हरियाणा: नौकरियों के मुद्दे पर CM खट्टर का यू-टर्न, बोले जहां जरूरी होगा वहीं करेंगे भर्ती

Update: 2020-04-30 09:48 GMT

कोरोना संकट का हवाला देते हुए सीएम मनोहर लाल ने ऐलान किया था कि अगले एक साल तक सरकारी भर्ती नहीं होगी। सरकार के इस निर्णय से प्रदेश के लाखों बेरोजगार सकते में आ गये थे। सीएम के इस बयान पर जनज्वार ने प्रदेश में बेरोजगारी की स्थिति पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इसके बाद विपक्ष ने भी सरकार को निशाने पर लिया।

जनज्वार ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि कोरोना से उत्पन्न इस संकट के समय में भी प्रदेश सरकार सरकारी भर्तियां करने के लिए प्रतिबद्ध है और वर्तमान परिस्थितियों में भी खाली पदों पर जिन-जिन विभागों में आवश्यकता होगी वहां पर सरकारी भर्तियां चालू रहेंगी।

न्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के पिछले और वर्तमान दोंनों समय के साढ़े 5 साल के कार्यकाल के दौरान हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग और हरियाणा लोक सेवा आयोग के माध्यम से 86 हजार पदों पर भर्तियां पारदर्शी तरीके से की गई हैं जबकि पिछले सरकार के 10 वर्षों के पूरे कार्यकाल में 86 हजार भर्तियां की गई थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि साढ़े 12 हजार पदों पर भर्ती प्रक्रिया लिखित परीक्षा के बाद पाइपलाइन में हैं, जैसे ही लॉकडाउन खत्म होगा, उनका परिणाम घोषित कर दिया जाएगा।

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ह वह प्रेसनोट है जो हरियाणा के लोकसंपर्क विभाग की ओर से जनज्वार में खबर छपने के बाद जारी किया गया। लेकिन इससे एक दिन पहले ही उन्होंने घोषणा की थी कि सरकारी भर्तियां एक साल के लिये बंद। अपने इस बयान को लेकर सीएम मनोहर लाल चौतरफा घिर गये थे। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सरकारी भर्तियों पर रोक लगाने के सरकार के प्रयास की कड़ी आलोचना की थी।

Full View साथ ही उन्होंने यह सवाल भी उठाया था कि यदि भर्ती बंद ही रह रहे हैं तो फिर हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन के नियुक्त चेयरमैन और सदस्यों पर खर्च क्यों? उन पर हर माह करोड़ों रुपये खर्च क्यों किया जा रहा है?

धर यूथ फॉर चेंज के अध्यक्ष एडवोकेट राकेश ढुल ने बताया कि सरकार को बयान देने से पहले सोचना चाहिये था। आखिर इस तरह से कैसे बाेल दिया गया? उन्होंने कहा कि सीएम को इस पर अपना स्पष्टीकरण देना चाहिये। एडवोकेट राकेश ढुल ने बताया कि इस सरकार में सिस्टम नाम की कोई व्यवस्था नजर ही नहीं आ रही है। यह बहुत ही गलत बात है।

न्होंने कहा कि हजारों कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद भी नियुक्ति दी गयी है। यह क्यों? क्या यह बेरोजगारों के हितों पर कुठाराघात नहीं है। उन्होंने कहा कि डीसी रेट पर कर्मचारी रखे जा रहे हैं। यह क्या है? इसे क्यों नहीं बंद किया जा रहा है। सरकार इस तरह से चल रही है जैसे कोई कंपनी चल रही हो।

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युवा मंच के अध्यक्ष संतोष सिंह ने बताया कि युवाओं के हाथ से रोजगार के अवसर कैसे छीन सकते हैं। कोरोना के एक माह में ही सरकारी खजाने इतने कम हो गये कि हालात इतने खराब हो गये कि सरकारी भर्ती ही बंद करनी पड़ रही है। जबकि हकीकत यह है कि सरकार ने कौन सा अपना खर्च बंद किया है, जो आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गयी है। पूर्व सीएम ने कहा कि इस सरकार का कोई एजेंडा ही नहीं है। बस राज करना है। लोगों को बहकाना भर इनका एजेंडा है। यहीं वजह है कि इस सरकार में हर वर्ग परेशान है।

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