'एकलव्य से संवाद' के विमोचन में आयोग उपाध्यक्ष को दिखी रामनगर की 'समतावादी तस्वीर'

दलित चिंतक राजाराम विद्यार्थी के काव्य रचनाओं का यह संग्रह केवल दलित साहित्य तक ही सीमित नहीं बल्कि पूरे समाज की आंखे खोलने वाला दस्तावेज है।

Update: 2021-10-31 13:28 GMT

साहित्यकार राजाराम विद्यार्थी की पुस्तक 'एकलव्य से संवाद' का विमोचन अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष पीसी गोरखा व वरिष्ठ पत्रकार अपूर्व जोशी ने किया।   

सलीम मलिक/रामनगर। एक तरफ देश भर में जहां दलित उत्पीड़न के मामलों की भरमार हो रही है, वहीं रविवार को समाज की एक ऐसी समतावादी तस्वीर दिखाई जो इशारा करती है कि लाख बुराईयों के बाद भी समाज में ऐसे बीज मौजूद हैं, जो भारत के एक सुखद भविष्य की कल्पना में अपने सार्थक रंगों का समावेश करने में सक्षम हैं।

भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा क्षेत्र के प्रतिष्ठित लेखक व दलित चिंतक राजाराम विद्यार्थी के प्रकाशित नए काव्य संग्रह 'एकलव्य से संवाद' के विमोचन से निकली इस खूबसूरत तस्वीर ने समारोह में मौजूद लोगों को न केवल प्रभावित किया बल्कि आने वाले समय में इसके दोहराव का हौसला भी दिया।

Also Read :Maharashtra News : संजय निरुपम ने उद्धव सरकार से सवालिया लहजे में पूछा, सुरक्षा के बीच बेल्जियम कैसे पहुंच गए परमबीर सिंह

इलाके के करीब उपेक्षित साहित्यकार राजाराम विद्यार्थी की पुस्तक 'एकलव्य से संवाद' का विमोचन रविवार को अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष पीसी गोरखा व वरिष्ठ पत्रकार अपूर्व जोशी ने ग्रेट मिशन पब्लिक स्कूल के थियेटर सभागार में प्रदेश की जानी-मानी साहित्यिक, राजनैतिक हस्तियों के बीच किया।

राज्य आंदोलनकारी प्रभात ध्यानी के संचालन में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान श्री गोरखा ने कहा कि विद्यार्थी के काव्य रचनाओं का यह संग्रह केवल दलित साहित्य तक ही सीमित नहीं बल्कि पूरे समाज की आंखे खोलने वाला दस्तावेज है। श्री गोरखा ने कहा कि आयोग के दो वर्ष के कार्यकाल में जिस प्रकार के दलित उत्पीड़न के मामले उनके सामने आए उसके बरक्स आज के कार्यक्रम की जो तस्वीर सामने दिख रही है, यह न केवल चौंकाने वाली है। बल्कि यह समतावादी तस्वीर सुखद भविष्य का संकेत भी देती है।

Also Read : Jammu-Kashmir : नेशनल कॉन्फ्रेंस के 8 नेता बीजेपी में शामिल

मुख्य अतिथि अपूर्व जोशी ने कहा कि जैसे साहित्य समाज का आईना होता है वैसे ही साहित्य लेखक के व्यक्तित्व का भी आईना होता है। वर्तमान समय में जब अभिव्यक्ति की आज़ादी पर अंकुश लगा है तो 'एकलव्य से संवाद' जैसी रचना का आना अदम्य साहस का प्रतीक है। लेखक राजाराम ने कविता प्रकाशन के लिए इलाके के वरिष्ठ समाजसेवी आनन्द सिंह नेगी का आभार प्रकट करते हुआ कहा कि उनके सहयोग के बिना अस्तित्व में आई इन कविताओं का पुस्तक संग्रह के रूप में आना सम्भव नहीं था। चर्चित पत्रकार हरिमोहन शर्मा 'नवल' ने कहा कि विडंबना इस बात की है कि आज भी एकलव्य न केवल जिन्दा है बल्कि एकलव्य को एकलव्य से ही लड़ाकर उसका शोषण किया जा रहा है। शिक्षक नेता नवेन्दु मठपाल ने कहा कि समाज में व्याप्त जातिवाद का कुरूप रूप हमें अलग-अलग रूप में देखने को मिलता है। आज भी उत्तराखण्ड में उनके साथ की ही एक अनुसूचित जाति की महिला अध्यापक को किराए का मकान लेने के लिए क्या-क्या नहीं भुगतना पड़ा, यह वही जानती हैं।

योजना आयोग की पूर्व सदस्य घनेश्वरी घिल्डियाल ने कहा कि दलित कोई जाति नहीं है। बल्कि जो भी शोषित है, वह हक दलित है। वत्सल फाउंडेशन की निदेशक श्वेता मासीवाल ने अच्छे साहित्य के सृजन को अच्छे समाज के निर्माण के लिए ज़रूरी बताते हुए कहा कि समाज की समस्याओं के लिए सभी प्रकार की वैचारिकी में मंथन होना ज़रूरी है। ऐसे ही मंथन से समाज की समस्याओं के समाधान निकलेंगे। बहुजन समाज पार्टी के नेता गोविंदराम कोईराला ने जहां इस बात पर अफसोस प्रकट किया कि दलित समाज के पुरोधाओं ने आर्थिक रूप से सक्षम होते हुए भी अपने समाज के हाशिये पर पड़े लेखक को मुख्यधारा में लाने के लिए कुछ नहीं किया तो इस बात को भी सराहा कि समतावादी विचारधारा के धनी आनन्द सिंह नेगी ने झोंपड़ी में रह रही इस प्रतिभा की रचनाओं का प्रकाशन करवाकर उसे समाज की मुख्यधारा के साहित्यिक मंच पर लाकर खड़ा किया। कोईराला ने भविष्य में होने वाले अच्छे सामाजिक बदलावों में ऐसे हक समतावादी व्यक्तियों की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि कम ही सही, परन्तु ऐसे ही लोग समाज को आगे ले जाने के लिए प्रकाश स्तम्भ की भूमिका निभाएंगे।

प्रोफेसर गिरीश पंत ने राज्य की सांस्कृतिक विरासत में दलित समाज की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अपवादों को छोड़ दिया जाए तो एक समय में हमारी साझा संस्कृति थी। वह साझी संस्कृति आधुनिकता के दौर में और अधिक सुदृढ़ होने की जगह विद्रूप के रूप में परिवर्तित हो गयी है। यही विद्रूप समाज का कोढ़ बना हुआ है। कार्यक्रम के अंत में आयोजक स्वर्गीय श्री केबीएल श्रीवास्तव मेमोरियल ट्रस्ट के निदेशक प्रसून श्रीवास्तव द्वारा अतिथियों को अंगवस्त्र भेंटकर उनका स्वागत भी किया गया।

कार्यक्रम में मुख्य तौर पर मंजुला श्रीवास्तव, परिवर्तनकामी छात्र संगठन के रोहित रुहेला, जमील अहमद सैफी, साहित्यकार सगीर अशरफ, भाजपा नेता गणेश रावत, रमेश पंडित, महेन्द्र आर्य, अनुपम शुक्ला, पानसिंह नेगी, सुमित्रा बिष्ट, नीलम गुप्ता, लालमणि, पनीराम सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

Similar News