किसान आंदोलन के समर्थन में बहुजन समाजवादी मंच ने निकाला मार्च, कहा पूंजीपतियों का हित साध रही मोदी सरकार

बसम ने कहा कि नई शिक्षा नीति भी पूँजीपति हितों और मनुवादी सोच को स्थापित करने वाली है, वर्तमान किसान आंदोलन इन्हीं जनविरोधी नीतियों और जनआक्रोश की उपज है, ये इंडिया बनाम मेहनतकशों के भारत की लड़ाई है....

Update: 2021-01-17 14:13 GMT

नई दिल्ली। बहुजन समाजवादी मंच (बसम) द्वारा आयोजित माटी संकल्प मार्च में हज़ारों लोगों ने सक्रिय भागीदारी की। यह मार्च दिल्ली के सभी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में किया गया। बसम का मानना है कि केंद्र सरकार द्वारा कृषि और श्रम क्षेत्र में सुधार के नाम पर बनाए जाने वाले क़ानून जनविरोधी हैं।

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि केंद्र की मोदी सरकार लगातार पूँजीपतियों के हितों को साधने का काम कर रही है। वैसे तो भारत की अब तक की सभी सरकारों ने पूँजीपतियों का ही साथ दिया है लेकिन पिछले छह सालों से शासन कर रही मोदी सरकार ने तो लोकतंत्र की मर्यादा को तार-तार कर दिया है।

उनका कहना है कि इस सरकार ने सारे फ़ैसले जनविरोधी लिए हैं। इस सरकार ने आने-पौने दामों पर देश की संपत्ति को बेचा है। यह सरकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निर्देश पर मज़दूर और किसान विरोधी क़ानून बना रही है। तीनों कृषि क़ानून और चारों श्रम संहिताएँ इसका एक उदाहरण है।


 उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति भी पूँजीपति हितों और मनुवादी सोच को स्थापित करने वाली है। वर्तमान किसान आंदोलन इन्हीं जनविरोधी नीतियों और जनआक्रोश की उपज है। ये इंडिया बनाम मेहनतकशों के भारत की लड़ाई है। बसम इस लड़ाई में मेहनतकश बहुजन भारत के पक्ष में है। अपनी इसी पक्षधरता के चलते माटी संकल्प मार्च किया है।

प्रदर्शनकारियों ने बताया कि इस मार्च के अंदर चार राज्यों के पच्चीस ज़िलों के खेत-खलिहानों की माटी कलशों में लाई गई है। ये माटी कलश आंदोलन कर रहे किसानों को स्मृति चिह्न के रूप में भेंट किए गए। दस किव्ंटल आटा और पच्चीस हज़ार चौदह रूपये बतौर समर्थन सहयोग दिया। यह माटी संकल्प मार्च किसान आंदोलन में बहुजन समाज की सक्रिय भागीदारी का प्रमाण है। यह मार्च सरकार और भाजपा की विभाजनकारी नीतियों को भी एक चुनौती है।

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