यूपी में कुपोषण से एक ही परिवार के 4 लोगों की मौत, मानवाधिकार आयोग ने थमाया योगी सरकार को नोटिस

Update: 2020-02-21 03:17 GMT

यह मामला उस समय सुर्खियों में आया जब गरीब हरिश्चंद्र पांडेय नाम के शख्स अपनी चौथी और कुपोषित बच्ची को लेकर रविवार 16 फरवरी को मुख्यमंत्री आरोग्य स्वास्थ्य मेले में पहुंचे और अधिकारियों को अपनी पीड़ा बताई....

जनज्वार। उत्तर प्रदेश स्थित बस्ती जनपद के ओझागंज गांव में एक परिवार के 4 सदस्यों की कुपोषण से मौत का मामला सामने आया है। इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने बुधवार 18 फरवरी को योगी सरकार को नोटिस जारी किया है।

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झागंज गांव के 40 वर्षीय हरिश्चंद्र ने कहा है कि बस्ती जिले की खराब स्वास्थ्य सुविधाओं और कुपोषण के कारण वह अपने परिवार के चार सदस्यों को खो चुके हैं। हरिश्चंद्र की एक बेटी गरीबी और कुपोषण के चलते मौत की कगार पर पहुंच चुकी है और उसका भी ठीक से इलाज नहीं हो पा रहा है।

गौरतलब है कि हरिश्चंद्र के परिवार में ये 4 मौतें बीते 6 सालों के दौरान हुई हैं। कुपोषण के चलते हुई इन मौतों के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार ने योगी सरकार को नोटिस भेजा है। एनएचआरसी ने यह नोटिस एक मीडिया रिपोर्ट के आधार पर भेजा है, जिसमें दावा है कि बस्ती के ओझागंज गांव में एक ही परिवार के 4 लोगों की मौत पिछले 6 साल में कुपोषण की वजह से हुई है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मीडिया में आई खबर पर स्वत: संज्ञान लिया है।

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मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने अपने मुख्य सचिव के जरिए यूपी सरकार को नोटिस भेजा। सरकार से इस मामले में बस्ती जिले में सामाजिक कल्याण योजनाओं के प्रभावी क्रियान्यवन के संबंध में डेटा मांगा गया है। एनएचआरसी की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार से कहा गया है कि पोषित आहार, पर्याप्त चिकित्सा और देखभाल व आजीविका के उचित साधनों के बावजूद अगर ये घटना हुई तो मानव अधिकारों का उल्लंघन है।

स्ती के डीएम ने मीडिया से कहा कि परिवार को सरकारी योजनाएं और चिकित्सीय इलाज का लाभ दिया जाएगा। हालांकि डीएम का दावा है कि परिवार के एक बच्चे की मानसिक हालत ठीक नहीं है, लेकिन वह कुपोषण से पीड़ित नहीं है।

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ह मामला उस समय सुर्खियों में आया जब गरीब हरिश्चंद्र पांडेय नाम के शख्स अपनी चौथी और कुपोषित बच्ची को लेकर रविवार 16 फरवरी को मुख्यमंत्री आरोग्य स्वास्थ्य मेले में पहुंचे और अधिकारियों को अपनी पीड़ा बताई। हरिश्चंद्र की पत्नी और 3 बच्चों की मौत पहले ही हो चुकी है। हरिश्चंद्र दिल्ली में मजदूरी करके पेट पालते हैं।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने नोटिस जारी करते हुए कहा कि अगर खबर सच्ची है तो यह पौष्टिक खुराक, पर्याप्त उपचार और जीविका के उचित माध्यमों की कमी के कारण मानवाधिकारों के हनन के गंभीर मुद्दे को उठाता है। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की ओर से मौत के कारणों की जांच भी की जा रही है।

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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने एक बयान जारी कर कहा कि कुपोषण और मूल सुविधाओं की कमी से ऐसी दुखद मौतों की सूचना उसके लिए चिंता की बात है। दरअसल, बस्ती जिले के ओझागंज में रहने वाले एक ही परिवार के 4 सदस्यों की बीते 6 साल में कुपोषण की वजह से मौत हो गई है।

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रिश्चंद्र का कहना है कि उसके पास एक भी पैसा नहीं है और न ही अस्पतालों में कोई जान पहचान, कोई अस्पताल मेरी बेटी का इलाज नहीं कर रहा है। डीएम बस्ती को भी हरिश्चंद्र ने अपना निवेदन पत्र भेजा, मगर किसी तरह की मदद नहीं मिली। अब मीडिया में मामला सामने आने के बाद डीएम महोदय कह रहे हैं कि परिवार को चिकित्सा से संबंधित सारी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। हरिश्चंद्र की एक बेटी मानसिक तौर पर ठीक नहीं है न कि कुपोषित है, उसका इलाज कराया जाएगा।

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