ब्राह्मण लड़की से शादी की सजा मौत, सीएम सिटी गोरखपुर में हुई जघन्य वारदात

रामअवध का करीब 10 घंटे थाने में रखा गया। एसडीएम रुद्रपुर संजीव कुमार के अभिलेखों में मर चुके डाला गांव के रामअवध तीन साल से अपने जिंदा होने का सबूत लेकर घूम रहे हैं....

Update: 2021-07-24 15:44 GMT

जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट

जनज्वार। प्रशासन द्वारा राजस्व विभाग की मिलीभगत से 80 वर्षीय वृद्ध रामअवध को जिंदा रहते अभिलेखों में मृत घोषित कर देने की कोशिश अब उसके गले की हड्डी बनती जा रही है। शनिवार को उत्तर प्रदेश के देवरिया में निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण करने पहुंचे मुख्यमंत्री आदित्यनाथ से रामअवध के मिलने जाने की खबर क्या लगी प्रशासन के हाथ पैर फूलने लगे।

उप जिलाधिकारी रुद्रपुर ने राम अवध को पूरे दिन अपने कब्जे में रखा, जब तक कि योगी आदित्यनाथ निरीक्षण कार्यक्रम को समाप्त कर देवरिया से रवाना नहीं हो गए। लिहाजा सीएम से मिलकर अपना दुखड़ा सुुनाने की मनसा पुरी नहीं हो सकी। शनिवार की सुबह पुलिस ने उन्हें अपनी कस्टडी में ले लिया। सुबह नौ बजे से कोतवाली पुलिस उन्हें थाने लाई और सीएम का कार्यक्रम समाप्त होने के बाद जाने दिया।।

रामअवध का करीब 10 घंटे थाने में रखा गया। एसडीएम रुद्रपुर संजीव कुमार के अभिलेखों में मर चुके डाला गांव के रामअवध तीन साल से अपने जिंदा होने का सबूत लेकर घूम रहे हैं।

सीएम के देवरिया आने की सूचना पर वह अपने गले में सीएम साहब मै जिंदा हुं का स्लोगन लिखा, तख्ती लटका कर घूमने लगे। उनके सीएम से मिलने का ऐलान करते ही प्रशासनिक अमले में खलबली मच गई।

शुक्रवार की रात 10 बजे से रामअवध को पुलिस ढूंढ़ने लगी। शनिवार की सुबह कोतवाली प्रभारी बृजेश कुमार मिश्र को वह रामचक गांव में मिले। कोतवाली प्रभारी ने उन्हें एसडीएम के समक्ष पेश किया। रामअवध ने एसडीएम से अपनी पूरी कहानी बताई। एसडीएम संजीव कुमार उपाध्याय ने कहा कि रामअवध को न्याय दिलाने की कार्यवाही शुरू कर दी गई है। वह राजस्व अभिलेख में दोबारा जिंदा हो जाएंगे।

कहा जा रहा है कि 40 साल पहले कमाने गांव से निकले रामअवध को मृतक दिखाकर पट्टीदार ने जमीन हड़प ली है। वह तीन साल से अपने जिंदा होने का केस तहसीलदार न्यायालय में लड़ रहे हैं। राजस्व अभिलेखों में आठ साल पहले मृतक हो चुके रामअवध पट्टीदारों पर पुश्तैनी जमीन हड़पने का आरोप लगा रहे हैं।

मुख्यमंत्री जी मैं जिंदा हूं, कागज में मरा रामअवध बोल रहा हूं' लिखी तख्ती रामअवध अपने गले में लटका कर धूम रहे हैं। उन्होंने कहा कि खबर मिली थी, सीएम योगी आदित्यनाथ देवरिया में मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण करने आ रहे हैं। वह तो संत हैं, उनसे न्याय की पूरी उम्मीद है। उनसे मिलकर अपना दुखड़ा रोना है। लेकिन हमारी इस कोशिश को प्रशासन ने पूरा नहीं होने दिया। अपनी करतूत पर पर्दा डालने के लिए प्रशासन द्वारा साजिश के तहत ये सब किया गया।

