कुपोषण में कीर्तिमान बना चुकी यूपी सरकार, 14 हजार लीटर तेल से 2 लाख दीए जलाकर आज बनाएगी नया विश्व रिकॉर्ड
सरकार का काम जनता को दीपावली मनाने लायक बनाना होता है कि हर आदमी अपने घरों में खुशी और समृद्धि के दीप जला सके, लेकिन यूपी सरकार एक अलग ही राह पर चल पड़ी है, वह खुद ही राजनीतिक दीपावली मनाने में जुटी है
योगी सरकार किसानों को मुआवजा के नाम पर 10—5 रुपया पकड़ाती, बच्चे मर जाते हैं लेकिन आॅक्सीजन का पेमेंट नहीं कर पाती है, लेकिन वह प्रदेश के 14 हजार लीटर सरसों व तील के तेल फूंककर एक ही शहर में 2 लाख दिए जरूर जला लेती है
जनज्वार, लखनउ। यूपी सरकार इस बार छोटी दीपावली 'दीपावली से एक दिन पहले' को फैजाबाद के सरयू तट पर कमरतोड़ तैयारी के बाद आज खास बनाने जा रही है। योगी सरकार की ओर से फैजाबाद को दीपावली के लिए इसलिए चुना गया है क्योंकि वहां बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया गया था और अब वहां राममंदिर बनाने को लेकर माहौल बनाया जा रहा है। योगी सरकार इस बार दीपावली को विजय दिवस के रूप में मना रही है।
पर इस माहौल के बीच नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट बताती है कि उत्तर प्रदेश में 0 से 5 वर्ष के बीच के 46.3 फीसदी बच्चे कुपोषित हैं। करीब—करीब प्रदेश के आधे बच्चे। वहीं जन्म से एक साल के बीच होने वाली बच्चों के मौतों के मामले में यूपी पहले नंबर पर है।
यूपी में कुपोषण के कारण बच्चे ठीगने होते हैं या उम्र के अनुसार उनकी लंबाई नहीं बढ़ती। ठीगने कद वालों में यूपी देश में नबंर वन है। भोजन विशेषज्ञ मानते हैं कि उनको पोषण नहीं मिल पाने के कारण उनका शारीरिक विकास बाधित होता है। उत्तर प्रदेश में बाल कुपोषण की दर देश के औसत बाल कुपोषण की दर से करीब 10 फीसदी ज्यादा है। भारत में 0 से 5 वर्ष के कुपोषित होने वाले बच्चों का प्रतिशत 37.5 है।
शर्मनाक यह है कि उत्तर प्रदेश का बहराइच जिला देश के सर्वाधिक कुपोषण के शिकार जिलों में पहले स्थान पर है। योगी जी इनके घरों में भी तेल पहुंचा देते तो इनकी यह हालत नहीं होती। सरकारी आकड़ों के अनुसार ही इस जिले में 53 हजार बच्चे कुपोषण का शिकार हैं.
0 से 5 वर्ष के कुपोषित बच्चों वाले पांच प्रमुख राज्य
बिहार — 48.5 प्रतिशत
उत्तर प्रदेश — 46.3 प्रतिशत
झारखंड — 45.3 प्रतिशत
मेघालय — 43.8 प्रतिशत
मध्यप्रदेश — 42 प्रतिशत
ऐसे में सवाल यह है कि सरकार करोड़ों रुपया बर्बाद कर किसकी दीवाली को आबाद करने की तैयारी में है। खासकर तब जबकि प्रदेश में बेकारी, जीएसटी की मार और कुपोषण चरम पर है और किसान व मजदूर त्रस्त हैं।