: 2022-08-05 02:30 GMT

Bihar News: बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने नदी जोड़ परियोजना के कार्यों की समीक्षा करने के लिए बिहार के नालंदा जिले के हरनौत प्रखंड के तेलमर में चिरैया नदी के बराज के ऊपर हो रहे कार्यों की समीक्षा की। यह प्रदेश की पहली नदी जोड़ परियोजना होगी। इस परियोजना पर 18.64 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। यह नदियों को जोड़ने वाली पहली परियोजना है।

इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य है कि छोटी और बड़ी नदियों को आपस में जोड़ कर सिंचाई की व्यवस्था को और बेहतर बनाया जा सके, जिससे किसानों को फायदा हो और राज्य में अनाज की पैदावार बढ़े। इस परियोजना के तहत राज्य की हर छोटी-बड़ी नदियों को आपस में जोड़ने का काम चल रहा है। यह पहली नदी है जिस पर काम पूरा हो चुका है, उम्मीद जताया जा रहा है कि 15 अगस्त के दिन मुख्यमंत्री जी द्वारा राज्य की जनता को यह समर्पित कर दिया जाएगा।

इसके बाद क्षेत्र में पैदावार बढ़ने के साथ किसानों को फायदा होने की पूरी संभावना है। इस परियोजना के पूरा हो जाने से हजारों किसानों को फायदा होगा इसमें दो हजार एकड़ से अधिक भूमि को सिंचाई करने के लिए पानी मिल सकेगा।इसके तहत कई पक्की नहरों को भी निकाला जाएगा, साथ ही आस पास के खेतों में पानी देने के लिये आउटलेट लाइन की भी व्यवस्था की जाएगी। इस योजना के तहत 19 से अधिक गांव को फायदा होगा। जिस क्षेत्र में इस परियोजना का लोकार्पण किया जाना है उस क्षेत्र में धान की खेती काफी अच्छी मात्रा में होती है। इस नदी के जोड़ने से नालंदा और पटना के साथ आसपास के अन्य जिलों को भी फायदा होगा।

राज्य की सबसे बड़ी नदी गंगा को भी छोटी नदियों से आपस में जोड़ने का काम चल रहा है। गंगा नदी की धार को भी इसी क्षेत्र में लाया जा रहा है। राज्य की पहली नदी जोड़ परियोजना को पुरा करने के लिये लगातार काम हो रहा है। इस परियोजना के तहत बहुत सी छोटी-छोटी नहर आहार पाइन के साथ नाला भी निकाला जाएगा जिससे सिंचाई की व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके।

बाढ़ के नुकसान को कम करने के लिये बराज का निर्माण भी करवाया जा रहा है, जिसमें लगभग 16 किलोमीटर लंबी पईन के पुनर्स्थापन का काम भी किया जा रहा है । जिससे राज्य के लगभग 3187 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाई जा सकेगी । इससे खेत में आउटलेट के माध्यम से पानी देने की भी व्यवस्था की जाएगी।मुख्यमंत्री के गृह जिले में होने की वजह से यह परियोजना और अलग हो जाती है आपको बता दें कि नालंदा जिला बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला है और यहीं पर नदी जोड़ परियोजना का उद्घाटन किया जा रहा है जिससे लोगों में और उत्सुकता बढ़ गई है।

नदी जोड़ परियोजना की हकीकत

नदी को एक दूसरे से जोड़ने का की परिकल्पना 2003 में अटल बिहारी बाजपेई ने देखी थी। अभी केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के अनुसार देश के कुल 31 नदी को आपस में जोड़कर कनेक्टिविटी बढ़ाया जा सके इसपर काम किया जा रहा है। इससे 15000 किलोमीटर नहर को खोदनी होंगी। जिससे 174 घन किमी पानी को स्टोर किया जा सकेगा।हर छोटी बड़ी नदी आपस में जुड़ जाएंगी इससे फायदा यह होगा की बाढ़ प्रभावित क्षेत्र से नदी के पानी को सूखे वाले क्षेत्र में ले जाया जा सकेगा। जिससे वहां पर खेती हो सकेगी, इसके साथ बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में आपदा को रोका जा सकेगा। मध्य प्रदेश के केन नदी और उत्तर प्रदेश के बेतवा नदी को लिंक करने का प्रोजेक्ट है, जिसे देश का सबसे बड़े प्रोजेक्ट कहा जाता है। जिसके तहत केन नदी के पानी को बेतवा नदी में ले जाया जा रहा है। मध्यप्रदेश में इस तरह के और कई नदी है। उदाहरण के लिए जैसे नर्मदा नदी को शिप्रा नदी से जोड़ा गया है। गुजरात में नर्मदा और साबरमती को जोड़ा गया है।

नदी जोड़ परियोजना पर पर्यावरणविद उठाते रहे हैं सवाल 

इस तरह के नदी जोड़ने की परियोजना को परियोजना को लेकर पर्यावरणविद सवाल उठा चुके हैं पर्यावरणविद का कहना है कि हर नदी का अपना एक पारस्परिक स्वभाव होता है और इसके साथ छेड़छाड़ पर्यावरण के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। नदियों के किनारे या नदियों में कई तरह के जीव जंतु का विकास होता है और उनका जीवन यापन चलता है नदियों को जोड़ने से उनके मूल स्वभाव और उनके जीवन यापन में प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। हमें उन सब चीजों पर भी ध्यान देना होगा। आज सरकार इस योजना की वाहवाही तो कर रही है लेकिन इसे सरकार को अंतिम विकल्प के रूप में रखना चाहिए नहीं तो यह आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक सभी चीजों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। विशेषज्ञ का यह भी कहना है कि बड़ी-बड़ी नदियों के बजाय छोटे-छोटे नहरों को विकसित किया जाना चाहिए आहार पाइन बनाया जाना चाहिए जिससे सिंचाई की सुगम व्यवस्था हो। और पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद हो।

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