Nikhat Zareen Gold Medal: निकहत जरीन ने इस्तांबुल में लहराया तिरंगा, महिला विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में जीता स्वर्ण पदक

Nikhat Zareen Gold Medal: तुर्की के इस्तांबुल में आयोजित विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप का आयोजन हो रहा हैं और इस चैंपियनशिप में भारत की महिला मुक्केबाज निकहत जरीन ने 52किलोग्राम वर्ग में थाईलैंड की जितपोंग जुटामस को 5-0 से हराकर स्वर्ण पदक जीत लिया

Update: 2022-05-20 17:24 GMT

Nikhat Zareen Gold Medal: निकहत जरीन ने इस्तांबुल में लहराया तिरंगा, महिला विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में जीता स्वर्ण पदक

Nikhat Zareen Gold Medal: तुर्की के इस्तांबुल में आयोजित विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप का आयोजन हो रहा हैं और इस चैंपियनशिप में भारत की महिला मुक्केबाज निकहत जरीन ने 52किलोग्राम वर्ग में थाईलैंड की जितपोंग जुटामस को 5-0 से हराकर स्वर्ण पदक जीत लिया, विश्व महिला मुक्केबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली वह भारत की 5वीं मुक्केबाज बन गई हैं।

वे तेलंगाना के निजामाबाद शहर के एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती है उनके पिता मोहम्मद जमील एक पूर्व फुटबॉलर व क्रिकेटर है, जमील ने कहा कि विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतना एक ऐसी चीज है जो मुस्लिम लड़कियों के साथ साथ देश की प्रत्येक लड़की को जीवन में बड़ा हासिल करने का लक्ष्य रखने के लिए प्रेरणा का काम करेगी, एक बच्चा चाहे वह लड़का हो या लड़की, अपना रास्ता खुद बनाना पड़ता है और निखत ने अपना रास्ता खुद बनाया है।

जरीन मुकाबले के दौरान बेहतरीन फॉर्म में थीं। उन्होंने अपने तकनीकी कौशल का इस्तेमाल किया और अपने फुर्तीले पैर वाले प्रतिद्वंद्वी को पछाड़ने के लिए कोर्ट को अच्छी तरह से कवर किया। निकहत पहले दौर में सभी जजों को प्रभावित करने में सफल रहीं। उन्होंने थाई मुक्केबाज की तुलना में कहीं अधिक मुक्के मारे। दूसरा दौर कड़ा था और जितपोंग जुटामेंस ने इसे 3-2 से जीत लिया। फाइनल राउंड में निकहत ने प्रतिद्वंद्वी को बुरी तरह धोया और फैसला उनके पक्ष में सर्वसम्मति (5-0) से आया। इससे पहले सेमीफाइनल में जरीन ने ब्राजील की कैरोलिन डी अल्मेडा के खिलाफ 5-0 से जीत हासिल की थी।

कौन हैं निकहत जरीन

उनका जन्म तेलंगाना के निजामाबाद में 14 जून 1996 को हुआ था। उनके पिता का नाम मुहम्मद जमील अहमद और माता का नाम परवीन सुल्ताना है। इस भारतीय स्टार ने 13 साल की उम्र में बाक्सिंग ग्ल्बस से दोस्ती कर ली थी। वो भारतीय मुक्केबाजी की लीजेंड एमसी मैरीकाम को अपना आदर्श मानती हैं।

इस जीत के साथ जरीन विश्व चैंपियन बनने वाली पांचवीं भारतीय महिला मुक्केबाज गई हैं. उनसे पहले ये कारनामा छह बार की चैंपियन एमसी मैरीकोम (2002, 2005, 2006, 2008, 2010 और 2018), सरिता देवी (2006), जेनी आरएल (2006) और लेखा केसी कर चुके हैं.

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