लगता है भाजपा में अब 'फेंकू' नाम नहीं रहा, संस्कृति बन गयी है और संभवत: यही वजह है कि कल एक कार्यक्रम में झारखंड के मुख्यमंत्री ने तगड़ा वाला फेंका है...
जनज्वार, झारखंड। गरीबी, भुखमरी और कुपोषण की जद में जी रहे झारखंड की नियति झूठे वादों में पिसते रहने की बन गयी है। अबकी राज्य के मुखिया रघबुर दास ने हवाई वादा फेंका है जिस पर आंखमूंद कर भी झारखंड की राजनीतिक—सामाजिक समझ रखने वाला कोई व्यक्ति भरोसा नहीं करेगा।
कल 25 नवंबर को एक मीडिया हाउस के कोलकाता में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए रघुबर दास ने कहा कि अगले साल 2018 की शुरुआत के साथ नक्सलवाद का झारखंड से सफाया हो जाएगा।
पर झारखंड के मुख्यमंत्री ने पोषण मिशन झारखंड 'एनएमजे' के जरिए राज्य से कुपोषण दूर करने का लक्ष्य 2025 रखा है। वे मानते हैं कि इससे पहले झारखंड को कुपोषण मुक्त नहीं किया जा सकता है। यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार कुपोषण की वजह से राज्य के 47 फीसदी बच्चे नाटे और 42 फीसदी कम वजन के हैं।
इसमें गौर करने लायक बात यह है कि सरकार 10 साल में कुपोषण राज्य से केवल 2 फीसदी कम कर पाती है, पर वह नक्सलवाद को तीन साल में ही 100 फीसदी खत्म कर देने का दंभ भरती है। मानो नक्सलवाद का कुपोषण, भुखमरी, गरीबी और अन्याय से कोई लेना—देना ही नहीं है।
25 नवंबर को मुख्यमंत्री रघुबर दास ने कोलकाता में कहा कि किसी भी समृद्ध राज्य की पहचान है कि वह अपने नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दे। इसी को देखते हुए पिछले तीन सालों में हमने 70 फीसदी नक्सलवाद खत्म कर दिया है, बाकि बचा 30 प्रतिशत इस साल के अंत दिसंबर तक खत्म हो जाएगा।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि कुछ नक्सली नेता बूढ़ा पहाड़ के पास छिपे हुए हैं। हमारी पुलिस उनसे मुकाबला कर रही है। दिसंबर खत्म होने तक आॅपरेशन अपना लक्ष्य पूरा कर खत्म हो जाएगा। 2018 की शुरुआत नक्सली आतंक खात्मे से होगी। उग्रवाद और अपराध से झारखंड अगले महीने के आखिर में पूर्ण रूप से मुक्त हो जाएगा।