देश को आपस में लड़ाना चाहती है मोदी सरकार? CAA की तरह कृषि बिल पर सत्ता पक्ष और जनता का सड़कों पर टकराव

हरियाणा पंजाब में कृषि विधेयकों के विरोध में सत्तापक्ष और विपक्ष के एक स्वर में बोलने से हरियाणा सरकार सतर्क हो गई है। असल में हरियाणा सरकार की चिंता है कि पंजाब के साथ लगते जिलों में किसान भड़क न जाएं।

Update: 2020-09-20 09:01 GMT

जनज्वार। हरियाणा पंजाब में कृषि विधेयकों के विरोध में सत्तापक्ष और विपक्ष के एक स्वर में बोलने से हरियाणा सरकार सतर्क हो गई है। असल में हरियाणा सरकार की चिंता है कि पंजाब के साथ लगते जिलों में किसान भड़क न जाएं।

पंजाब के किसानों का हरियाणा में सिरसा, फतेहाबाद, अंबाला, कुरुक्षेत्र तक सीधा प्रभाव रहता है। इसी तरह राज्य सरकार ने राजस्थान से लगते हिसार, रेवाड़ी जिलों में भी किसान आंदोलन को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों से सतर्कता बरतने को कहा है।

राजस्थान में भी कांग्रेस की सरकार है। हरियाणा भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ खुद किसानों के बीच सक्रिय हैं। उन्होंने विधायकों से लेकर जिला भाजपा प्रधानों को भी किसानों के बीच जाकर उन्हेंं तीनों कृषि विधेयकों को बारे में विस्तार से बताने का निर्देश दिया है।

कृषि विधेयकों को अधिनियम बनाने के लिए संसद के मानसून सत्र में चर्चा चल रही है। दो कृषि विधेयकों को लोकसभा में पारित भी कर दिया गया है।

हरियाणा सरकार कृषि विधेयकों को लेकर किसानों की शंका और आशंका को दूर करने में जुटी है। राज्‍य सरकार आगे भी किसानों को न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य को जारी रखने सहित अन्‍य व्‍यवस्‍थाओं को जारी रखने को आश्‍वस्‍त करेगी। इसके लिए भाजपा के विधायकों और नेताओं के साथ मंत्री भी सक्रिय रहेंगे।

विपक्ष के जो नेता इन कृषि विधेयकों को किसानों के लिए अनुचित बता रहे हैं, उन्होंने कभी खेत का मुंह नहीं देखा। कांग्रेस ने तो 2019 के चुनाव घोषणा पत्र में भी ऐसे कृषि कानून बनाने की वकालत की थी।

किसान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मनोहर लाल पर विश्वास करते हैं। दोनों नेताओं ने साफ कहा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य और मंडी व्यवस्था यथावत रहेगी। किसान चाहे अपनी फसल मंडी में बेचे या फिर मंडी से बाहर, दोनों अवस्था में किसान को फायदा होगा। ये विधेयक किसान की आय दोगुनी करने के द्वार खोल देंगे।

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