मध्य प्रदेश में शिवराज पर भारी पड़े 'महाराज', करीब एक-तिहाई सिंधिया के वफादार चलाएंगे प्रदेश

मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल के गुरुवार को हुए विस्तार के बाद मंत्रियों की संख्या 34 हो चुकी है। मतलब, साफ है कि आगे और नेताओं को जगह देने की गुंजाइश नहीं के बराबर बची है। इस विस्तार के बाद कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का सरकार में दबदबा बढ़ना स्वाभाविक लग रहा है...

Update: 2020-07-02 10:36 GMT

जनज्वार। मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल के गुरुवार को हुए विस्तार के बाद मंत्रियों की संख्या 34 हो चुकी है। मतलब, साफ है कि आगे और नेताओं को जगह देने की गुंजाइश नहीं के बराबर बची है। इस विस्तार के बाद कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का सरकार में दबदबा बढ़ना स्वाभाविक लग रहा है। क्योंकि, अंकगणित के हिसाब से करीब एक-तिहाई मंत्रियों पर सिंधिया का सीधा प्रभाव है। जाहिर है कि भाजपा ने सिंधिया पर इतना बड़ा दांव इसलिए लगाया है, क्योंकि प्रदेश में होने वाले 24 सीटों पर उपचुनाव से ही शिवराज सरकार का भविष्य तय होना है। इन 24 सीटों में से 22 सीटें ग्वालियर-चंबल संभाग की हैं, जहां सिंधिया राजघराने का दबदबा माना जाता रहा है। मतलब, एक बात तो तय है कि उपचुनाव के नतीजे आने तक, सरकार पर सिंधिया का प्रभाव दिखता रहेगा। नतीजे अच्छे आए तो पार्टी में उनकी पूछ और बढ़ेगी और शिवराज को भी उसकी तैयारी करनी होगी।

मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार गिरने के करीब तीन महीने के बाद मुख्मयमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को अपने मंत्रिमंडल में 28 नए सदस्यों को शामिल किया है। इनमें 16 भाजपा के विधायक हैं और 12 कांग्रेस के पूर्व विधायक हैं। जबकि, दो पूर्व कांग्रेसी विधायकों को पहले ही राउंड में मंत्री बनाया जा चुका है। गौरतलब है कि मार्च में कांग्रेस के 6 मंत्रियों समेत 22 विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता छोड़ दी थी, जिसके चलते कांग्रेस की 15 महीने पुरानी कमलनाथ सरकार कई दिनों के सियासी ड्रामे के बाद दम तोड़कर लड़खड़ाकर गिर गई थी। कांग्रेस के बागी विधायकों के इस्तीफे से सदन में बहुमत के लिए जरूरी जादुई आंकड़ा कम हो गया और शिवराज सिंह चौहान को चुनाव में हार मिलने के बाद एकबार फिर से सत्ता में वापसी का मौका मिल गया था।

गुरुवार को शिवराज की टीम में जिन 12 पूर्व कांग्रेसी विधायकों को जगह मिली है, उनमें नए-नवेले राज्यसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के 9 वफादार साथी भी शामिल हैं। जबकि, सिंधिया के दो समर्थक पूर्व विधायकों को कैबिनेट में पहले ही जगह मिल चुकी है। यानि, गुरुवार को हुए मंत्रिमंडल विस्तार के बाद मध्य प्रदेश कैबिनेट में मंत्रियों की संख्या 34 हो चुकी है और अब शायद ही किसी और की एंट्री की गुंजाइश बच गई है। मतलब, इन 34 मंत्रियों में सिंधिया समर्थक पूर्व विधायकों की संख्या करीब एक-तिहाई यानि 11 हो चुकी है और जाहिर है कि अपने 11 वफादार मंत्रियों की सहायता से ग्वालियर राजघराने के महाराज शासन की गतिविधियों में एक अहम रोल निभा सकते हैं।

गुरुवार के कैबिनेट विस्तार के बाद कमलनाथ सरकार गिराने में मुख्य किरदार निभाने वाले कांग्रेस के 22 पूर्व विधायकों में से 14 को मंत्री पद मिल चुका है। इनमें से 10 को कैबिनेट और 4 को राज्य मंत्री का दर्जा मिला है। ये वही पूर्व विधायक हैं, जो कांग्रेस सरकार से खफा होकर कई दिनों तक बेंगलुरु में डेरा डालकर भोपाल में कमलनाथ से लेकर दिल्ली में सोनिया गांधी तक की धड़कने बढ़ा चुके थे और आखिरकार वही हुआ, जिसका उन्हें डर था। डॉ प्रभुराम चौधरी, इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर और महेंद्र सिंह सिसोदिया जैसे चार सिंधिया समर्थक कमलनाथ सरकार में भी मंत्री पद की शोभा बढ़ा चुके हैं। जबकि, तुलसीराम सिलावट और गोविंद राजपूत जिन्हें 21 अप्रैल को ही मंत्री बनाया जा चुका है, ये दोनों भी कांग्रेस सरकार में मंत्री रह चुके हैं।

शिवराज सिंह सरकार में कई नए लोगों को भी जगह दी गई है, जिनमें अरविंद भदौरिया, उषा ठाकुर और मोहन यादव भी शामिल हैं। भदौरिया ने कमलनाथ सरकार से बगावत करने में काफी सक्रिय भूमिका अदा की थी। इसी तरह बिसाहूलाल सिंह, एदल सिंह कसाना और हरदीप सिंह डंग सिंधिया समर्थक न होकर भी बगावत में मुख्य भूमिका निभा चुके हैं। बिसाहूलाल तो बेंगलुरु से आने के बाद एकबार फिर पलट भी गए थे।

वहीं शिवराज ने अपनी टीम में अपने पुराने साथियों गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह, विजय शाह जगदीश देवड़ा, यशोधरा राजे सिंधिया और विश्वास सारंग को भी जगह दी है। माना जा रहा है कि शिवराज सरकार का ये मंत्रमंडल विस्तार 24 सीटों पर होने वाले उपचुनावों के मद्देनजर किया गया है, जिससे कि भाजपा सरकार की स्थायित्व तय हो सकती है, जिसने अब 100 दिन पूरे कर लिए हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि इन 24 सीटों में से अधिकतर ग्लालियर-चंबल संभाग की सीटें हैं, जहां सिंधिया का अच्छा-खासा प्रभाव माना जाता है। इन सीटों पर तो इसबार शिवराज के 14 मंत्री ही बतौर उम्मीदवार उतरेंगे, इसलिए मुकाबला बेहद दिलचस्प होने की संभावना है।

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