Grihasthi Sarvanash Tax Kya hai: राहुल ने क्यों किया गब्बर सिंह टैक्स का नया नामकरण, गृहस्थी सर्वनाश टैक्स होने लगा सोशल मीडिया पर ट्रेंड

Grihasthi Sarvanash Tax Kya hai: कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को जो अब महज एक सांसद हैं, को भले ही भारतीय जनता पार्टी से जुड़े लोगों द्वारा ट्रोल किया जाता रहा हो लेकिन उनका देशव्यापी असर अक्सर ही दिखता रहता है।

Update: 2022-07-21 17:26 GMT

Grihasthi Sarvanash Tax Kya hai: राहुल ने क्यों किया गब्बर सिंह टैक्स का नया नामकरण, गृहस्थी सर्वनाश टैक्स होने लगा सोशल मीडिया पर ट्रेंड

Grihasthi Sarvanash Tax Kya hai: कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को जो अब महज एक सांसद हैं, को भले ही भारतीय जनता पार्टी से जुड़े लोगों द्वारा ट्रोल किया जाता रहा हो लेकिन उनका देशव्यापी असर अक्सर ही दिखता रहता है। अब राहुल गांधी का जीएसटी (गुड एंड सिंपल टैक्स) को दिया गया नया नाम 'गृहस्थी सर्वनाश टैक्स' व्यापक रूप से जिस पैमाने पर वायरल हो रहा है, वह इसका नया उदाहरण है। जीएसटी को राहुल का दिया गया यह नया नाम इसलिए भी खासा चर्चा में है कि यह राहुल ही थे जिन्होंने पहले इसी जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स बताते हुए इसकी भयावहता का खाका खींचा था।

केन्द्र की मोदी सरकार ने सभी टैक्स को एक दायरे में लाने के नाम पर आधी रात को संसद का विशेष सत्र बुलाकर इसे जल्दबाजी में लागू किया था उसका ड्राफ्ट पूर्ववर्ती मनमोहन सरकार ने ही तैयार किया था। इस ड्राफ्ट में ही तमाम तकनीकी दिक्कतें थी। जिस वजह से वित्त के विशेषज्ञ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इसे उस समय लागू नहीं किया था। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सत्ता में आने के बाद इसे बिना कुछ सोचे जल्दबाजी दिखाते हुए देश पर थोप दिया। शुरू में जिस जीएसटी को लेकर जो तमाम सब्जबाग मोदी सरकार ने देश की जनता को दिखाए थे धीरे-धीरे उनकी कलई खुलने लगी तो सरकार ने आंकड़ों में फेरबदल कर इसकी पैरवी करनी शुरू कर दी। तब पहली बार राहुल गांधी ने इसको गब्बर सिंह टैक्स संबोधित कर इसे मोदी की तानाशाही से जोड़ा था। लेकिन अब जब इस जीएसटी का दायरा बढ़कर सीधे रोटी के निवाले तक आ गया तो राहुल ने इसे नया नाम दिया है। उनका कहना है कि जीएसटी अब 'गृहस्थी सर्वनाश टैक्स' का विकराल रूप ले चुका है।

मालूम हो कि हाल में ही सरकार द्वारा प्रीपैकेज्ड और लेबल्ड अनाज, दाल और आटे को जीएसटी के दायरे में लाकर देश के इतिहास में पहली बार गरीब आदमी की रोटी पर सीधे टैक्स थोपा है। इसके साथ ही साथ ही दही, पनीर, शहद, मांस और मछली जैसे डिब्बा बंद और लेबल-युक्त खाद्य पदार्थों पर भी जीएसटी लगाया गया है। घर-घर में इस्तेमाल होने वाले इन आइटम्स को पहले जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया था लेकिन अब इन पर पांच फीसदी जीएसटी लगाया गया है। इससे महंगाई की मार झेल रहे आम लोगों की कमर पूरी तरह टूट गई है।

18 जुलाई से लागू इस रोटी पर टैक्स के बाद ही राहुल गांधी ने "घटती आमदनी और रोजगार, ऊपर से महंगाई का बढ़ रहा प्रहार" ट्वीट करते हुए बताया था कि प्रधानमंत्री का 'गब्बर सिंह टैक्स' अब 'गृहस्थी सर्वनाश टैक्स' का विकराल रूप ले चुका है। राहुल द्वारा जीएसटी के इस नए नामकरण को लेकर देश भर में हाथों-हाथ लिया गया। जिसके बाद सोशल मीडिया के हर प्लेटफार्म पर यह जमकर ट्रेंड हो रहा है। बुधवार को भी राहुल ने 'महंगाई से जूझती जनता के लिए "'गब्बर' की रेसिपी: कम बनाओ, कम खाओ, जुमलों के तड़के से भूख मिटाओ" ट्विट करते हुए कहा है कि 'मित्रों' की अनकही बातें तक सुनने वाले प्रधानमंत्री को अब जनता की बात सुननी भी होगी और यह जीएसटी वापस लेना भी होगा।'

घरों में इस्तेमाल होने वाली इन चीजों को टैक्स के दायरे में लाए जाने के बाद इन चीजों की कीमत में पांच से आठ फीसदी तक बढ़ोतरी हो सकती है। अमूल ब्रांड के मिल्क प्रॉडक्ट बनाने वाली देश की सबसे बड़ी डेयरी कंपनी गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (GCMMF) ने छाछ, दही और लस्सी की कीमत पांच फीसदी बढ़ा ही दी है। टेट्रा पैक्स में आने वाले बेवरेजेज की कीमत में भी पांच फीसदी बढ़ोतरी करने की तैयारी है। टेट्रा पैक्स पर जीएसटी का रेट 12 फीसदी से बढ़ाकर 18 फीसदी किया गया है। टेट्रा पैक्स का इस्तेमाल लिक्विड बेवरेजेज और डेयरी प्रॉडक्ट्स की पैकेजिंग में होता है। साथ ही प्रीपैकेज्ड और लेबल्ड वाले अनाज, दाल और आटे पर भी पांच फीसदी जीएसटी लगाया गया है।

दिलचस्प तथ्य यह भी है कि जिस राहुल को सरकार बेहद हल्के में लेने का दावा करती है, हकीकत में सच्चाई यह है कि वह डरती ही राहुल से है। इसकी बानगी भी तब और साफ दिखने लगी जब घर-घर इस्तेमाल होने वाली चीजों पर जीएसटी लगाने के आरोपों से घिरी मोदी सरकार का बचाव करने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक के बाद एक लगातार 14 ट्वीट करने पड़े। इन ट्वीट्स में वित्त मंत्री ने फिर वही गोल-गोल बातें करके जनता को रिझाने की कोशिश की है। लेकिन उनकी यह कोशिशें कब तक सफल होंगी यह बात देखने वाली है। लेकिन एक बात तय है कि राहुल की आवाज को अनसुना करने का साहस प्रचंड बहुमत की सरकार के पास भी नहीं है।

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