रामअवध कहते हैं कि मीडिया में खबर आने पर डीएम ने जांच बैठाई है। लेकिन डीएम के जांच के निर्देश के एक सप्ताह बीतने के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला है। डाला गांव के रामअवध करीब 40 साल पहले अपनी पत्नी और बच्चों को लेकर यूपी के ललितपुर जिले में काम धंधे की तलाश में गए। वहां वह परिवार के साथ सैदपुर गांव में गृहस्थी बसा लिए। वह अपने माता पिता की अकेली संतान हैं। उन्हें एक बेटा है। आरोप है कि पट्टीदारों ने लेखपाल और कानूनगो से मिलाकर उन्हें राजस्व अभिलेख में मृतक घोषित करा दिया।

उन्होंने उनकी हिस्से की सारी जमीन अपने नाम करा ली। जानकारी होने पर रामअवध तीन साल से तहसीलदार न्यायालय में केस लड़ रहे हैं। जिंदा होने का अभिलेखीय प्रमाण देने के बाद भी मुकदमे का निस्तारण नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि सोचा था, सीएम से मिलकर केस में हर कार्य दिवस पर सुनवाई कर त्वरित न्याय की गुहार लगाएंगे। लेकिन प्रशासन ने ऐसा कुछ भी नहीं होने दिया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महर्षि देवरहा बाबा मेडिकल कॉलेज का किया निरीक्षण

सीएम ने निरीक्षण के दौरान कहा कि महर्षि देवरहा बाबा मेडिकल कॉलेज इस सत्र में प्रवेश के लिए तैयार है। पहले सत्र के लिए मेडिकल कॉलेज को तैयार किया जा चुका है। नेशनल मेडिकल काउंसिल के निरीक्षण के साथ जैसे ही अनुमोदन प्राप्त होगा, उसके बाद प्रधानमंत्री से प्रदेश के 9 मेडिकल कॉलेज का शुभारंभ करवाएंगे। जो प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा के अंतर्गत और प्रदेश के संसाधन से भी तैयार हो रहे हैं। आज से 5-7 साल पहले कोई कल्पना भी नहीं करता था कि देवरिया में भी कोई मेडिकल कॉलेज होगा। लेकिन हम सब प्रधानमंत्री मोदी जी के आभारी हैं। जिन्होंने बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए देश के भीतर एक अभियान शुरू किया।

उन्होंने कहा कि 1947 से 2016 तक कुल 12 सरकारी मेडिकल कॉलेज उत्तर प्रदेश में बने थे। जबकि वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार, केंद्र सरकार के सहयोग से लगभग 32 मेडिकल कॉलेज 2016 से लेकर 2020-21 के बीच में स्थापित किया और उन्हें स्वीकृति दी। वर्ष 2021-22 के लिए 14 नए मेडिकल कॉलेजों को बनाया जाएगा। जिसकी स्वीकृति दी जा चुकी है और बजट का प्रावधान भी किया जा चुका है। इसके साथ मेडिकल कॉलेज का कार्य भी शुरू हो चुका है। इसके अलावा प्रदेश में 16 जनपद ऐसे हैं जहां पर मेडिकल कॉलेज नहीं हैं। जिनमें महाराजगंज, संत कबीर नगर, बलिया इत्यादि नाम शामिल हैं।

इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के सभी 75 ज़िले मेडिकल कॉलेज से आच्छादित होंगे। इसके अलावा हमने पिछले वर्ष 2 एम्स का शुभारंभ किया है। गोरखपुर और रायबरेली के एम्स बनकर तैयार होने जा रहे हैं। गोरखपुर एम्स का उद्घाटन प्रधानमंत्री अक्टूबर में करेंगे।

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